छत्तीसगढ़ का चिरमिरी शहर अपनी अनूठी परिवहन व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है। कोयला खदानों के लिए मशहूर इस शहर में ऑटो टोटो या टैक्सी नहीं चलती। यहां लोग लिफ्ट लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बसे इस शहर में सार्वजनिक परिवहन की कमी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा शहर है, जो अपने अनूठे ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए जाना जाता है। कोयले की खदानों के लिए मशहूर इस शहर में न कोई ऑटो रिक्शा चलती है, न टोटो और न ही टैक्सी। यहां के लोग एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने के लिए लिफ्ट का सहारा लेते हैं।
दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बसे इस शहर का नाम चिरमिरी है। आबादी महज 85 हजार और क्षेत्रफल 29 किलोमीटर से ज्यादा। आठ अलग-अलग पहाड़ी क्षेत्रों में फैले चिरमिरी की भौगोलिक स्थिति के कारण सार्वजनिक परिवहन का यहां अभाव है।
आदत बन गई शहर की संस्कृति
स्थानीय लोग बताते हैं कि अविभाजित मध्य प्रदेश के समय यहां काम करने वाले कोयला मजदूरों के पास स्कूटर नहीं होते थे। इसलिए वह आने-जाने के लिए रास्ते से गुजरने वाले लोगों से लिफ्ट लिया करते थे। समय के साथ यही आदत यहां की प्रथा बन गई।
बताते हैं कि आज भी अगर कोई व्यक्ति यहां किसी को सड़क किनारे इंतजार करते हुए दिखाई पड़ जाता है, तो कार चालक या मोटरसाइकिल सवार उसे रुककर लिफ्ट ऑफर करते हैं। अजनबियों को भी इससे बाहर नहीं रखा जाता। जो लोग शहर में नए हैं, उन्हें खासकर लिफ्ट ऑफर की जाती है।
शहर की पूर्व महापौर डमरू रेड्डी ने सिटी बस सेवा शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन ये कारगर नहीं हो पाई। बसें टूट-फूट गईं और हाल ही में इनका 10 साल का सरकारी टेंडर भी खत्म हो गया। ढलान और जंगलों से घिरे होने के कारण यहां ऑटो रिक्शा भी प्रैक्टिकल नहीं है। ऐसे में लिफ्ट लेना ही यहां की संस्कृति का हिस्सा है।