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नीलामी नोटिस के बाद संपत्ति वापस नहीं ले सकते ऋणकर्ता, सुप्रीम कोर्ट ने रद किया मद्रास हाई कोर्ट का फैसला

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Sep 23, 2025


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऋणदाता नीलामी नोटिस के प्रकाशन के बाद संपत्ति वापस नहीं ले सकते। सरफेसी एक्ट के तहत बैंकों द्वारा बिक्री प्रमाणपत्र जारी होने पर खरीदारों को संपत्ति का अधिकार मिल जाता है। कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कर्जदारों को संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दी गई थी। पीठ ने सरफेसी एक्ट की धारा 13(8) में संशोधन का हवाला दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया ऋणकर्ता नीलामी नोटिस के प्रकाशन के बाद अपनी संपत्ति वापस नहीं ले सकते। जब ऋणदाता बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा बिक्री प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, तब खरीदारों को अचल संपत्ति के अधिकार मिल जाते हैं, जो सरफेसी एक्ट के अंतर्गत आता है।

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बता दें कि सरफेसी एक्ट 2002 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बिना किसी न्यायालय के हस्तक्षेप के किस्त अदा न करने वाले ऋणकर्ताओं से वसूली करने का अधिकार देता है। यह उन्हें गिरवी रखी गई संपत्ति जैसे घर या वाणिज्यिक संपत्ति को जब्त करने और उसे बेचकर अपने पैसे की रिकवरी करने की शक्ति देता है।

सुप्रीम कोर्ट ने रद किया मद्रास हाई कोर्ट का फैसला

शीर्ष कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया, जिसने एक वैध रूप से आयोजित नीलामी को रद करते हुए कर्जदारों को उनकी संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दे दी थी, जबकि सफल नीलामी खरीदारों को बिक्री प्रमाण पत्र पहले ही जारी किया जा चुका था।

पीठ ने क्या कहा?

जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि सरफेसी एक्ट 2002 वित्तीय संपत्तियों का सिक्योरिटाइजेशन और रिकंस्ट्रक्शन के लिए बनाया गया था ताकि बैंकों और वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा बनी रहे लेकिन कुछ अस्पष्टताएं लंबी कानूनी लड़ाइयों का कारण बन रही हैं।

उन्होंने सरकार से इन अस्पष्टताओं को दूर करने का भी अनुरोध किया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सरफेसी एक्ट की धारा 13(8) में 2016 में किए गए संशोधन के अनुसार, जब सुरक्षित ऋणदाता नीलामी नोटिस प्रकाशित करता है तो उधारकर्ता का पुन: प्राप्ति का अधिकार समाप्त हो जाता है। यह उन ऋणों पर भी लागू होगा जो संशोधन के लागू होने से पहले लिए गए थे।

पीठ ने कहा कि सरफेसी एक्ट का उद्देश्य एनपीए में बड़े ऋणों की वसूली के लिए त्वरित प्रक्रियाएं प्रदान करना है।

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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