आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब किसानों की भी मदद कर रहा है इसके इस्तेमाल से उनकी लागत भी कम हुई है और मुनाफा भी बढ़ा है. हालांकि खेती-किसानी से जुड़े एआई ऐप काफी महंगे होते हैं इस वजह से किसानों की पहुंच उन तक नहीं हो पाती है. इसकी इंस्टॉलेशन की लागत करीब 5000 रुपये से लेकर 25000 रुपयों के बीच है.
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया भर के नौकरीपेशा लोगों के लिए एआई एक वरदान बनकर सामने आया है और सिर्फ नौकरी ही नहीं रोजमर्रा की निजी जरूरतों के समाधान के लिए भी एआई मददगार साबित हुआ। इस बीच कर्नाटक के खेती-किसानी करने वाले आर मुरली से भी एआई अछूता नहीं है।
“यह तो हर रोज की बात है, ये बिल्कुल उस तरह है जैसे हम हर रोज अपने भगवान की पूजा करते हैं.”
आर मुरली, किसान
मुरली के खेत में ऐसे सेंसर लगे हैं जो मिट्टी की नमी, पोषक तत्वों के स्तर और मौसम को लेकर पूर्वानुमान पर लगातार अपडेट देते हैं। वह कहते हैं, “ऐप पहली चीज है जिसे मैं जागते ही चेक करता हूं.”
मुरली ने कहा कि उन्होंने एक स्टार्टअप ‘फसल’ की ओर से विकसित एआई सेवा का इस्तेमाल किया है। इसके जरिए खेत या फसल को कब और कितना पानी, खाद और कीटनाशक की आवश्यकता है, इसकी मॉनिटरिंग होती है। इसके इस्तेमाल से किसानों की लागत 20 प्रतिशत तक कम हुई है।
‘फसल’ ऐप और किसानों के बीच क्या बन रहा रोड़ा?
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन ‘फसल’ के प्रोडक्ट के इंस्टॉलेशन की लागत 5000 रुपये से लेकर 25000 रुपयों के बीच है.सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में किसानों की औसत मासिक आय करीब 10 हजार रुपये है और 85 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास 5 एकड़ से कम जमीन है।
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