महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक की मनख़ुर्द शिवाजी नगर सीट से उम्मीदवारी को लेकर विवाद हो गया है. उन्हें एनसीपी (अजित पवार गुट) ने यहां से टिकट दिया है.
लेकिन बीजेपी नवाब मलिक की उम्मीदवारी से नाराज है. उसने अंडरवर्ल्ड माफ़िया और भारत के वांछित अपराधी दाऊद इब्राहिम के साथ जोड़कर उनकी आलोचना की है.
बीजेपी उस महायुति में शामिल है, जिसके शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) भी हिस्सा हैं.
बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी. जिस सीट से नवाब मलिक लड़ रहे हैं वहां से शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी उम्मीदवार दिया है.
अजीत पवार की पार्टी ने नामांकन का समय समाप्त होने से कुछ वक़्त पहले ही नवाब की उम्मीदवारी को मंज़ूरी दी और उन्हें अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया.
नवाब मलिक के सामने समाजवादी पार्टी के अबु आसिम आज़मी और शिव सेना (शिंदे गुट) के सुरेश बुलेट पाटिल होंगे. महायुति ( महा गठबंधन) ने बुलेट पाटिल को अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया है.
मंगलवार शाम को मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष एडवोकेट आशीष शेलार ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी नवाब मलिक के समर्थन में प्रचार नहीं करेगी.
उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. यही गठबंधन महाराष्ट्र में सरकार भी चला रहा है.
नवाब मलिक को लेकर बीजेपी ने क्या कहा
शेलार ने अपने बयान में कहा, ”बीजेपी की भूमिका शुरू से ही स्पष्ट रही है. महागठबंधन में शामिल सभी दलों को अपने-अपने उम्मीदवार तय करने हैं. विषय सिर्फ एनसीपी द्वारा नवाब मलिक को उम्मीदवार बनाये जाने का है. उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और मैंने इस संबंध में भाजपा की स्थिति को बार-बार स्पष्ट किया है. अब एक बार फिर कह रहे हैं कि बीजेपी नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी.”
आशीष शेलार ने कहा, ” हमारा रुख दाऊद और दाऊद के मामले से जुड़े व्यक्ति को बढ़ावा देना नहीं है.”
वहीं बुधवार को दिए एक बयान में बीजेपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा,”नवाब मलिक को एनसीपी की उम्मीदवारी पर हमारी शुभकामनाएं स्वीकार करनी चाहिए. देवेंद्र फडणवीस जी ने नवाब मलिक को लेकर जो राय शुरुआत में ज़ाहिर की थी, हम उस पर क़ायम हैं.”
बीजेपी ने एनसीपी (अजीत पवार गुट) की तरफ़ से नवाब मलिक की उम्मीदवारी का विरोध किया है. बीजेपी नेता कीरीट सौमेया ने भी एलान किया है कि बीजेपी इस सीट से शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार सुरेश पाटील का सर्मथन करेगी.
एनसीपी (अजीत पवार) ने नवाब मलिक की छोटी बेटी सना मलिक को भी अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से टिकट दिया है. ये सना मलिक का पहला चुनाव होगा.
हालांकि बीजेपी ने ये संकेत भी दिए हैं कि वह सना मलिक की उम्मीदवारी का विरोध नहीं करेगी.
अणुशक्तिनगर निर्वाचन क्षेत्र से नवाब मलिक की बेटी सना मलिक के नामांकन के बारे में पूछे जाने पर आशीष शेलार ने कहा,”जब तक इस संबंध में कोई सबूत या जानकारी सामने नहीं आती तब तक महायुति के उम्मीदवार के भाजपा उम्मीदवार होने के बारे में कोई अन्य सवाल ही नहीं उठता.”
पहले भी बीजेपी करती रही है विरोध
बीजेपी का नवाब मलिक को लेकर विरोध नया नहीं है. पार्टी उन्हें दाऊद इब्राहिम का सहयोगी कहती रही है.
लेकिन नवाब मलिक अब बीजेपी की गठबंधन सहयोगी पार्टी के उम्मीदवार हैं, बावजूद इसके पार्टी उनका ख़ुलकर विरोध कर रही है.
वरिष्ठ पत्रकार समर खडस कहते हैं,”बीजेपी के नवाब मलिक का विरोध करने में कुछ भी नया नहीं हैं. देखने की बात ये होगी कि क्या पार्टी चुनाव नतीजे आ जाने के बाद भी उनका विरोध करेगी?”
हालांकि विश्लेषक ये भी मान रहे हैं कि नवाब मलिक के ख़िलाफ़ उतारे गए शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार का नामांकन वापस भी हो सकता है.
समर खडस कहते हैं, ”मुझे लगता है कि चार नवंबर तक इंतज़ार करना चाहिए. नवाब मलिक ही नहीं, सना मलिक के ख़िलाफ़ भी महायुति का ही उम्मीदवार है. एनसीपी ने उन्हें आधिकारिक उम्मीदवार बनाया है, ऐसे में बहुत संभावना है कि सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के पर्चे वापस हो जाएं. लेकिन अगर पर्चे वापस नहीं होते हैं तब भी शायद बहुत फ़र्क़ ना पड़े. हालांकि महायुति उम्मीदवारों की इस ‘फ्रेंडली फ़ाइट’ का चुनाव पर असर हो सकता है.”
विश्लेषक मान रहे हैं कि बीजेपी के लिए नवाब मलिक को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर पाना आसान नहीं हैं.
समर खडस कहते हैं, ”बीजेपी उन्हें दाऊद का आदमी कहती रही है और भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है. ऐसे में बीजेपी के लिए उन आरोपों से वापस मुड़ना आसान नहीं हैं.”
नवाब मलिक लंबे समय तक एनसीपी में थे और बाद में अजीत पवार गुट के साथ आ गए.
नवाब मलिक जब कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए थे तब उनकी पार्टी (एनसीपी) के अधिकतर नेताओं ने उनसे मुंह मोड़ लिया था, लेकिन अजीत पवार उनके साथ थे.
समर खडस कहते हैं, ”अजीत पवार ने नवाब मलिक का तब भी साथ नहीं छोड़ा जब वो मुश्किल में थे. नवाब मलिक के लिए व्यक्तिगत तौर पर भले ही महायुति के साथ होना आसान न हो, लेकिन उन्हें अजीत पवार का साथ याद है और इसलिए ही वो इस गठबंधन में हैं.”
बीबीसी मराठी से बात करते हुए नवाब मलिक ने कहा है, ” मैं आभारी हूं कि अजीत पवार ने मुझे उम्मीदवार बनाया है. अजीत पवार के साथ रहना मेरा कर्तव्य है क्योंकि उन्होंने हमेशा मेरे परिवार का साथ दिया है.”
हालांकि बीबीसी मराठी से बातचीत में नवाब मलिक ने कहा है कि वो महायुति के नहीं बल्कि एनसीपी (अजीत पवार गुट) के उम्मीदवार हैं.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ” ये नहीं कहा जा सकता है कि मैं महायुति का उम्मीदवार हूं क्योंकि शिवसेना (शिंदे गुट) का भी उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी भी मेरा प्रचार नहीं कर रही है.”
मलिक ने कहा, ”बीजेपी मेरा प्रचार करती है या नहीं, इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता है क्योंकि जनता मेरे साथ है.”
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को सभी 288 सीटों पर चुनाव होने हैं और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे.
विश्लेषक मान रहे हैं कि यदि बीजेपी गठबंधन की सरकार आती है और नवाब मलिक जीत कर आते हैं, तब शायद बीजेपी को नवाब मलिक के साथ होने से दिक़्क़त ना हो.
समर खडस कहते हैं, ”मुझे नहीं लगता सत्ता में आने की स्थिति में बीजेपी नवाब मलिक या उन जैसे दूसरे लोगों से असहज होगी. बीजेपी जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के साथ सहज थी. बिहार में नीतीश कुमार के साथ सहज है. बीजेपी सरकार बनाने के लिए किसी के भी साथ सहज हो सकती है. मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों के बाद नवाब मलिक बीजेपी के लिए कोई मुद्दा होंगे.”
नवाब मलिक जिस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां अधिकतर वोटर मुसलमान हैं.
ऐसे में माना जा रहा है कि नवाब मलिक का मुख्य मुक़ाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार अबु आसिम आज़मी से होगा.
कौन हैं नवाब मलिक
फ़रवरी 2022 में मनी लॉड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को गिरफ़्तार किया था.
उन्हें मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. तब बीजेपी ने उन्हें दाऊद इब्राहिम का ख़ास आदमी बताया था. बीजेपी अब तक नवाब मलिक पर लगाए गए इस आरोप पर क़ायम है.
इससे पहले नवाब मलिक नवंबर 2021 में तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने ड्रग्स मामले में शाहरुख़ ख़ान के बेटे को गिरफ़्तार करने वाले एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर आरोप लगाए थे.
नवाब मलिक ने दावा किया था कि समीर वानखेडे़ हिंदू नहीं बल्कि मुसलमान हैं. उन्होंने समीर के कथित निकाह की फोटो भी ऑनलाइन शेयर की थीं.
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले नवाब मलिक ने 1984 में पहली बार उत्तर मुंबई सीट से 25 साल की उम्र में बीजेपी के प्रमोद महाजन और कांग्रेस के गुरूदास कामत के ख़िलाफ़ चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. इस चुनाव में नवाब मलिक को सिर्फ़ 2620 वोट मिले थे.
हालांकि आगे चलकर नवाब मलिक ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी. वो शरद पवार की एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता रहे और उद्धव ठाकरे की कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन सरकार में अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास विभाग के मंत्री रहे.
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में नवाब मलिक के परिवार के पास अच्छी खेती की ज़मीनें थीं और परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था.
उनके पिता मोहम्मद इस्लाम नवाब मलिक के जन्म से पहले ही मुंबई में बस गए थे.
हालांकि अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए ये परिवार अपने मूल स्थान बलरामपुर लौट आया और यहीं 20 जून 1959 को नवाब मलिक का जन्म हुआ.
नवाब मलिक के जन्म के कुछ महीने बाद ये परिवार फिर से मुंबई लौट आया. यहां उनके पिता के कई छोटे और बड़े कारोबार थे. उनके पास एक होटल था और कबाड़ के कारोबार के अलावा कई और छोटे धंधे थे.
बीजेपी ने ‘कबाड़ीवाला’ कहा था
जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें कबाड़ीवाला कहा था तब इसका जवाब देते हुए नवाब मलिक ने कहा था, ”हां मैं कबाड़ीवाला हूं. मेरे पिता मुंबई में कबाड़ और कपड़े का कारोबार करते थे. विधायक बनने तक मैं भी कबाड़ का काम करता था. मेरा परिवार अब भी कबाड़ का काम करता है और मुझे इस पर गर्व है.”
नवाब मलिक की शादी 21 साल की उम्र में महज़बीन से हुई थी, उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं.
नवाब मलिक की छोटी बेटी सना मलिक इस बार चुनावी मैदान में एनसीपी (अजीत पवार गुट) की उम्मीदवार हैं.
नवाब मलिक ने बारहवीं तक की पढ़ाई करने के बाद बीए में दाख़िला लिया था लेकिन पारिवारिक कारणों से वो डिग्री हासिल नहीं कर पाए थे.
शुरुआती पढ़ाई उन्होंने मुंबई के चर्चित सेंट जोसेफ़ स्कूल से की थी लेकिन बाद में एक उर्दू स्कूल में दाख़िला लिया और यहां से चौथी तक की पढ़ाई की.
नवाब मलिक राजनीति में छात्र आंदोलन से आए थे. जब वो मुंबई यूनिवर्सिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे तब यूनिवर्सिटी ने फ़ीस बढ़ा दी थी.
इसका विरोध करने वाले छात्रों में नवाब मलिक भी शामिल थे. आंदोलन के दौरान पुलिस की पिटाई से नवाब मलिक घायल भी हो गए थे.
नवाब मलिक ने एक साक्षात्कार में कहा था कि इसी दौरान उनकी राजनीति में रुचि हो गई थी. वो कांग्रेस के छात्र संगठन एनएयूआई से जुड़ गए.
1980 में संजय गांधी की आकस्मिक मृत्यु के बाद मेनका गांधी ने संजय विचार मंच नाम से एक अलग समूह बनाया था. नवाब मलिक इससे जुड़ गए.
1984 का लोकसभा चुनाव नवाब मलिक ने संजय विचार मंच से ही चुनाव लड़ा. उन्हें सिर्फ़ 2620 वोट मिल गए और वो इस चुनाव के बाद फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए.
1991 में जब नगर निगम के चुनाव के लिए नवाब मलिक ने कांग्रेस से टिकट मांगा तो उन्हें नहीं मिला.
इसके अगले ही साल दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में दंगे भड़क गए.
इस संवेदनशील माहौल में उन्होंने एक अख़बार निकाला. सांझा समाचार नाम का ये अख़बार कुछ साल बाद आर्थिक दिक़्क़तों की वजह से बंद हो गया.
1995 में पहली बार बने विधायक
1992 के बाद बने माहौल में मुंबई में समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों के बीच अपनी जगह बना रही थी.
इस दौरान नवाब मलिक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 1995 विधानसभा चुनाव में नवाब मलिक ने मुस्लिम बहुल नेहरू नगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन वो शिवसेना उम्मीदवार सूर्यकांत महादिक से हार गए.
लेकिन धर्म के आधार पर वोट मांगने के आरोप में चुनाव आयोग ने शिवसेना विधायक की सदस्यता रद्द कर दी और इस सीट पर अगले ही साल उप-चुनाव हुआ और इस बार नवाब मलिक इस सीट से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे.
1999 के विधानसभा चुनाव में भी नवाब मलिक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. इस साल कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनीं और समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन दिया. नवाब मलिक सरकार में आवास राज्य मंत्री बना दिए गए.
नवाब मलिक सरकार में मंत्री थे लेकिन उनके समाजवादी पार्टी नेताओं से कुछ मतभेद हो गए और वो मंत्री होते हुए ही एनसीपी में शामिल हो गए.
बीबीसी के एक लेख में नवाब मलिक के बारे में वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार हेमंत देसाई ने कहा था, ”महाराष्ट्र की राजनीति में जो मुस्लिम चेहरे सामने आए हैं, उनमें नवाब मलिक का नाम सबसे आगे है. शुरुआत में मलिक को एनसीपी के मुस्लिम चेहरे के तौर पर पार्टी में जगह दी गई.”
नवाब मलिक इसके बाद से एनसीपी में ही रहे और अब एनसीपी (अजीत पवार) के साथ हैं.
मलिक 2022 में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भी गए थे. लेकिन ये उन पर भ्रष्टाचार के ये पहले आरोप नहीं हैं.
साल 2006 में समाजसेवी अन्ना हज़ारे ने नवाब मलिक पर माहिम की जरीवाला चाल के पुनर्वास में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाये थे जिसके बाद उन्होंने तत्कालीन विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
हालांकि इस मामले में बारह साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, ”तत्कालीन राज्य मंत्री का निर्णय उचित था.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित