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नीतीश के करीबी या कलह के सूत्रधार? ashok chaudhary who is pawn that is sinking jdu or mastermind behind conspiracy against nitish know inside story

Byadmin

Oct 3, 2024


पटनाः बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी अब धीरे धीरे विवादों के सरताज बनते जा रहे हैं। हालांकि इन विवादों के जरिए खुद तो कठघरे में खड़े होते ही हैं पार्टी को भी शामिल कर लेते है। एक बार फिर मंत्री अशोक चौधरी अपने विवादित बयान के लिए चर्चा में है। अशोक चौधरी ने इस बार के बयान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगातार हवाई चौकसी को भी कमतर बता कर विपक्ष को हमलावर होने का एक मौका और दे दिया। अशोक चौधरी ने ऐसे समय में यह बयान दिया, जब अगले कुछ महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

बाढ़ से नुकसान पर अशोक चौधरी ने उठाए सवाल

इस बार जाने-अनजाने मंत्री अशोक चौधरी ने मुख्य़मंत्री के बेहद करीबी मंत्री विजय चौधरी पर हमला बोल डाला। अशोक चौधरी ने विजय चौधरी के विभाग को ही कटघरे में खड़ा कर डाला। अब इसे गुटबाजी कहे या जाने-अनजाने खुद को मिस्टर क्लीन साबित करने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी का प्रयास। लेकिन गांधी जयंती के दिन उनका यह कहना कि जल संसाधन विभाग और हम लोग थोड़े और चौकस रहते तो हो सकता था कि बाढ़ से जो नुकसान हुआ है वह नहीं होता।

अशोक चौधरी के बयान से जेडीयू के अंदर भूचाल

इसके पहले जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि यह तो विभाग चौकस रहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार सजग और सक्रियता के साथ मॉनिटरिंग करते रहे जिसके कारण बड़े नुकसान पर लगाम लगाया जा सका। पर इसके बाद अशोक चौधरी का बयान जदयू के भीतर भूचाल ले आया। पार्टी का अंतर्कलह सामने आ गया। जदयू के भीतर गुटबाजी को ले कर जो चर्चा हो रही थी अब उसके चरम पर पहुंचने के संकेत मिलने लगे हैं।

डैमेज कंट्रोल को आगे आए प्रवक्ता नीरज कुमार

हालांकि मंत्री अशोक चौधरी के बयान के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार सामने आए और कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ को मसले पर शुरू से ही संवेदनशील रहे हैं। वह हमेशा सजग सचेत और सतर्क रहते हैं। दूसरों को भी इसी मोड में रखते हैं। आखिर यह बातें कुछ लोगों को कैसे याद नहीं रहती हैं और कुछ भी कह जाते हैं। उन्होंने राहत और बचाव कार्य की तारीफ की कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ पीड़ितों को सात-सात हजार रुपया देने वाले हैं।

अशोक चौधरी के सिर पर किसका हाथ?

राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि लगातार विवादास्पद बयान देने वाले मंत्री अशोक चौधरी के सिर पर किसका हाथ है? ये लगातार विवादित बयान से सरकार को पार्टी के जातीय समीकरण को यहां तक कि पार्टी के कद्दावर नेताओं को भी कठघरे में खड़े कर जा रहे हैं। लेकिन अनुशासन प्रिय राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौन क्यों है? वह भी तब जब भूमिहार वाले प्रकरण पर पार्टी को जबरदस्त विरोध को सामना करना पड़ा। कविता को लेकर भी अशोक चौधरी बुरे फंसे। बिम्ब के जरिए बूढ़ा शब्द का प्रयोग करना अशोक चौधरी के गले की फंस हो गई। पार्टी के भीतर इस बूढ़े शब्द को नीतीश कुमार से जोड़कर अशोक चौधरी की कविता का जम कर विरोध किया। विरोध इतना बढ़ा कि सीएम नीतीश कुमार ने अपने आवास पर अशोक चौधरी को बुला कर समझाया तब जा कर विवाद संभला।

गुटों में बंटी जदयू की यह आवाज है-ओम प्रकाश अश्क

वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क कहते हैं कि जदयू की गुटबाजी कोई नई बात नही। पर इधर बातें अब बाहर आने लगी है। यह जदयू के राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। वह भी विधानसभा चुनाव जब सिर पर है। देखा जाए तो इस बार नीतीश कुमार का इकबाल खत्म होते दिख रहा है। अंदर की भड़की आग अब विपक्ष को मुद्दे थमा रही है। लेकिन अशोक चौधरी अभी तक अनुशासन के दायरे में नहीं लाए गए। चाहे वह भूमिहार वाला प्रसंग हो या फिर कविता वाला। उन्हें थोड़ी छूट मिलते गई। और तो और सीएम नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को राष्ट्रीय महासचिव बना कर एक सकारात्मक संदेश दे डाला। इस से पार्टी के भीतर अंतर्कलह बढ़ गया। सवाल है कि अशोक चौधरी के सिर पर किसका हाथ है? क्या अशोक चौधरी कोई बड़ा गेम खेल रहे है? ऐसे कई सवाल खड़े तो किए जा रहे हैं।

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