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नए साल में भारत को कई चुनौतियों से निपटना पड़ेगा, मुद्रास्फीति पर काबू पाना होगा: जानिए विशेषज्ञ क्या बोले

Byadmin

Jan 1, 2025


नए साल में भारत को भू-राजनीतिक समेत कई चुनौतियों से पार पाना होगा। त्योहारी गतिविधियों और ग्रामीण मांग में इजाफा की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। मगर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना होगा। इस बीच सभी की निगाहें फरवरी में ब्याज दरों में संभावित कटौती पर भी टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल दिख रही हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। नए साल में भारत को भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटना होगा और घरेलू मुद्रास्फीति पर काबू पाना होगा। इतना ही नहीं सरकार को निजी क्षेत्र को अपने खर्चे और बढ़ाने के लिए प्रेरित करना होगा, क्योंकि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था सितंबर तिमाही की सुस्ती को पीछे छोड़ते हुए 2025 में और अधिक सकारात्मक प्रगति की उम्मीद कर रही है।

अर्थव्यवस्था में हो रहा सुधार

आरबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि 2024-25 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि से प्रेरित है। देश की आर्थिक वृद्धि जुलाई-सितंबर में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘अस्थायी झटका’ बताया है।

ब्याज दरों में कटौती पर सबकी निगाहें

वृद्धि बनाम मुद्रास्फीति की बहस पर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच मतभेद के साथ ही सभी की निगाहें फरवरी में ब्याज दरों में संभावित कटौती पर भी टिकी होंगी, जब केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति की समिति नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में पहली बार बैठक करेगी। समिति की बैठक वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट के तुरंत बाद होगी, जिसमें मोदी 3.0 सरकार के आर्थिक तथा राजकोषीय खाके को प्रस्तुत किया जाएगा।

खासकर वैश्विक तनावों तथा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के जल्द राष्ट्रपति पद संभालने के संदर्भ में। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, क्योंकि व्यापक आर्थिक बुनियादी मजबूत है।

आने वाले वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल दिख रही हैं। हम उम्मीद कर सकते हैं कि वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपेक्षित 6.6-6.8 प्रतिशत के अतिरिक्त सात प्रतिशत के स्तर को पार कर जाएगी। – मदन सबनवीस, मुख्य अर्थशास्त्री, बैंक आफ बड़ौदा।

वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता, भू-राजनीति व संघर्ष, केंद्रीय बैंक की नीतिगत दरों में ढील और जिंस कीमतों, शुल्क के खतरों आदि के बीच घरेलू परिदृश्य से भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक परिदृश्य काफी उज्ज्वल प्रतीत होता है। – अदिति नायर, मुख्य अर्थशास्त्री, रेटिंग एजेंसी इक्रा।

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