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न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के GM हितेश मेहता को मुंबई पुलिस ने किया गिरफ्तार, 122 करोड़ की हेराफरी का आरोप

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Feb 15, 2025


मुंबई पुलिस ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक हितेश मेहता को 122 करोड़ रुपये के गबन मामले में गिरफ्तार किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के बोर्ड को बर्खास्त कर एक साल के लिए प्रशासक नियुक्त किया था और खाताधारकों की चिंताओं के कारण पैसे निकालने पर रोक लगा दी थी। आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की जांच शुरू की जिसमें मेहता पर साजिश और धोखाधड़ी का आरोप है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई पुलिस ने शनिवार को न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक हितेश मेहता को बैंक के 122 करोड़ रुपये के कथित गबन के सिलसिले में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को न्यू कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को एक साल के लिए बर्खास्त कर दिया था और इसके कामकाज के प्रबंधन के लिए एक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया। इससे एक दिन पहले, आरबीआई ने बैंक में खाताधारकों की पैसों की चिंता का हवाला देते हुए पैसे निकालने पर रोक लगा दी थी।
आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया मामला

एक अधिकारी ने बताया कि मेहता और अन्य के खिलाफ शिकायत के आधार पर पुलिस ने शनिवार तड़के मामला दर्ज किया, जिसे जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया।उन्होंने बताया कि बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को मध्य मुंबई के दादर पुलिस थाने में मेहता और अन्य के खिलाफ गबन की शिकायत दर्ज कराई।

शिकायत में क्या कहा गया?पुलिस अधिकारी ने कहा, “शिकायत के अनुसार, मेहता ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश रची और बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपये का गबन किया।”

“शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316 (5) (लोक सेवकों, बैंकरों और भरोसेमंद पदों पर बैठे अन्य लोगों द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 61 (2) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।” पुलिस अधिकारी

उन्होंने कहा कि मामले को इसके दायरे को देखते हुए ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया है।बैंक की कितनी शाखाएं?न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की 28 शाखाएं हैं और उनमें से ज्यादातर मुंबई में स्थित हैं, जबकि दो पड़ोसी गुजरात के सूरत में और एक पुणे में है। बैंक के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई से उसके ग्राहकों में खलबली मच गई, जो शुक्रवार को सुबह से ही अपनी बचत तक पहुँचने की उम्मीद में इसकी शाखाओं में उमड़ पड़े, लेकिन उन्हें परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
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