शांति प्रक्रिया बाधित हो जाएगी
एनएससीएन-आईएम के महासचिव टी मुइवा ने एक बयान जारी कर दावा किया कि केंद्र ऐतिहासिक समझौते के प्रमुख प्रावधानों का सम्मान करने, विशेष रूप से ‘नगा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ को मान्यता देने से ‘जानबूझकर इनकार’ कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबद्धताओं का सम्मान न करने से शांति प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि रूपरेखा समझौते का पालन करने में केंद्र की विफलता ‘नए सिरे से हिंसक टकराव’ को जन्म दे सकती है। उन्होंने गतिरोध को दूर करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का भी आह्वान किया।
कांग्रेस का केंद्र पर निशाना
कांग्रेस ने NSCN-IM गुट की तरफ से संघर्ष विराम समझौता तोड़ने की चेतावनी के बाद केंद्र पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने शुक्रवार को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में इस समझौते को बाजी पलटने वाला बताते हुए इसकी सराहना की थी। पार्टी ने कहा कि ‘झांसा देना और शासन करना’ मोदी की पहचान है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘3 अगस्त, 2015 को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि यह कदम बाजी पलटने वाला साबित होगा जो पूर्वोत्तर को बदल देगा। नौ साल बाद भी हम समझौते के विवरण के बारे में अंधेरे में हैं।’
साल 2015 में हुआ था समझौता
वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के कुछ समय बाद से नगालैंड में हिंसक उग्रवाद में शामिल समूह ने सरकारी वार्ताकारों के साथ लंबी शांति वार्ता शुरू करने से पहले 1997 में संघर्ष विराम समझौता किया था। 3 अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) ने स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में सरकार के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अब नगा उद्रवादी समूह एनएससीएन (IM) ने अलग ‘ध्वज और संविधान’ की मांग नहीं माने जाने पर सरकार के साथ 27 वर्ष पुराना संघर्ष विराम समझौता तोड़ने और टसशस्त्र संघर्षट की ओर लौटने की चेतावनी दी है।