इमेज कैप्शन, पाकिस्तान में रोज़गार बढ़ने की दर बेहद कम है. इसलिए बड़ी उम्र के लोगों को रिटायरमेंट के बाद भी कमाई कर परिवार का सहारा बनना पड़ रहा है. ….में
क़ैसर अहमद की उम्र 65 साल है. बारह साल पहले एक शिपिंग कंपनी में उनकी नौकरी उस वक़्त ख़त्म हो गई जब कंपनी ने पाकिस्तान में अपना कारोबार बंद करने का फ़ैसला किया था.
इसके बाद क़ैसर अहमद ने एक दूसरी जगह नौकरी शुरू की, जहां उन्होंने पांच साल तक काम किया.
उस कंपनी से निकलने के बाद उन्होंने कुछ पैसे लगाकर निवेश किया. उनका इरादा था कि नौकरी से आज़ाद होकर घर बैठ सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
उनको लगा था कि उनके दो बेटों और एक बेटी ने पढ़ाई पूरी कर ली है, अब उन तीनों की नौकरी लग जाएगी और घरेलू ख़र्चों के लिए आमदनी शुरू हो जाएगी.
लेकिन काफ़ी कोशिशों के बावजूद उनके बच्चों को नौकरी नहीं मिली. इसलिए क़ैसर अहमद ने ख़ुद अपनी नौकरी का सिलसिला जारी रखा.
क़ैसर अहमद कहते हैं कि उनकी कमाई से घरेलू ख़र्च भी पूरा नहीं होता. वह इस उम्र में भी काम कर रहे हैं क्योंकि उनके बच्चों को अभी तक नौकरी नहीं मिली.
क़ैसर अहमद जैसे हालात पाकिस्तान में लाखों लोगों के हैं, जो 60, 65 और यहां तक कि 70 साल की उम्र में भी काम कर रहे हैं.
आर्थिक मामलों के जानकार ऐसे लोगों के काम करने को ‘इन्फ़्लेशन एडजस्टेड रियल इनकम’ कहते हैं.
उनके मुताबिक़, अगर बच्चे काम कर भी रहे हों तो भी इतना नहीं कमा पाते कि घरेलू ख़र्च और माता-पिता का बोझ उठा सकें. इसी वजह से माता-पिता, ज़्यादातर पिता ही, बुढ़ापे में भी बच्चों और घर को संभालने के लिए काम करने पर मजबूर हैं.
पाकिस्तान के लेबर फ़ोर्स सर्वे के अनुसार 2021 से 2025 तक चार साल में देश में 14 लाख और बेरोज़गार लोग बढ़ गए. इसके बाद देश की बेरोज़गार आबादी 45 लाख से बढ़कर 59 लाख तक पहुंच गई.
दूसरी ओर, बढ़ती महंगाई और नौकरी के कम होते मौक़ों की वजह से युवाओं को नौकरियां मिलने में मुश्किल हो रही है, जबकि बड़ी उम्र के लोग अब भी काम करने पर मजबूर हैं.
सर्वे रोज़गार के बारे में क्या बताता है?
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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान में पिछले एक साल में बेरोज़गारों में 31 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है
पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्रालय के लेबर फ़ोर्स सर्वे में बताया गया है कि बेरोज़गारों में 31 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है और 14 लाख लोग और बेरोज़गार हो गए हैं.
बेरोज़गार लोगों की कुल संख्या 2020-21 में 45 लाख से बढ़कर 2024-25 में 59 लाख हो गई.
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति लेबर मार्केट में बढ़ती मुश्किलों की ओर इशारा करती है. यह रोज़गार की स्थिति में बड़े पैमाने पर बिगड़ते हालात को उजागर करता है.
15 से 24 साल के युवाओं में बेरोज़गारी दर इस दौरान 11.1 फ़ीसदी से बढ़कर 12.6 फ़ीसदी हो गई.
सर्वे में लेबर मार्केट के एक नए रुझान की भी पहचान की गई है, जिसमें ‘गिग इकॉनमी’ शामिल है.
इसमें स्थायी नौकरियों की बजाय पार्ट टाइम और फ़्रीलांसिंग पर निर्भर काम बढ़ रहे हैं.
सर्वे के अनुसार प्राइमरी नौकरियों में लगभग तीन प्रतिशत लोग अल्पकालिक कामों से जुड़े हैं, जबकि सेकंडरी नौकरियों में ऐसे लोगों का हिस्सा 10.6 फ़ीसदी हो गया है.
इस सेक्टर में महिलाओं का हिस्सा काफ़ी है. सेकंडरी नौकरियों में पार्ट टाइम नौकरियों में महिलाओं का हिस्सा 15 फ़ीसदी और पुरुषों का 9.8 फ़ीसदी है.
कृषि क्षेत्र में रोज़गार दर 2021 में 37.4 फ़ीसदी थी, जो 2025 में घटकर 33.1 फ़ीसदी रह गई. सर्विस सेक्टर में रोज़गार 37.2 से बढ़कर 41.2 फ़ीसदी हो गया, जबकि उद्योग क्षेत्र में रोज़गार 25.4 फ़ीसदी से घटकर 24.9 फ़ीसदी रह गया.
बुढ़ापे में काम करने को मजबूर
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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान में नए निवेश न होने की वजह से रोजगार पैदा नहीं हो पा रहे हैं.
पाकिस्तान में सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है. निजी क्षेत्र में भी लोग आम तौर पर इसी उम्र में रिटायर हो जाते हैं.
मगर लेबर फ़ोर्स सर्वे के अनुसार 60 और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों की संख्या लेबर फ़ोर्स में बढ़ी है. इनमें बेरोज़गारी दर भी दूसरी उम्र के लोगों की तुलना में कम है.
यानी लोग रिटायरमेंट लेकर घर नहीं बैठ रहे, बल्कि नौकरी जारी रखकर अपनी आर्थिक ज़रूरतें पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.
अर्थशास्त्री डॉक्टर असद सईद ने बीबीसी से कहा, “देश में निवेश की कम दर और आर्थिक वृद्धि न होने की वजह से नौकरियों के मौक़े पैदा नहीं हो रहे. इसी वजह से युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही हैं. अगर किसी युवा के पास नौकरी है लेकिन उसकी तनख़्वाह इतनी नहीं कि वह अपनी बीवी-बच्चों के ख़र्च के साथ माता-पिता की ज़िम्मेदारी भी उठा सके तो उस बोझ को कम करने के लिए पिता को भी नौकरी करनी पड़ती है.”
डॉक्टर असद सईद ने कहा, “बिजली और गैस के बढ़ते बिलों के साथ मेडिकल ख़र्च भी है. इन सबको पूरा करने के लिए बड़ी उम्र के लोग भी बच्चों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इसे आर्थिक शब्दावली में ‘इन्फ़्लेशन एडजस्टेड रियल इनकम’ कहा जाता है ताकि कुल मिलाकर इतनी आमदनी हो सके कि ख़र्च पूरा हो जाए.”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बहुत से लोग बड़ी उम्र में इसलिए भी काम कर रहे हैं क्योंकि बच्चों के पास डिग्रियां तो आ गईं, लेकिन देश में नौकरियों के सिमटते मौक़ों की वजह से परेशानियां बढ़ रही हैं.
बेरोज़गारी क्यों बढ़ रही है?
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इमेज कैप्शन, बेरोज़गारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है, लेकिन 15 से 30 साल के लोगों में इसकी दर सबसे ज़्यादा है.
पाकिस्तान के नए लेबर फ़ोर्स सर्वे में बताया गया है कि बेरोज़गारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है, लेकिन 15 से 30 साल के लोगों में इसकी दर सबसे ज़्यादा है.
इस बारे में पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री डॉक्टर हफ़ीज़ पाशा ने बीबीसी से कहा, “देश में इस समस्या की सबसे बड़ी वजह देश की आर्थिक स्थिति है.”
उन्होंने बताया, “अगर औद्योगिक क्षेत्र की बात करें तो पिछले पांच साल में पाकिस्तान के इस क्षेत्र में औसत वृद्धि शून्य रही है, जिसकी वजह से नई नौकरियां पैदा नहीं हुईं. दूसरी तरफ़ आबादी बढ़ रही है. इसी तरह बाढ़ ने कृषि अर्थव्यवस्था को भी भारी नुक़सान पहुंचाया, जिससे रोज़गार के अवसर और सिकुड़ गए.”
डॉक्टर असद सईद का कहना है कि पाकिस्तान की आर्थिक दर में वृद्धि कम हुई है तो इसका मतलब है कि नौकरियां कम हो रही हैं.
उन्होंने कहा, “जो पढ़े-लिखे नहीं हैं वह कहीं मज़दूरी या गाड़ी धोकर कमाई कर लेते हैं. असली समस्या पढ़े-लिखे लोगों की है, जो इस मक़सद से पढ़ते हैं कि डिग्री के बाद अच्छी नौकरी मिल जाएगी. लेकिन अर्थव्यवस्था के धीमे होने के कारण अब नौकरियों के अवसर पैदा नहीं हो रहे. इसलिए यह वर्ग सबसे ज़्यादा परेशान है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.