पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण पंजाब के पठानकोट, जालंधर, गुरदासपुर, होशियारपुर, अमृतसर, कपूरथला, फिरोजपुर और फाजिल्का ज़िलों के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं.
पंजाब में नदियां और नाले इस समय पानी से लबालब भरे हुए हैं, जिससे कई गांवों में पानी घुस गया है.
पंजाब सरकार के साथ-साथ भारतीय सेना और एनडीआरएफ़ की टीमें कई जगहों पर बचाव कार्य में लगी हैं.
जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर यातायात बंद है और ट्रकों की लंबी कतारें लगी हुई हैं.
जम्मू-कश्मीर से पठानकोट के माधोपुर होकर पंजाब में घुसने वाली रावी नदी में बुधवार को बाढ़ आ गई थी.
नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण पठानकोट और माधोपुर के निचले इलाकों में पानी घुस गया.
इससे बुधवार को पठानकोट-जम्मू राजमार्ग कई घंटों तक बंद रहा.
पठानकोट में कई किलोमीटर तक ट्रकों की कतारें
पठानकोट में बीबीसी की टीम ने देखा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के एक तरफ़ कई किलोमीटर तक ट्रकों की लंबी कतारें हैं.
प्रशासन ने बुधवार शाम तक इस मार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी है.
इसके अलावा कुछ तीर्थयात्री वैष्णो देवी और अन्य तीर्थ स्थलों की ओर जाने के लिए राजमार्ग खुलने का इंतज़ार करते देखे गए.
जालंधर से सब्जियां लेकर जम्मू जा रहे ट्रक चालक बहादुर सिंह ने बताया, “हम मंगलवार दोपहर से ही राजमार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं.”
बुधवार को हल्की बारिश हुई थी, दिन में मौसम साफ़ रहा, लेकिन राजमार्ग पर आवाजाही फिलहाल बंद है.
शाम को रावी नदी का जलस्तर थोड़ा कम होने के बाद प्रशासन ने कुछ समय के लिए ट्रकों की आवाजाही बहाल कर दी थी.
जम्मू से चंडीगढ़ जा रहे भारतीय सेना के जवान रंजीत सिंह ने बताया कि बारिश के कारण जम्मू में भी हालात ठीक नहीं हैं.
रंजीत सिंह के मुताबिक़, “मैं सुबह छह बजे जम्मू से चंडीगढ़ के लिए निकला था, लेकिन रास्ते में सड़कें और पुल टूट जाने के कारण शाम करीब पांच बजे तक ही पठानकोट पहुंच सकूंगा.”
अब चंडीगढ़ पहुंचने में कितना समय लगेगा, इसका कोई अंदाजा नहीं है क्योंकि बस और रेल यातायात बंद कर दिया गया है.
बीबीसी की टीम ने देखा कि रावी नदी का पानी पठानकोट के निचले इलाकों में घुस गया है.
शहर से होकर बहने वाली नदियां इस समय पूरी रफ़्तार में बह रही हैं.
रावी नदी के तेज बहाव की वजह से पठानकोट शहर में कई जगह पेड़ उखड़ गए हैं और सड़कें टूट गई हैं.
रावी नदी जम्मू-कश्मीर से पंजाब के माधोपुर गांव में प्रवेश करती है.
बीबीसी की टीम ने देखा कि नदी के पास बना एक होटल ‘कोरल’ नदी में समा गया है.
इस होटल के मालिक दिनेश महाजन ने बीबीसी को बताया, “मंगलवार शाम लगभग छह बजे रावी में पानी का स्तर बढ़ने लगा और धीरे-धीरे यह होटल में घुस गया. होटल को काफ़ी नुकसान हुआ है.”
75 वर्षीय दिनेश महाजन कहते हैं, “1988 के बाद यह पहली बार है जब रावी नदी ने इतना असर दिखाया है. 1988 में पंजाब बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ था.”
जब बीबीसी की टीम पंजाब की ओर से रावी नदी पार करके जम्मू के कठुआ जिले के लखनपुर पहुंची, तो रावी नदी के पानी से हुई तबाही साफ़ दिखाई देने लगी.
रावी नदी के पानी में एक इमारत तबाह हो गई और राष्ट्रीय राजमार्ग के एक तरफ की सड़क भी बह गई. पानी से हुई तबाही यहां साफ़ देखी जा सकती थी.
माधोपुर बांध का गेट टूटा
जब बीबीसी की टीम माधोपुर हेडवर्क्स पहुंची तो अचानक वहां स्थित बराज के बांध का एक गेट टूट गया. इसकी वजह से कई कर्मचारी वहीं फंस गए, जिनमें एसडीओ भी शामिल थे. इन लोगों को सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से निकाला गया.
गेट टूटने से एक व्यक्ति पानी में बह गया.
बीबीसी की टीम ने पाया कि सुबह की तुलना में शाम तक रावी नदी का जलस्तर थोड़ा कम हो गया था. पठानकोट के डिप्टी कमिश्नर आदित्य उप्पल ने भी इसकी पुष्टि की.
उन्होंने कहा, “जल स्तर निश्चित रूप से पहले से कम है, लेकिन अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि आने वाले दिनों में बारिश की आशंका बनी हुई है.”
उधर, जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के डिप्टी कमिश्नर राजेश शर्मा के मुताबिक़, “पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश हो रही है, जिसके कारण पानी बहुत तेजी से मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहा है.”
उन्होंने कहा कि जम्मू और उसके आसपास के इलाकों में बाढ़ से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
राजेश शर्मा ने कहा, “राजमार्ग का एक हिस्सा रावी नदी में बह गया है और अगर पहाड़ी क्षेत्रों में और बारिश हुई तो स्थिति और ख़तरनाक हो सकती है. प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट पर है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित