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नीतीश कुमार ने गुरुवार को 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
74 साल के नीतीश कुमार को बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
पटना के गांधी मैदान में गुरुवार को हुए समारोह में नीतीश कुमार के अलावा 26 कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली.
इनमें से 14 बीजेपी के, आठ जेडीयू के, दो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के और एक-एक हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोकमोर्चा (आरएलएम) के हैं.
इस बार नीतीश मंत्रिमंडल में नौ नए चेहरे हैं.
इनमें महुआ से एलजेपी (आरवी) के विधायक संजय कुमार सिंह भी हैं, जिन्होंने लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को हराया है.
नई कैबिनेट में एक मुस्लिम मंत्री और तीन महिलाएं हैं.
पिछली सरकार के मंत्री रहे एक दर्जन से अधिक नेताओं को इस बार नीतीश की नई कैबिनेट में जगह नहीं मिली. इनमें बिहार के पूर्व मुख्यमत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा भी हैं.
नई कैबिनेट के 26 मंत्रियों में 21 विधायक हैं.
26 नवंबर से नई विधानसभा के तीन दिनों का सत्र शुरू होगा. इसमें विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और नए सदस्य शपथ लेंगे.
नीतीश कुमार की कैबिनेट में जातीय समीकरणों का संतुलन साफ़ दिख रहा है.
आठ मंत्री सामान्य वर्ग से हैं, छह-छह पिछड़ी और अतिपिछड़ी जाति से और पाँच अनुसूचित जाति से.
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मंत्रिमंडल में जिन्हें नहीं मिली जगह
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नए मंत्रिमंडल में भाजपा के 15 और जदयू के छह मंत्रियों को फिर से मौक़ा नहीं दिया गया.
भाजपा की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के साथ नीरज कुमार सिंह, नीतीश मिश्रा, जनक राम, हरि सहनी, केदार प्रसाद गुप्ता, संजय सरावगी, जीवेश कुमार, राजू कुमार सिंह, मोतीलाल प्रसाद, कृष्ण कुमार मंटू, संतोष सिंह और कृष्णनंदन पासवान के नाम शामिल हैं.
रेणु देवी चार बार बेतिया से विधानसभा की सदस्य चुनी गई हैं.
बीजेपी से उनका नाता पुराना है. वो विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी की ज़िला अध्यक्ष रही हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार उन्होंने 1995 में नौतन से चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गईं. इसके बाद 2000 में बेतिया से उन्हें टिकट दिया गया, जहां से उन्होंने जीत दर्ज की.
नीतीश मिश्रा पिछली सरकार में उद्योग मंत्री थे. उन्होंने इस बार झंझारपुर से 50 हज़ार से ज़्यादा मतों से जीत हासिल की थी.
इससे पहले की सरकार में वो ग्रामीण विकास मंत्री और सोशल वेलफ़ेयर मंत्री रह चुके हैं.
वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा के बेटे हैं. उनके चाचा ललित नारायण मिश्रा भी जानेमाने राजनेता और मंत्री रहे थे.
साल 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी. उन पर उस वक्त हमला हुआ था जब वह समस्तीपुर ज़िले में ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का उद्घाटन करने गए थे.
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गया से नौवीं बार जीते प्रेम कुमार भी मंत्री नहीं बनाए गए हैं. हालांकि, उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है.
साल 1990 में पहली बार गया से जीत दर्ज करने के बाद से वह लगातार इस सीट पर अपनी दावेदारी साबित करते रहे.
उन्हें बीजेपी के पुराने नेताओं में गिना जाता है.
जाले से एक लाख से अधिक वोट हासिल कर जीतने के बाद भी जिवेश कुमार को मंत्री नहीं बनाया गया है.
वहीं जदयू की ओर से शीला कुमारी, जयंत राज, रत्नेश सदा और महेश्वरी हज़ारी पिछली सरकार में मंत्री थे, उन्हें नई सरकार में शामिल नहीं किया गया है.
जेडीयू के सुमित कुमार सिंह पहले की सरकार में विज्ञान, तकनीक और तकनीकी शिक्षा मंत्री थे.
चकाई से चुनाव हारने के कारण वो पहले ही विधानसभा की रेस से बाहर हो गए थे.
कैबिनेट में शामिल नए चेहरे
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नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल 26 में से 9 चेहरे नए हैं.
दीपक प्रकाश (आरएलएम)
उपेंद्र कुश्वाहा की पार्टी आरएलएम से इकलौते मंत्री के रूप में दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली है. वह उपेंद्र कुश्वाहा के बेटे हैं.
दीपक प्रकाश न तो विधायक हैं और न ही बिहार विधान परिषद के सदस्य. नियमों के मुताबिक़, दीपक प्रकाश को कैबिनेट में शामिल होने के छह महीने के भीतर राज्य विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा.यानी अब वह एमएलसी बन सकते हैं.
राम कृपाल यादव (बीजेपी)
64 साल के राम कृपाल यादव पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, पर ये पहली बार है जब वह बिहार कैबिनेट का हिस्सा बने हैं. उन्होंने इस बार बीजेपी की टिकट पर दानापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उनके सामने महागठबंधन से आरजेडी के उम्मीदवार रीतलाल यादव थे.
दिलीप जायसवाल (बीजेपी)
बीजेपी कोटे से मंत्रीपद की शपथ लेने वालों में 61 साल के दिलीप जायसवाल भी शामिल हैं. साल 2024 में उन्होंने किशनगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे.जिसके बाद उन्हें बिहार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी. वह तीन बार बिहार विधानपरिषद के सदस्य रह चुके हैं.
श्रेयसी सिंह (बीजेपी)
श्रेयसी सिंह ने लगातार दूसरी बार बीजेपी की टिकट पर जमुई सीट से जीत दर्ज की है, लेकिन ये पहली बार है जब उन्हें मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया है. श्रेयसी सिंह एक मशहूर निशानेबाज़ भी हैं.
उन्होंने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स (गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया) के महिला डबल ट्रैप इवेंट में गोल्ड मेडल जीता था. इससे पहले उन्होंने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स (ग्लासगो, स्कॉटलैंड) में रजत पदक हासिल किया था.
श्रेयसी सिंह के पिता स्वर्गीय दिग्विजय सिंह अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे.
संजय सिंह (बीजेपी)
आरा से बीजेपी विधायक संजय सिंह उर्फ़ टाइगर पूर्व में भी (साल 2010) विधायक रह चुके हैं लेकिन पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं.
रमा निषाद (बीजेपी)
बिहार सरकार में मंत्री बनीं रमा निषाद मुज़फ़्फ़रपुर के राजनीतिक परिवार से आती हैं.उन्होंने ज़िले की औराई सीट से पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की.
लेकिन विधायक बनने से पहले रमा निषाद का नगर परिषद की राजनीति में लंबा करियर रहा है. 58 साल की रमा निषाद पिछले तीस सालों से राजनीति में सक्रिय हैं.
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संजय कुमार पासवान (एलजेपी-आरवी)
संजय कुमार पासवान चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी(आरवी) के जनरल सेक्रेटरी हैं. वह पहली बार विधायक चुने गए और उन्होंने पहली बार मंत्री पद की शपथ भी ली.
संजय कुमार सिंह, एलजेपी-आरवी
एलजेपी-आरवी के कोटे से ही पहली बार विधायक और मंत्री बने हैं संजय कुमार सिंह. उन्होंने चर्चित महुआ सीट से चुनाव लड़ा था. इसी सीट से लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव भी चुनावी मैदान में थे.
प्रमोद कुमार चंद्रवंशी, बीजेपी
प्रमोद कुमार चंद्रवंशी वर्तमान में बिहार बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं. वह पहली बार मंत्री बनाए गए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.