डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ बुधवार (12 नवंबर) को वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई करने वाली है। इससे पहले मंगलवार को सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाना शुरू हो गया है।
इससे दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता का स्तर और बिगड़ रहा है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस बाबत दोनों राज्यों की सरकारों से जवाब मांगा जाए। इस मामले में अपराजिता सिंह न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रही हैं। जस्टिस के. विनोद चंद्रन भी इस पीठ के सदस्य हैं।
बहरहाल, अपराजिता ने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए नासा के सेटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया कि इन दोनों राज्यों में पराली जलाना शुरू हो गया है और यह दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का बेखौफ उल्लंघन किया जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि इन राज्यों को वर्तमान स्थिति पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। चीफ जस्टिस गवई ने कहा, ”हम बुधवार को कुछ आदेश पारित करेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई
गौरतलब है कि तीन नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था जिसमें दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को गंभीर स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया हो।
यह पीठ एमसी मेहता मामले की सुनवाई कर रही थी और इसने कहा था कि अधिकारियों को सक्रियता से काम करना चाहिए तथा प्रदूषण के स्तर के ”गंभीर” स्तर तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना चाहिए। न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने उन मीडिया रिपोर्टों को चिह्नित किया था जिनमें संकेत दिया गया था कि दिवाली के दौरान दिल्ली में कई वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र काम नहीं कर रहे थे।
पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण
उन्होंने कहा, ”अखबारों में लगातार खबरें आ रही हैं कि निगरानी केंद्र काम नहीं कर रहे हैं। अगर निगरानी केंद्र काम ही नहीं कर रहे हैं, तो हमें यह भी नहीं पता कि ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) कब लागू किया जाए। 37 निगरानी केंद्रों में से दिवाली के दिन केवल नौ ही लगातार काम कर रहे थे।”
न्यायमित्र ने पीठ से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि सीएक्यूएम स्पष्ट आँकड़े और एक कार्य योजना प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा कि पहले के आदेशों में प्रदूषण बढ़ने पर प्रतिक्रियात्मक कदमों के बजाय पूर्व-निवारक उपायों का निर्देश दिया गया था।
सीएक्यूएम को हलफनामा पेश करने का निर्देश
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”सीएक्यूएम को एक हलफनामा पेश करना होगा कि प्रदूषण को गंभीर होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाने का प्रस्ताव है।” सीएक्यूएम के वकील ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डाटा की निगरानी के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को आश्वासन दिया कि संबंधित एजेंसियां आवश्यक रिपोर्ट दाखिल करेंगी।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)