जैसे ही बारिश की वजह से मेलबर्न में तीसरे दिन का खेल रुका, मैदान में मौजूद हज़ारों दर्शकों ने नीतीश कुमार रेड्डी के मम्मी-पापा और बहन को बधाई देने के लिए घेर लिया.
नीतीश शतक बनाने के बाद चर्चा में हैं, लेकिन कल तक ऐसी स्थिति नहीं थी. कल के खेल के बाद अब मीडिया से लेकर हर कोई उनके बारे में जानकारियां जुटा रहा है.
लेकिन, ये भावनात्मक प्रतिक्रिया सिर्फ मीडिया वालों की ही नहीं बल्कि हर पूर्व खिलाड़ी और फैंस की है, जो रेड्डी की सादगी के दीवाने हो चुके हैं.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इंतज़ार हो रहा था रेड्डी का, लेकिन आए वॉशिंगटन सुंदर, जिन्होंने बेहद संजीदगी से रेड्डी की पारी की तारीफ़ की और उनके निराले खेल के बारे में ये कहा कि आने वाले वक्त में आपको इस खिलाड़ी से काफी कुछ देखने को मिलेगा.
वैसे, सिर्फ़ छह महीने पहले नीतीश के ही राज्य से आने वाले हनुमा विहारी ने आईपीएल में उनकी सिर्फ़ 14 रनों की नाबाद पारी देखने के बाद ये भविष्यवाणी कर दी थी कि बहुत जल्द ये खिलाड़ी न सिर्फ आईपीएल बल्कि भारतीय क्रिकेट में धमाल मचाएगा.
उन्होंने कहा था कि उन पर निवेश करें क्योंकि सीम बॉलिंग वाले ऑलराउंडर भारतीय क्रिकेट में बहुत कम देखने को मिलते हैं.
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया के लिए सिरीज़ का नतीजा भले ही जैसा भी रहे लेकिन इस बात में शायद ही दोराय हो कि नीतीश कुमार रेड्डी के तौर पर देश को भविष्य का एक शानदार खिलाड़ी मिला है.
अगर भारतीय क्रिकेट के इतिहास को देखें तो सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों ने अपने शानदार करियर की झलक ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर ही दी थी.
यशस्वी जायसवाल भी उसी राह पर चल रहे हैं लेकिन जो कमाल अब रेड्डी ने दिखाया है, वो अपने आप में एक अनोखी बात है, क्योंकि इस दौरे पर उनके चयन को लेकर ही आलोचकों ने सवाल खड़े कर दिये थे.
कहा ये जा रहा था कि आख़िर पिछले दौरे के कामयाब ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर को नज़रअंदाज़ करके आंध्रप्रदेश के इस युवा खिलाड़ी में हेड कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने ऐसा क्या देख लिया कि दौरे के पहले चार मैचों में रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, वॉशिंगटन सुंदर और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों को हर मैच में खेलने के मौके़ नहीं मिले, लेकिन रेड्डी हमेशा कोहली और बुमराह की तरह प्लेइंग इलेवन में बने रहे.
मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में जब रेड्डी बल्लेबाज़ी के लिए मैदान पर उतरे तो आधी टीम महज़ 157 रनों के स्कोर पर पवेलियन लौट चुकी थी.
इसके बाद जिस तरह से आक्रामकता और संयम का बेहतरीन तालमेल दिखाते हुए रेड्डी ने शतक लगाया उसे भारतीय क्रिकेट के बेहतरीन लम्हों में गिना जा सकता है.
ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर सिर्फ़ सचिन तेंदुलकर और ऋषभ पंत ने ही रेड्डी से कम उम्र में शतक जमाने का रिकॉर्ड बनाया है.
इतना ही नहीं आठवें नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन पर शतक बनाने वाले वो पहले खिलाड़ी भी हैं.
पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी और ब्रिसबेन टेस्ट की इकलौती पारी को छोड़ दिया जाए तो अब तक दौरे पर खेली गयी छह पारियों में से चौथी बार रेड्डी ही टीम के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे हैं.
सबसे अहम बात ये है कि इस दौरान हर पारी में रेड्डी ने अपनी कौशल और योग्यता के अलग-अलग पहलुओं से खेल प्रेमियों का परिचय कराया है.
क्या रेड्डी को तीसरे नंबर पर भेजा जा सकता है?
रेड्डी अगर निचले क्रम में ताबड़तोड अंदाज़ से खेलते हुए ये दिखाते हैं कि वो टी20 क्रिकेट की आक्रामकता के कायल हैं, तो ज़रूरत पड़ने पर उन्होंने संयम का भी परिचय दिया है.
इसलिए कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने ये भी तर्क दिया है कि क्या रेड्डी को बचे हुए मैचों में तीसरे नंबर पर भी भेजने के बारे में सोचा जा सकता है?
सबसे मज़ेदार बात ये है कि संजय मांजरेकर ने बॉक्सिंग डे टेस्ट से ठीक पहले गिल को टीम से बाहर किए जाने पर टीम मैनेजमेंट की खिंचाई की थी.
उनका तर्क था कि जो खिलाड़ी बल्ले से आपको शतक न दे पाये और न गेंद से एक पारी में पांच विकेट लेने की क्षमता दिखाए, उसे आप प्लेइंग इलेवन में कैसे शामिल कर सकते हैं.
मांजरेकर का तर्क था कि रेड्डी जैसे खिलाड़ी टी20 और वन डे के लिए तो ठीक हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वो अब भी फिट नहीं बैठते और इसके लिए उन्होंने दौरे से पहले रेड्डी के फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी के आकंड़ों का सहारा लिया था.
लेकिन, मांजरेकर के ही साथी खिलाड़ी और मौजूदा समय में मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और कोच गौतम गंभीर ने आंकड़ों की बजाय प्रतिभा और खिलाड़ियों की योग्यता पर भरोसा दिखाया और रेड्डी ने उस भरोसे को सौ फीसदी सही साबित किया.
चयन पर सोशल मीडिया में थी ऐसी प्रतिक्रिया
जिस तरह से सोशल मीडिया और यहां तक कि मुख्यधारा की मीडिया में रेड्डी के चयन को लेकर लगातार तंज़ कसे गये उससे कोई भी विचलित हो सकता था लेकिन रेड्डी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.
आख़िर पड़ता भी कैसे क्योंकि उन्होंने शुरुआत से ऐसी बातों को झेला है.
2016-17 में अंडर 16 क्रिकेट में विजय मर्चेंट ट्रॉफ़ी में उन्होंने 345 गेंदों पर 441 रनों की पारी खेली तो आलोचकों ने कहा, “अरे, ये तो नगालैंड के ख़िलाफ़ बनाए जिसका क्रिकेट जगत में वजूद न के बराबर है.”
हालांकि, इस सीज़न के लिए पाँच साल की उम्र से क्रिकेट खेलने वाले रेड्डी को अंडर-16 का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया. पूरे सीज़न में उन्होंने 26 विकेट झटके थे.
रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं. इस दक्षिण भारतीय राज्य से कर्नाटक या तमिलनाडु की तरह क्रिकेट के कई सारे खिलाड़ी नहीं आए हैं.
लेकिन, एमएसके प्रसाद के तौर पर आंध्र के पास एक पूर्व खिलाड़ी था जिनका विज़न ऐसा रहा कि उन्होंने अपने राज्य से नई प्रतिभाओं को तराशने की ज़िम्मेदारी ली.
रेड्डी ने शुरुआती दौर में प्रसाद की शागिर्दगी में क्रिकेट सीखी जो इस बात पर आश्वस्त थे कि हार्दिक पंड्या के बाद टीम इंडिया को एक ऐसा ऑलराउंडर मिल चुका है, जो ज़रूरत पड़ने पर टॉप ऑर्डर में बल्लेबाज़ी भी कर सकता है और नियमित तौर पर हर दिन 15 से 20 ओवर की सटीक गेंदबाज़ी भी कर सकता है.
मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन रेड्डी के शतक और वॉशिंगटन सुंदर के अर्धशतक ने न सिर्फ पहले फॉलो-ऑन के ख़तरे को टाला बल्कि काफी दबाव को भी हटाने में कामयाबी हासिल की.
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौक़ा रहा जब नंबर आठ और नंबर नौ दोनों बल्लेबाज़ों ने एक ही पारी के दौरान 150 से ज़्यादा गेंदों का सामना किया हो.
बहरहाल, रेड्डी अब भी नाबाद हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित