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‘नया साल, नए आप’ जैसे संदेश हर जगह दिखने लगे हैं.
सोशल मीडिया पर जिम और डाइट प्लान के विज्ञापन आने लगे हैं और दफ़्तर में होने वाली बातचीत में भी यही चर्चा हो रही है कि कौन जनवरी में क्या छोड़ रहा है, क्या शुरू कर रहा है और आख़िरकार कैसे सब ठीक करने वाला है.
हालांकि नए साल के ज़्यादातर संकल्प टिकते नहीं हैं. हममें से कई लोग जनवरी के बीच तक आते-आते ही उन्हें छोड़ देते हैं.
फिर भी, इस साल यह सब बदल सकता है. हमने कुछ विशेषज्ञों से सलाह ली है कि नए साल के संकल्प कैसे बनाए जाएं और उन्हें कैसे निभाया जाए.
हक़ीक़त को समझो
क्या 2026 वह साल होगा जिसमें आप ‘वज़न कम करेंगे’, ‘करियर बदल लेंगे’ या ‘घर को बदल डालेंगे’?
पूर्व जीपी और कॉन्फ़िडेंस कोच डॉक्टर क्लेयर के चेतावनी देते हुए कहती हैं कि सावधान रहें – ये अमल में लाने लायक योजनाएं नहीं हैं, बल्कि दबाव बनाने वाले बयान हैं.
वह कहती हैं कि संकल्प अक्सर इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि वे अस्पष्ट, अवास्तविक और बहुत व्यापक होते हैं.
उनकी सलाह है कि आप लिखें कि आपकी ज़िंदगी में क्या अच्छा चल रहा है, क्या चीज़ें आपको थका रही हैं या अब आपके लिए क्या ठीक नहीं है, और कहां आप बस ऑटो-पायलट पर यानी बिना सोचे-समझे चलते जा रहे हैं.
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वह कहती हैं, “बदलाव तब ज़्यादा टिकाऊ होता है जब आपको यह समझ आ जाता है कि आपको किस चीज़ की ज़्यादा ज़रूरत है, इसके बजाय कि किस चीज़ से दूर जाना है.”
अपने लक्ष्य लिखें, लेकिन ध्यान रखें कि वे ‘दिशा और अनुभव’ के हिसाब से हों, किसी तय बिंदु के लिए नहीं.
वह सुझाव देती हैं कि ‘वज़न घटाना है’, को इस तरह लिखा जा सकता है: “मैं चाहता हूं कि मैं अपने शरीर में ज़्यादा ऊर्जा और आराम महसूस करूं, और यह समझूं कि मुझे ऐसा महसूस कराने में क्या मदद करता है.”
इसी तरह ‘करियर बदलना’ को इस तरह लिखा जा सकता है: “मैं यह जानना चाहता हूं कि कौन-सा काम मुझे ऊर्जा और मायने देता है, और उस दिशा में एक छोटा क़दम उठाना चाहता हूं.”

इन दो शब्दों का इस्तेमाल न करें
मनोवैज्ञानिक किम्बरली विल्सन कहती हैं, अपने लक्ष्य लिखते समय ‘हमेशा’ (always) या ‘कभी नहीं’ (never) जैसे निश्चित शब्दों से बचें.
इससे ‘सब-कुछ या कुछ भी नहीं’ वाला भाव पैदा होता है, जिसे कायम रखना बहुत मुश्किल होता है.
अगर आप ख़ुद से ही वादा करते हैं- ‘मैं हर बुधवार दौड़ने जाऊंगा’ या ‘मैं अब कभी शराब नहीं पियूंगा’ – तो आपने अपने नाकाम होने की भूमिका लिख ली है.
बीबीसी के ‘वाट्स अप डॉक’ पॉडकास्ट में विल्सन बताती हैं, “डाइट या एक्सरसाइज़ इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है. लोग सोचते हैं कि अगर उन्होंने एक दिन गड़बड़ कर दी तो सारी कोशिश ही बेकार हो गई.”
वह कहती हैं कि लोग अक्सर टनल विज़न का शिकार हो जाते हैं – यानी ध्यान इतना संकुचित हो जाता है कि बड़ी तस्वीर नहीं दिखती. ऐसे में ज़रूरत इस बात की होती है कि किसी पल को अकेले नहीं, दूसरे कई पलों के संदर्भ में देखा जाए.
डॉक्टर क्लेयर कहती हैं कि लक्ष्य लचीली भाषा में लिखे जाने चाहिए, जैसे कि ‘मैं प्रयोग करना चाहता हूं’, ‘मैं इसके लिए ज़्यादा जगह बनाना चाहता हूं’, ‘मैं सीख रहा हूं कि मेरे लिए कब क्या काम करता है’.
पुरानी स्थिति में पहुंचने के लिए तैयार रहें
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आप कई हफ्तों तक सब कुछ अच्छा करते रहते हैं लेकिन फिर एक दिन दौड़ना रह जाता है, एक बार बाहर का खाना खा लेते हैं, या देर रात तक जागे रह जाते हैं और अचानक आपको लगता है कि आपकी जीत की लय टूट गई और अब आप हार गए हैं.
विल्सन कहती हैं कि कुछ संकल्प इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि ‘लोग अपने सबसे अच्छे स्वरूप के हिसाब से योजनाएं बनाते हैं.’
लेकिन वे देर रात तक सो न पाने या कोई दिन ऑफ़िस में मुश्किल गुज़रने जैसी स्थितियों के लिए तैयार नहीं होते, और ऐसी परिस्थितियों के लिए उनके पास कोई योजना नहीं होती.
विल्सन का कहना है कि पुरानी स्थिति के लौट आने को प्रक्रिया का हिस्सा मानना ज़रूरी है – इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरी तरह असफल हो गए. असल में लगातार बने रहना मायने रखता है, न कि परफ़ेक्ट होना.
डॉक्टर क्लेयर कहती हैं कि यह याद रखना ज़रूरी है, “लक्ष्य परफ़ेक्ट होना नहीं है, बल्कि यह होना चाहिए कि एक ग़लती पूरे प्लान को ही छोड़ देने में न बदल जाए.”
अगर आपसे चूक हो जाए, तो “सबसे मददगार प्रतिक्रिया आलोचना नहीं बल्कि जिज्ञासा है”, और फिर से शुरुआत करने के लिए अगले हफ़्ते या महीने का इंतज़ार करने के बजाय, हर दिन को एक नई शुरुआत मानना चाहिए.

नई चीज़ों को पुरानी आदतों से जोड़ें
करियर कोच एम्मा जेफ़रीज़ कहती हैं कि नए साल के संकल्पों को सफल बनाने का एक तरीक़ा है ‘हैबिट स्टैकिंग’ यानी नई चीज़ को अपनी किसी पुरानी, रोज़मर्रा की आदत से जोड़ना.
वह कहती हैं, “उदाहरण के लिए… दांत ब्रश करने के बाद मैं दस पुश-अप्स करूंगा, वाइन डालने के बाद मैं दस मिनट लिखूंगा, बच्चों को सुलाने के बाद मैं स्ट्रेचिंग करूंगा.”
वह कहती हैं, “आप अपनी प्लेट में और चीज़ें नहीं रख रहे हैं, बल्कि नई चीज़ को उसी ढांचे में बुन रहे हैं जो आप पहले से करते हैं.”
जेफ़रीज़ कहती हैं कि सफलता के लिए सिर्फ़ मोटिवेशन पर निर्भर रहने के बजाय, अपने माहौल को सही ढंग से तैयार करना भी बड़ा फ़र्क़ डाल सकता है.
वह कहती हैं, “जैसे कि अगर आप ज़्यादा पढ़ना चाहते हैं तो किताब को तकिए पर रख दें ताकि सोने से पहले उसे हटाना ही पड़े.”
सकारात्मक चीज़ से जोड़ें
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विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका नए साल का संकल्प ज़्यादा बचत करने या बजट को बेहतर बनाने का है, तो यह तभी ज़्यादा टिकेगा अगर इसे किसी सकारात्मक चीज़ से जोड़ा जाए.
ऑक्टोपस मनी में पर्सनल फाइनेंस हेड टॉम फ्रांसिस कहते हैं, “अगर आपके पास कोई साफ़ और रोमांचक लक्ष्य है, चाहे वह छुट्टी हो या इमरजेंसी फंड, तो बचत करना बोझ नहीं बल्कि उद्देश्यपूर्ण लगता है.”
वह यह भी कहते हैं कि बहुत ज़्यादा बदलाव करने की कोशिश न करें, क्योंकि आमतौर पर वह टिकाऊ नहीं रह पाते.
वह कहते हैं, “सिर्फ़ दो या तीन साफ़ प्राथमिकताएं चुनें. उदाहरण के लिए ड्रीम हॉलीडे के लिए 1,200 पाउंड बचाना भारी लग सकता है, लेकिन 100 पाउंड प्रति माह बचाना संभव लगता है.”
अगर अचानक कोई ख़र्च आ जाए तो थोड़ा रुककर चलना ठीक है.
जैसे कि “अगर आप मासिक बचत 100 पाउंड से घटाकर 20 पाउंड कर दें, तो भी ठीक है क्योंकि आप आगे बढ़ रहे हैं. सबसे ज़रूरी बात यह है कि यह आदत बनी रहे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.