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बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक पत्र में बताया गया है, “बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है.”
पत्र के अनुसार नितिन नबीन की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी.
नितिन नबीन बिहार सरकार में पथ निर्माण मंत्री और बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी हैं. वो बिहार की बांकीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.
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बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद नितिन नबीन ने इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को धन्यवाद दिया है.
उन्होंने कहा, “यह पार्टी के कार्यकर्ताओं का परिश्रम है. मैं तो मानता हूं कि कार्यकर्ता के रूप में काम करने से पार्टी के वरिष्ठ नेता हमेशा आप पर ध्यान देते हैं. मुझे जो आशीर्वाद मिला है… हम मिलकर काम करेंगे.”
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर नितिन को बधाई दी और लिखा कि एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है.
उन्होंने लिखा, “वे एक युवा और परिश्रमी नेता हैं, जिनके पास संगठन का अच्छा-खासा अनुभव है. बिहार में विधायक और मंत्री के रूप में उनका कार्य बहुत प्रभावी रहा है, साथ ही जनआकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने पूरे समर्पण भाव से काम किया है.”
मोदी ने लिखा “वे अपने विनम्र स्वभाव के साथ जमीन पर काम करने के लिए जाने जाते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता आने वाले समय में हमारी पार्टी को और अधिक सशक्त बनाएगी. भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर उन्हें हार्दिक बधाई.”
नितिन नबीन साल 2006 में पटना पश्चिम विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे. साल 2010 से 2025 तक वो लगातार पांच बार बांकीपुर सीट से जीतते आ रहे हैं.
नितिन नबीन फ़िलहाल बिहार की एनडीए सरकार में पथ निर्माण विभाग और नगर विकास एवं आवास मंत्री हैं.
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नितिन नबीन का जन्म मई 1980 में रांची, झारखंड में हुआ.
चुनाव आयोग को चुनावी हलफनामे के ज़रिए दी गई जानकारी के अनुसार नितिन नबीन के पिता का नाम नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा है और वो टेलर रोड, पटना के निवासी हैं.
इसके अनुसार उन्होंने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताया है.
चुनावी हलफनामे के अनुसार उन्हें किसी आपराधिक मामले में दोषी साबित नहीं किया गया है.
नितिन नबीन ने साल1996 में पटना के सेंट माइकल हाई स्कूल से मैट्रिक और 1998 में दिल्ली के सीएसकेएम पब्लिक स्कूल से इंटर की पढ़ाई पूरी की है.
कौन हैं नितिन नबीन?
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नितिन नबीन फिलहाल पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं और बिहार सरकार में मंत्री हैं.
वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण कहते हैं, “नितिन नबीन ने साल 2006 में राजनीति की शुरुआत की थी. मान सकते हैं कि उन्हें यह विरासत में मिली है. उनके पिता नवीन किशोर सिन्हा शुरुआती दौर में कई बार बीजेपी से विधायक रहे थे और पिता के निधन के बाद नितिन नबीन उस सीट से जीत रहे हैं.”
नितिन नबीन साल 2016-19 में बीजेपी युवा मोर्चा के बिहार स्टेट प्रेसिडेंट थे. उन्हें पहली बार नीतीश कुमार की सरकार में साल 2021 में मंत्री बनाया गया था.
नचिकेता नारायण एक रोचक बात याद करते हैं, “जिस तस्वीर के विरोध में नीतीश कुमार ने एक बार डिनर का कार्यक्रम रद्द कर दिया था, अख़बारों में वो तस्वीर दो विधायकों नितिन नबीन और संजीव चौरसिया ने छपवाई थी.”
“इस तरह से हम कह सकते हैं कि जब नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय राजनीति में कोई चर्चा नहीं थी, तब से ही नितिन नबीन का मोदी की तरफ झुकाव था.”
दरअसल यह घटना साल 2010 की है जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए बिहार की राजधानी पटना आए थे.
उस समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अख़बारों में छपे एक विज्ञापन पर अपनी नाराज़गी जताई थी.
अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा था ये विज्ञापन बिना उनकी अनुमति के छापा गया है.
उस वक़्त इस बात की भी काफ़ी चर्चा थी कि विज्ञापन से नाराज़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं के साथ डिनर का कार्यक्रम रद्द कर दिया था.
नचिकेता नारायण कहते हैं, “नितिन नबीन को बीजेपी का वर्किंग प्रेसिडेंट क्यों बनाया, यह तुरंत पक्के तौर पर बता पाना आसान नहीं है. लेकिन यह ज़रूर दिखाता है बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उनपर भरोसा करता है.”
बीजेपी ने क्यों बनाया कार्यकारी अध्यक्ष

बीजेपी में लंबे समय से नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर फ़ैसला नहीं हो पाया है. इस मुद्दे की चर्चा राजनीतिक हलकों के अलावा संसद में भी होती रही है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संसद में आरोप लगाया था कि बीजेपी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष तक नहीं चुन पाई है.
उस वक़्त इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह ने अखिलेश यादव के आरोपों के जवाब में कहा था कि बीजेपी कार्यकर्ताओं पर आधारित पार्टी है, पारिवारिक पार्टी नहीं है, इसलिए देरी होती है.
बीजेपी लंबे समय से जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ा रही है और इसलिए इस मुद्दे पर कई बार सवाल उठते रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, “यह एक आश्चर्य भरा फ़ैसला है. क़रीब तीन साल से जेपी नड्डा को एक्टेंशन दिया जा रहा है. और ऐसा लगता है कि इस मुद्दे पर सवालों से बचने के लिए बीजेपी ने वर्किंग प्रेसिडेंट बनाया है. लेकिन यह कदम सवालों को और ज़्यादा बढ़ाएगा.”
वो कहते हैं, “लोग अब यह भी पूछ सकते हैं कि क्या बीजेपी और आरएसएस में कोई मतभेद है. क्या बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में किसी एक नाम को लेकर सहमति नहीं है जो पूर्णकालिक अध्यक्ष न बनाकर अभी कार्यकारी अध्यक्ष का नाम सामने आया है?”
रशीद किदवई का मानना है कि बीजेपी जैसी बड़ी पार्टी के अध्यक्ष पद का काम जो भी नेता संभालेगा, उसके पास राष्ट्रीय स्तर पर एक विज़न होना चाहिए, उसे देश के अलग-अलग इलाक़ों में लोगों के साथ बैठकें करनी होती हैं.
फ़िलहाल यह तय नहीं है कि नितिन नबीन कितने दिनों के लिए इस पद पर रहेंगे.
हालांकि ऐसा कई बार देखा जाता है कि किसी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसी ऐसे शख्स को पार्टी की ज़िम्मेदारी सौंपता है जिसके साथ मिलकर काम को आसानी से आगे बढ़ाया जा सके.
लेकिन बीजेपी का यह फ़ैसला क्या राजनीतिक चर्चा को विराम देगा या विपक्ष इस मुद्दे पर नए सवाल खड़े करेगा, यह देखना अभी बाक़ी है.
क्या नितिन नबीन ही स्थायी अध्यक्ष होंगे?
पार्टी संविधान और नियम में कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका का ज़िक्र नहीं है.
ऐसे में माना जा रहा है कि वो नए अध्यक्ष के चुने जाने तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाएंगे.
या फिर उन्हें स्थायी अध्यक्ष बनाया जा सकता है?
वरिष्ठ पत्रकार ब्रिजेश शुक्ला ने बीबीसी से कहा, ” नितिन नबीन को फिलहाल कार्यकारी अधयक्ष बनाया गया है, इसके बाद बीजेपी के पास कुछ समय है वो इनकी कार्यशैली और कार्य क्षमता को देखेगी. फिर जनवरी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद इन्हें स्थायी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.