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- Author, रजनीश कुमार
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 दिसंबर को आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र देते हुए एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब खींच दिया था.
नीतीश कुमार का यह व्यवहार भारत के मीडिया तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और ख़ास कर मुस्लिम बहुल देशों में भी चर्चा का विषय बना.
तुर्की से लेकर क़तर तक के मीडिया में नीतीश कुमार के इस व्यवहार की आलोचना हुई. पाकिस्तान में भी लोग कहने लगे कि भारत में मुसलमान होना आसान नहीं है.
नीतीश कुमार क़रीब दो दशक से बिहार के मु्ख्यमंत्री हैं और उनकी पहचान, इस व्यवहार से मेल नहीं खाती है.
ऐसे में विपक्षी पार्टियां भी कह रही हैं कि नीतीश कुमार की सेहत अब किसी अहम सरकारी पद के लायक नहीं है.
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के एक प्रवक्ता से मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि यह विषय उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है.
जून 2022 में नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद पर एक विवादित टिप्पणी की थी. इस पर मुस्लिम देशों से तीखी प्रतिक्रिया आई थी. बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
नीतीश कुमार भी बीजेपी के अगुआई वाले एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में अहम साझेदार हैं. नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर विवाद हुआ तो कहा गया कि पश्चिम एशिया में भारत की छवि को नुक़सान पहुँचा है.
इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पश्चिम एशिया के दौरे पर हैं, तब नीतीश कुमार से जुड़ा यह विवाद सामने आया है. पश्चिम एशिया में भारत के बड़े कारोबारी साझेदार हैं और लाखों की संख्या में यहां भारतीय कामगार रहते हैं.
ऐसे में भारत में कुछ भी होता है तो इसका असर वहाँ भी पड़ता है.
अरब जगत में प्रतिक्रिया
अल जज़ीरा की अरबी भाषा की वेबसाइट ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.
अल जज़ीरा ने लिखा है, “इस घटना ने भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ व्याप्त नस्लवाद की बहस को फिर से सामने ला दिया है. हालांकि वे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें कई स्तरों पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का शिकार बनाया जाता है.”
मिडिल ईस्ट इवेंट्स नाम के मीडिया संस्थान ने भी एक्स पर नीतीश कुमार का वीडियो शेयर करते हुए पूरी घटना का ज़िक्र किया है.
एक्स पर एक पोस्ट में मिडिल ईस्ट इवेंट्स ने लिखा, “क्या आप जानते हैं कि भारत में क़रीब 22 करोड़ मुसलमान रहते हैं और वे देश की आबादी का 15 फ़ीसदी हिस्सा हैं?”
इस्लामी स्कॉलर और क़तर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर अली अल-क़रादाग़ी ने भी इस घटना पर टिप्पणी की है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “मैं इस घटना को गरिमा पर आक्रमण के रूप में देखता हूँ. मैं इसे ऐसे राज्य का संकेत मानता हूँ जो ‘भिन्नता’ से डरता है और इस तरह सबसे कमज़ोर लोगों पर अपनी ताक़त का प्रदर्शन करता है. जो सत्ता आज हिजाब हटा रही है, वो कल किसी भी ऐसे अधिकार को छीन लेगी जो उसे पसंद नहीं है.”
पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थान द डॉन ने भी इस मामले पर रिपोर्ट की है. अख़बार लिखता है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में इस घटना को लेकर रोष देखा जा रहा है.
अख़बार के मुताबिक, “इसकी गंभीरता को समझने के लिए किसी विशेष धर्म से संबंधित होना ज़रूरी नहीं है.”
अल-अरबीय टीवी ने भी वीडियो ने पोस्ट करते हुए लिखा, “एक महिला डॉक्टर का चेहरा सामने आने से बिहार राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ विवादों का तूफान खड़ा हो गया है. मुस्लिम महिला ने नकाब से अपना चेहरा ढका है…इसका सम्मान करें!”
भारत की छवि पर असर?
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दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पश्चिम एशिया अध्ययन केंद्र में एक प्रोफ़ेसर ने नाम नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर कहा कि भारत में ऐसी चीज़ें होती हैं तो निश्चित तौर पर देश की छवि पर असर पड़ता है.
उन्होंने कहा, ”देखिए प्रतिक्रिया दो तरह की होती है. एक स्टेट की और दूसरे स्ट्रीट की. नीतीश कुमार के मामले अरब के देश वैसी तीखी प्रतिक्रिया नहीं देंगे क्योंकि उनके यहाँ भी बहु-सांस्कृतिक माहौल नहीं है. लेकिन पश्चिम एशिया के आम लोगों में भारत की छवि बहुत अच्छी रही है. मैंने ख़ुद मिस्र और अल्जीरिया जैसे देशों में स्टूडेंट्स के स्टडी रूम में महात्मा गांधी की तस्वीरें देखी हैं.”
”पश्चिम एशिया के आम लोगों में भारत की छवि बहु-सांस्कृतिक, बहुभाषिक, बहुधार्मिक और उदार लोकतंत्र की है. भारत में धर्म के आधार पर किसी पर हमला होता है, तो इस छवि पर असर पड़ता है. दुनिया पर भर में दो मुद्दे बहुत ही संवेदनशील हो गए हैं. एक मुद्दा इस्लामोफ़ोबिया का है और दूसरा एंटी सेमिटिजम यानी यहूदी विरोधी का. भारत में पहले से ही कई चीज़ें हो रही हैं, जिन्हें सीधे इस्लामोफ़ोबिया से जोड़ा जाता है.”
सऊदी अरब में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद कहते हैं कि भारत की 12 साल पहले जो छवि थी, वो टूट चुकी है.
तलमीज़ अहमद कहते हैं, ”किसी भी देश की आंतरिक राजनीति में कुछ होता है तो दुनिया के ज़्यादातर देश बोलने से बचते हैं. लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर तो पड़ता है. 12 साल पहले भारत की छवि थी कि यहाँ हर इंसान को बराबरी का अधिकार मिला है और किसी के साथ भेदभाव नहीं होता है. भारत की छवि मल्टिकल्चरल ऑर्डर वाली थी.”
तलमीज़ अहमद कहते हैं, ”ये हर कोई जानता है कि नीतीश कुमार ने जो किया, वह उनकी राजनीति से मेल नहीं खाता है. लेकिन भारत की राजनीति में जो कुछ हो रहा है, इसे उसी की निरंतरता में देखा जा रहा है. भारत में जो हो रहा है, उसके बारे में वह बहुत बात नहीं करता है. भारत अब ज़्यादा अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के साथ वैश्विक प्रभाव के बारे में बात करता है.”
”भारत ने पूरा डिस्कोर्स शिफ्ट कर दिया है. तुर्की को छोड़कर कोई भी मुस्लिम देश भारत के मामले में नहीं बोलता है. ज़्यादातर मुस्लिम देश इसलिए भी चुप रहते हैं कि उनका भी घरेलू मामला बहुत आदर्शवादी नहीं है. तुर्की का एक स्ट्रैटिजिक एजेंडा है, इसलिए कुछ न कुछ करते रहता है.”
बदल चुका है भारत?
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तलमीज़ अहमद कहते हैं, ”दुनिया भर में बड़ी तब्दीली हो रही है. पश्चिम की एकता टूट रही है. पश्चिम के जो मूल्य थे, वो भी नहीं रहे. अमेरिका का जो रूतबा था, वो भी नहीं रहा. जिन देशों को हम मिडिल पावर कहते हैं, वे अपनी ताक़त दिखा रहे हैं और भारत भी उन्हीं देशों में से एक है. भारत जिस तरह से बदल रहा है, वो उसी बदलती दुनिया के साथ है.”
”पश्चिम एशिया के ज़्यादातर देशों में लोकतंत्र नहीं है. ऐसे में लोग भारत को किस रूप में ले रहे हैं, वह खुलकर नहीं आता है. भारत में एक तरीक़े का पॉप्युलिस्ट मूवमेंट चल रहा है. लेकिन इस मूवमेंट के आईने में देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि सब कुछ बदल चुका है. लेकिन ऐसा नहीं भारत एक पुरानी सभ्यता है और महज कुछ सालों में सब कुछ मिट नहीं जाएगा.”
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और जाने-माने लेखक अपूर्वानंद को लगता है कि नीतीश ने जो कुछ भी किया है, उसे लेकर एक सभ्य समाज में भारी नाराज़गी दिखनी चाहिए थी.
प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने एक्स पर लिखा है, ”नीतीश की यह हरकत किसी सभ्य समाज में भारी आक्रोश पैदा करने वाली होनी चाहिए थी लेकिन हम हिन्दू अब सभ्यता से ही नाराज़ दिखाई देते हैं. इसके बजाय, मैं देखता हूँ कि लोग इसमें आनंद ले रहे हैं. हमें मुख्यमंत्री से माफ़ी की माँग करनी चाहिए. इससे भी अधिक उचित होगा कि वह इस्तीफ़ा दें.”
बिहार में जनसुराज पार्टी के अध्यक्ष और इंडोनेशिया में भारत के राजदूत रहे मनोज भारती कहते हैं कि देश में ऐसी चीज़ें होती है तो भारत की छवि पर दुविधा बढ़ती है. मनोज भारती मानते हैं कि जब दुनिया भर में इस्लामोफोबिया को लेकर बहस बढ़ रही है, ऐसे में भारत में भी कोई चीज़ होती है तो इससे जोड़ा जाता है.
नीतीश कुमार को लेकर पाकिस्तान में काफ़ी नाराज़गी जताई जा रही है.
इंटरनेशनल मुस्लिम वुमन यूनियन की अध्यक्ष डॉ समीहा राहील क़ाज़ी ने कहा कि हिजाब पहनना एक महिला की निजी स्वतंत्रता और मज़हबी अधिकार है.
उन्होंने कहा, ”सत्ता में बैठा पुरुष जबरन किसी महिला का हिजाब हटाता है तो यह मानवीय मर्यादा, इंसाफ़ और नैतिकता का उल्लंघन है. इस मामले में क़ानूनी प्रक्रिया भी शुरू करनी चाहिए. इस मामले को मानवाधिकार आयोग में ले जाना चाहिए.”
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक अम्मार मसूद ने नीतीश कुमार के वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए लिखा है, ”भारत में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार की यह दुखद मिसाल है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियुक्ति पत्र देते हुए एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नकाब जबरन खींच दिया.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.