क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
एक्सपर्ट का कहना है कि अमूमन सरकारी नौकरी वाले लोग विधानसभा चुनाव में खुलकर वोटिंग करते नहीं दिखते हैं। उन्हें लगता है कि उनका मामला केंद्र से जुड़ा है, इसलिए राज्य सरकार के चुनाव में उतनी संख्या में घर से नहीं निकलते लेकिन, इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव से जिस प्रकार केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरी वालों पर मेहरबानी दिखाई है और चुनाव से पहले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग को हरी झंडी देना, फिर इनकम टैक्स के स्लैब में बड़ा इजाफा करना, ये कहीं न कहीं वोटिंग ट्रेड में इजाफे की वजह को मजबूत करता है।
नई में वोटिंग ट्रेंड बढ़ा?
कुछ इसी प्रकार नई दिल्ली में भी देखा जा सकता है। यहां पर पिछले साल की तुलना में इस बार 4.24% वोटिंग ट्रेंड में बढ़ोतरी देखी जा रही है। बुधवार को चुनाव के दौरान लोदी कॉलोनी में रहने वाले वोटर ने एनबीटी से बात करते हुए ऐसा ही संकेत दिया था। उनका कहना था कि मिडिल क्लास, नौकरी वालों के लिए राज्य सरकार कुछ नहीं करती है। हम टैक्स देते हैं, बदले में हमें क्या मिलता है? ऐसे में आठवें वेतन आयोग के गठन से हमें राहत मिली है।
कहां कितनी हुई वोटिंग?
ग्रेटर कैलाश में पिछले साल 59.94 पसेंट वोटिंग हुई थी। इस बार इसमें 5.02 पसेंट की कमी दर्ज हुई है। पॉश इलाके में कमी कहीं से भी बदलाव का संकेत नहीं कहा जा सकता है। सबसे ज्यादा कमी करोल बाग में देखी गई। 6.32% की कमी का संकेत है कि रिजर्व सीट पर लोग खुलकर वोटिंग के लिए बाहर नहीं निकले या कम दिलचस्पी दिखाई। जो सत्ता के खिलाफ भी जाने का संकेत हो सकता है। इसी प्रकार कस्तूरबा नगर में भी 5.52% की कमी होना इस बात की ओर संकेत है कि सत्ता विरोधी लहर हो सकती है।