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- Author, योलांडे नेल
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़, यरुशलम
- Author, रफ़ी बर्ग
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़, लंदन
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दक्षिणी ग़ज़ा के ख़ान यूनिस स्थित नासेर अस्पताल पर इसराइली हमले में कम से कम 20 लोग मारे गए हैं. मरने वालों में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए काम करने वाले पांच पत्रकार भी शामिल हैं. यह जानकारी हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है.
कई मीडिया संस्थानों ने पुष्टि की कि मरने वाले पत्रकार रॉयटर्स, एपी, अल जज़ीरा और मिडिल ईस्ट आई के लिए काम करते थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने बताया कि हमले में चार स्वास्थ्यकर्मी भी मारे गए हैं. हमले की फ़ुटेज में देखा जा सकता है कि जैसे ही बचावकर्मी धमाका होने के बाद घटनास्थल पर पहुँचे, एक और धमाका हुआ.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसे एक ‘दुखद दुर्घटना’ बताया और कहा कि सैन्य अधिकारी “इसकी गहन जांच कर रहे हैं.”
अक्तूबर 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद से ग़ज़ा में मारे गए पत्रकारों की संख्या अब लगभग 200 हो गई है.
प्रेस की आज़ादी को बढ़ावा देने वाली एक प्रमुख संस्था, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) के अनुसार, ग़ज़ा की जंग पत्रकारों के लिए घातक साबित हुई है.
युद्ध शुरू होने के बाद से ही इसराइल ने अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को ग़ज़ा पट्टी में स्वतंत्र रूप से प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
कुछ पत्रकारों को इसराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) के साथ ग़ज़ा जाने दिया गया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ग़ज़ा में अपनी कवरेज के लिए स्थानीय पत्रकारों पर ही निर्भर हैं.
हमला कैसे हुआ?
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नासेर अस्पताल के चिकित्सा कर्मचारियों ने बताया कि पहला हमला स्थानीय समयानुसार लगभग 10 बजे हुआ.
अस्पताल में काम कर रहे एक ब्रिटिश शख़्स ने बताया कि हमले के बाद ‘वहाँ बड़े पैमाने पर दहशत और अराजकता थी.’
उन्होंने बताया कि जब चिकित्सा कर्मचारी पहले विस्फोट के बाद मदद के लिए आगे बढ़ रहे थे, क़रीब दस मिनट बाद दूसरा धमाका हुआ.
नासेर अस्पताल पर हमले का एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक डॉक्टर दक्षिणी ग़ज़ा के मुख्य अस्पताल के प्रवेश द्वार पर खड़ा है. डॉक्टर पहले हमले के बाद पत्रकारों को दिखाने के लिए खून से सने कपड़े पकड़े हुए है.
इसके बाद अचानक एक धमाका होता है और लोग अपनी सुरक्षा के लिए इधर-उधर भागने लगते हैं. विस्फोट में घायल एक व्यक्ति खुद को सुरक्षित स्थान पर खींचने की कोशिश करता हुआ दिखाई देता है.
अल-ग़द टीवी की लाइवस्ट्रीम पर रिकॉर्ड किए गए एक अन्य वीडियो में कई आपातकालीन कर्मचारियों को नासेर अस्पताल की सबसे ऊपरी मंज़िल के पास पहले हमले से निपटते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो में कई पत्रकार भी कैमरे के साथ दिख रहे हैं.
फ़ुटेज में सीढ़ियों के पास पत्रकार अपना कैमरा लिए खड़े हैं. इसके बाद एक धमाका आपातकालीन कर्मचारियों और पत्रकारों की जगह पर होता है. इससे हवा में धुआँ और मलबा फैल जाता है.
मरने वाले पत्रकार कौन हैं?
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रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने बताया कि उसके कैमरामैन हुसम अल-मसरी भी मारे गए लोगों में शामिल हैं. वह छत पर लाइव फ़ीड भेज रहे थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रॉयटर्स के लिए फ़ोटोग्राफ़र के तौर पर काम करने वाले एक अन्य शख़्स हातेम ख़ालिद भी दूसरे हमले में घायल हो गए.
एपी ने बताया कि उसके लिए काम करने वाली एक स्वतंत्र पत्रकार मरियम डग्गा की भी मौत हो गई है. समाचार एजेंसी ने कहा कि वह 33 वर्षीय मरियम डग्गा की मौत से ‘स्तब्ध और दुखी’ है.
मारे गए अन्य लोगों में अल जज़ीरा के मोहम्मद सलामा, मिडिल ईस्ट आई के फ़्रीलांसर अहमद अबू अज़ीज़ और फ़ोटोग्राफ़र मोआज़ अबू ताहा शामिल थे. रॉयटर्स ने कहा कि ताहा ने रॉयटर्स सहित कई समाचार संस्थानों के साथ काम किया था.
ब्रिटेन स्थित चैरिटी संस्था ‘मेडिकल एड फ़ॉर फ़लस्तीन’ की अधिकारी हदील अबू जैद ने मीडिया को भेजे एक बयान में कहा कि वह आईसीयू का दौरा कर रही थीं, ‘जब हमारे ठीक बगल में स्थित ऑपरेशन थिएटर में विस्फोट हुआ.’
उन्होंने कहा, ‘मृत और घायल लोग हर जगह थे’ और यह दृश्य ‘असहनीय’ था.
हमले की निंदा
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “ये ताज़ा भयावह हत्याएँ इस क्रूर संघर्ष के बीच अपने फ़र्ज़ को अंजाम देते हुए चिकित्सा कर्मियों और पत्रकारों के सामने जोखिम को उजागर करती हैं.”
उन्होंने ‘तत्काल और स्थायी युद्धविराम’ के अलावा हमले की ‘निष्पक्ष जांच’ की भी मांग की.
संयुक्त राष्ट्र की फ़लस्तीन के लिए शरणार्थी एजेंसी, यूएनआरडब्ल्यूए के प्रमुख फ़िलिप लाजारिनी ने पत्रकारों की मौत पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा, “अकाल के बीच चुपचाप मर रहे बच्चों के बारे में रिपोर्ट करने वाली अंतिम बची आवाज़ों को चुप करा दिया जा रहा है.”
ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा कि वह इस घातक हमले से डर गए हैं. फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हमले को ‘असहनीय’ बताया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इससे ख़ुश नहीं हूँ.”
इसराइल ने क्या कहा है?
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इसराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने शुरू में पुष्टि की थी कि उसने दक्षिणी ग़ज़ा के नासेर अस्पताल के पास हमला किया है.
सोमवार को पूरे दिन इसराइली अधिकारियों ने इस बारे में कई बयान जारी किए, लेकिन इन बयानों में कोई साफ़ जानकारी सामने नहीं आई.
सोमवार शाम को, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि इसराइल ‘ग़ज़ा के नासेर अस्पताल में आज हुई दुखद दुर्घटना पर गहरा खेद व्यक्त करता है.’ मंत्रालय ने आगे कहा कि वह पत्रकारों, चिकित्सा कर्मचारियों और सभी नागरिकों के काम को महत्व देता है. बयान में कहा गया कि इसराइली सेना “इस घटना की गहन जांच” कर रही है.
इस बयान से दस मिनट के अंतराल में एक ही स्थान पर हुए दो घातक हमलों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता.
ऐसे हमलों को सेना की भाषा में “डबल टैप” कहा जाता है. यह एक विवादास्पद सैन्य रणनीति है, जो पहले हमले के समय घटनास्थल पर मौजूद लोगों पर गोलीबारी करके हताहतों की संख्या को बढ़ाने के लिए अपनाई जाती है.
इसराइल और अधिकृत फ़लस्तीन क्षेत्रों में विदेशी प्रेस एसोसिएशन सहित मीडिया संगठनों के बयानों में इसराइली सेना पर युद्ध के दौरान जानबूझकर पत्रकारों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है.
इसराइल ने कहा है कि वह इन हमलों की जांच शुरू कर रहा है. लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसराइल अपनी आंतरिक जांच के परिणाम कब तक सार्वजनिक करेगा.
ग़ज़ा की जंग
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दो हफ़्ते पहले ग़ज़ा शहर में अल-शिफ़ा अस्पताल के निकट इसराइली हमले में अल जज़ीरा के चार पत्रकारों सहित छह पत्रकार मारे गए थे.
ग़ज़ा में हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि इसराइली हमलों में मारे गए 58 लोगों के शव पिछले दिनों ग़ज़ा के अस्पतालों में पहुँचे हैं. मंत्रालय का कहना है कि हमलों में ध्वस्त हो चुकी इमारतों के मलबे के नीचे और भी शव पड़े हैं.
मंत्रालय ने बताया कि मरने वालों में खाद्य सहायता लेने का प्रयास करने वाले 28 लोग भी शामिल हैं.
मंत्रालय ने बताया कि अस्पतालों में कुपोषण के कारण 11 और मौतें दर्ज की गईं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं. कुपोषण के कारण मरने वालों की कुल संख्या 300 हो गई, जिनमें 117 बच्चे शामिल हैं.
यह युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नेतृत्व में इसराइल पर किए गए हमले से शुरू हुआ था. हमास के हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 251 अन्य को बंधक बनाकर ग़ज़ा ले जाया गया था.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार इसराइली कार्रवाई में अब तक 62,744 से अधिक फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित