याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह लगभग चार दशकों से भारत में रह रही थीं और उनके पास दीर्घकालिक वीज़ा (LTV) था। हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी और कहा कि उस दिन मामले में दिए गए आदेश के अमल संबंधित रिपोर्ट पेश किया जाए।
देखभाल करने के लिए वहां कोई नहीं
छह जून को हाई कोर्ट ने यह आदेश उस उस रिट याचिका पर दिया जो महिला रक्षंदा राशिद की ओर से उनकी बेटी ने दायर की थी। याचिकाकर्ता महिला के पति ने अदालत को बताया कि पाकिस्तान में उनकी पत्नी के देखभाल और केयर के लिए कोई नहीं है और वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं।
मानवाधिकार महत्वपूर्ण चीज
हाई कोर्ट ने कहा कि मानवाधिकार मानवीय जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण व पवित्र चीज है। इसलिए कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब एक संवैधानिक न्यायालय को किसी मामले की गुण-दोष की पूरी सुनवाई से पहले, तत्काल राहत देनी होती है। इसी आधार पर यह अदालत भारत सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश देती है कि वह याचिकाकर्ता को वापस लाए।
कल पेश करने है अमल रिपोर्ट
अदालत ने यह भी नोट किया कि चूंकि उनके पास दीर्घकालिक वीजा था, इसलिए उनका डिपोर्टेशन संभवतः गैरजरूरी था। हाई कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता को भारत में वापस लाया जाए, ताकि वह अपने पति से जम्मू में मिल सके। अदालत ने सरकार से कहा है कि एक जुलाई को अमल रिपोर्ट पेश किया जाए।