उदयपुर पॉक्सो कोर्ट ने शेखा बानू नामक 21 वर्षीय युवती को नाबालिग लड़के के यौन शोषण के आरोप में 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। शेखा बानू पर आरोप है कि उसने 17 वर्षीय लड़के को बहला-फुसलाकर उसका यौन शोषण किया। पुलिस जांच में ड्रग रैकेट चलाने और नाबालिगों का इस्तेमाल करने का भी खुलासा हुआ।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उदयपुर की पॉक्सो कोर्ट नंबर 2 ने एक ऐतिहासिक फैसले में 21 वर्षीय युवती शेखा बानू को एक नाबालिग लड़के का यौन शोषण करने के जुर्म में 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन यह मामला दिखाता है कि पॉक्सो कानून के तहत पीड़ित लड़का या लड़की कोई भी हो सकता है।
मामले के विशिष्ट लोक अभियोजक महेन्द्र ओझा ने बताया कि यह घटना 4 अप्रैल 2023 को सामने आई, जब पीड़ित लड़के के पिता ने प्रतापनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार शेखा बानू (21) उनके 17 वर्षीय बेटे को बहला-फुसलाकर ले गई और उसका यौन शोषण किया।
पुलिस की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शेखा बानू और उसकी एक साथी, साधना आचार्य, उदयपुर में एक ड्रग रैकेट चलाती थीं और नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल ड्रग पेडलिंग के लिए करती थीं।
पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि पीड़ित लड़का और शेखा बानू हिरणमगरी सेक्टर 3 में एक किराए के कमरे में साथ रह रहे थे। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए लड़के को रेस्क्यू किया और उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया, जिसके बाद उसे जीवन ज्योति बाल गृह, सुखेर में भेज दिया गया। पुलिस ने मामले की पूरी जांच कर अपहरण, जबरन वसूली और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत शेखा बानू के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
अदालत में दमदार सबूत और सजा
कोर्ट में, अभियोजन पक्ष ने अपनी बात को साबित करने के लिए 15 गवाहों और 30 से ज्यादा दस्तावेजी सबूत पेश किए। इनमें पीड़ित का जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल रिकॉर्ड, और मेडिकल रिपोर्ट शामिल थी, जिससे यह साबित हुआ कि घटना के समय पीड़ित नाबालिग था।
आरोपी को 20 साल की सजा
न्यायाधीश संजय कुमार भटनागर ने इस अपराध को “ग्रेटर पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट” मानते हुए कहा कि यह एक गंभीर अपराध है और इसमें कोई ढिलाई नहीं बरती जा सकती। उन्होंने शेखा बानू को दोषी पाया और उसे 20 साल के कठोर कारावास के साथ-साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यदि वह जुर्माना नहीं भर पाती है, तो उसे 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
पीड़ित को 50 हजार का मुआवजा
इसके अलावा, अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उदयपुर को निर्देश दिया है कि पीड़ित के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हुए नुकसान को देखते हुए राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए। यह फैसला कानून की नजर में सभी को समान मानने और नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति समाज की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।