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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) की आर्थिक स्थिति को लेकर जब भी कोई ख़बर आती थी तो इसमें हर साल बढ़ते हुए घाटे की चर्चा होती थी. अब पाकिस्तान सरकार ने दावा किया है कि पीआईए ने 21 साल के लंबे अर्से के बाद पहली बार मुनाफ़ा कमाया है.
पीआईए के लाभ कमाने की ख़बर सबसे पहले पाकिस्तान के एवियेशन मिनिस्टर ख़्वाजा आसिफ़ ने सोशल मीडिया वेबसाइट ‘एक्स’ पर दी.
इसके बाद पीआईए ने बयान जारी कर कहा कि 21 साल के बाद एयरलाइंस ने मुनाफ़ा कमाया है.
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सरकार और पीआईए की ओर से एयरलाइंस के फ़ायदे में होने का एलान ऐसे समय में सामने आया है जब सरकार फिर से इसके निजीकरण की कोशिश कर रही है. पिछले साल सरकार की पीआईए के निजीकरण की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी थी.
पीआईए के अचानक मुनाफ़े में होने की सरकारी घोषणा इसलिए भी हैरान करने वाली है कि केवल एक साल पहले यानी 2023 के आर्थिक नतीजों के अनुसार उसका घाटा 75 अरब रुपये (पाकिस्तानी) था जबकि साल 2022 में इस राष्ट्रीय एयरलाइंस का घाटा 88 अरब रुपये था.
पीआईए के बयान के अनुसार 2024 में एयरलाइंस ने 2.26 अरब रुपये का मुनाफ़ा कमाया है लेकिन इसके पीछे सरकार के वह उपाय हैं जिसके तहत एयरलाइंस पर कई सौ अरब रुपये के क़र्ज़ को ख़त्म कर दिया गया.
इसके बाद इसकी पूरी ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की सरकार ने ख़ुद ले ली.
पीआईए के आंकड़े क्या कहते हैं?
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पीआईए एयरलाइंस के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने 2024 के पीआईए के सालाना नतीजों को मंज़ूरी दी. इसमें पीआईए को 21 साल के लंबे अर्से के बाद मुनाफ़ा कमाते दिखाया गया है.
साल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार पीआईए ने 9.3 अरब रुपये का ऑपरेशनल प्रॉफ़िट हासिल किया. वहीं एयरलाइंस 2.26 अरब रुपये के नेट प्रॉफ़िट में रही.
पीआईए का ऑपरेटिंग मार्जिन 12 फ़ीसदी से अधिक रहा. यह दुनिया के किसी भी बेहतरीन एयरलाइंस की परफ़ॉर्मेंस के बराबर है. ऑपरेशनल कॉस्ट में जहाज़ का ईंधन, मैनेजमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन के ख़र्च शामिल होते हैं.
पीआईए ने इससे पहले साल 2003 में मुनाफ़ा कमाया था जिसके बाद दो दशकों तक यह घाटे में रही.
पीआईए से जारी बयान के अनुसार सरकार के संरक्षण में व्यापक सुधार किए गए. इसमें कार्यबल और ख़र्चों में कमी, मुनाफ़ा देने वाले मार्गों का बेहतर इस्तेमाल, नुक़सान वाले मार्गों पर उड़ान बंद करना और बैलेंस शीट रिस्ट्रक्चरिंग शामिल है.
बयान में कहा गया कि पीआईए के वापस मुनाफ़ा देने वाली संस्था बनने से न केवल इसकी साख में इज़ाफ़ा होगा बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी फ़ायदेमंद साबित होगा.
पीआईए ने कहा कि रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ की ओर से इस बात का औपचारिक तौर पर ऐलान किया गया और इस ‘बेहतरीन आर्थिक प्रदर्शन’ को निजीकरण के लिए बहुत अहम बताया गया.
एक साल पहले अरबों रुपए का था घाटा
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पीआईए का साल 2023 में शुद्ध घाटा 75 अरब रुपए था लेकिन साल 2024 में अब एयरलाइंस ने 2.6 अरब रुपये का मुनाफ़ा कमाया है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार पीआईए के क़र्ज़ों की बड़ी मात्रा को सरकारी खातों में ट्रांसफ़र किए जाने के बाद ही यह संभव हो सका.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑडिट के बाद पीआईए ने दिसंबर 2024 में ख़त्म होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान प्रति शेयर 5.01 रुपये की आमदनी की.
नवंबर 2024 में पाकिस्तान में निजीकरण के लिए नेशनल असेंबली की स्थाई समिति को निजीकरण सचिव उस्मान बाजवा ने बताया था कि पीआईए की ख़रीदारी के लिए बोली लगाने वाले चाहते थे कि सरकार 26 अरब रुपये की टैक्स देनदारी, सिविल एविएशन अथॉरिटी की ओर से पीआईए को दस अरब रुपये की आर्थिक सहायता पर देनदारी और नौ अरब रुपए की दूसरी देनदारियों को ख़त्म कर दे.
गौरतलब है कि पिछले साल निजीकरण की कोशिशें नाकाम होने के बाद केंद्रीय निजीकरण मंत्री अब्दुल अलीम ख़ान ने कहा था कि जब तक पीआईए की बैलेंस शीट पूरी तरह साफ़ नहीं की जाती, कोई गंभीर निवेशक आगे नहीं आएगा.
पीआईए के निजीकरण और उसके आर्थिक मामलों पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार पीआईए के लिए अरबों रुपए का शुद्ध मुनाफ़ा कमाना इसलिए मुश्किल नहीं रहा क्योंकि सरकार ने इसके हिस्से के कई सौ अरब के क़र्ज़ और उन पर ब्याज़ को अदा करने की ज़िम्मेदारी खुद ले ली.
इसके बाद बैलेंस शीट पूरी तरह से साफ सुथरी हो गई और एयरलाइंस को मुनाफ़ा हुआ.
उनका कहना है कि जब सरकार कई सौ अरब रुपये क़र्ज़ और उस पर दिए जाने वाले ब्याज को अपने खाते में ले ले तो उसके बाद एयरलाइंस का मुनाफ़ा कमाना हैरानी में डालने वाला नहीं रह जाता.
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माईल ने बीबीसी उर्दू से बात करते हुए बताया कि पीआईए पर 850 अरब रुपये का क़र्ज़ है जिसका बड़ा हिस्सा सरकार ने अपने ज़िम्मे ले लिया और उसके बाद इस पर ब्याज अदायगी भी सरकार के खाते में चली गई तो इसके बाद ऑपरेशनल तौर पर मुनाफ़े में होना कोई मुश्किल बात नहीं है.
उन्होंने बताया कि सरकार ने पीआईए की संपत्तियां भी अपने ज़िम्मे ले ली हैं और उस पर क़र्ज़ भी, तो इसके बाद उसका फ़ायदेमंद होना बनता है.
इस्लामाबाद के वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार शहबाज़ राना ने भी इसकी पुष्टि की कि एयरलाइंस की बैलेंस शीट से क़र्ज़ और उस पर ब्याज की देनदारी सरकार के ज़िम्मे है, वरना “जहां तक सुधारों की बात है तो कोई ऐसा सुधार नहीं हुआ जिसके आधार पर कहा जा सके कि एयरलाइंस का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.”
साल 2023 के पहले नौ महीने के पीआईए के आर्थिक नतीजों से पता चलता है कि उसने 58 अरब रुपये ब्याज की अदायगी पर ख़र्च किए थे.
वित्त विशेषज्ञ डॉक्टर मोहम्मद मेराज कहते हैं कि पीआईए की अपनी रिपोर्ट में भी बहुत सी बातें साफ़ नहीं हैं. “मिसाल के लिए पीआईए की वेबसाइट पर मौजूद 2023 की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट में टैक्स की कटौती के बाद 77.52 अरब रुपए का घाटा दिखाया गया था जो अब 20.87 अरब रुपए की आमदनी बता रहा है.”
वह कहते हैं कि इस स्थिति से यह लगता है कि पीआईए के राजस्व में सुधार हुआ है लेकिन घाटे में कमी नहीं हुई. “हाल की रिपोर्ट में जो ख़ास बदलाव नज़र आ रहा है, वह ‘अतिरिक्त सामान’ की मद में एक अरब रुपए की आमदनी है जबकि इसी अवधि में 2022 में इसका कोई ज़िक्र नहीं मिलता.”
वह बताते हैं कि इसी तरह इंजीनियरिंग सेवाओं में भी एक अरब से अधिक आमदनी बताई गई जो 2022 की इसी अवधि में मौजूद नहीं थी. इसके अलावा कैंसिलेशन चार्जेज़ मद में 2.954 अरब रुपए आमदनी बताई गई जबकि 2022 की रिपोर्ट में यह मौजूद नहीं.
डॉक्टर मोहम्मद मेराज कहते हैं कि वास्तविक रिपोर्ट सामने आने के बाद ही अंतिम तौर पर कहा जा सकता है कि वाक़ई पीआईए लाभ कमाने वाली कंपनी बन गई है या फिर निजीकरण के लिए कंपनी की आर्थिक रिपोर्ट्स को ज़्यादा आकर्षक दिखाया जा रहा है.
एविएशन क्षेत्र के विशेषज्ञ अफ़सर मलिक भी डॉक्टर मेराज की राय से सहमति रखते हैं और कहते हैं कि जब तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होती, उस वक़्त तक निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि कंपनी मुनाफ़े में है.
अफ़सर मलिक की व्यक्तिगत राय यह है कि ऐसा मुमकिन नहीं क्योंकि कुछ भी बदला नहीं है. “इंडस्ट्री के हालात पहले से भी ख़राब हैं. इसमें सुधार नहीं हुआ और ऐसे में मुनाफ़ा मुमकिन नहीं.”
क़र्ज़ निकालने के लिए क्या उपाय किए?
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पीआईए के निजीकरण के लिए कोशिशें पिछले कई सालों से जारी हैं लेकिन एयरलाइंस पर क़र्ज़ों और ब्याज़ की देनदारी के बोझ की वजह से इसका निजीकरण संभव नहीं हो सका है.
जुलाई 2023 में पीआईए के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने एयरलाइंस के पुनर्गठन की एक योजना को मंज़ूरी दी. इसके तहत एक नई होल्डिंग कंपनी बनाए जाने का प्रस्ताव था.
पीआईए की 2023 की तीसरी तिमाही रिपोर्ट में निजीकरण आयोग के फ़ैसले को लागू करने की पुष्टि होती है जिससे मालूम होता है कि 30 अप्रैल 2024 से एयरलाइंस केवल उड़ान के कारोबार से संबंधित संपत्ति और ज़िम्मेदारियां रखेगी. इसमें हवाई जहाज़ की मरम्मत, सामान की देखभाल, माल ढुलाई, खाने की व्यवस्था और ट्रेनिंग जैसी बातें शामिल हैं.
पिछले साल के शुरू में सरकार ने एक अलग कंपनी पीआईए होल्डिंग कंपनी बनाकर पीआईए पर चल रहे 623 अरब रुपये के क़र्ज़ उसके हवाले कर दिए थे.
सरकार की ओर से बनाई गई इस कंपनी को क़र्ज़ पर ब्याज की अदायगी भी करनी है. पीआईए की बैलेंस शीट में उन क़र्ज़ों और ब्याज की अदायगी के ख़त्म होने से 2024 में उसे मुनाफ़ा हासिल हुआ.
पीआईए के प्रवक्ता ने बीबीसी उर्दू से इस बात की पुष्टि की कि एयरलाइंस के ज़िम्मे क़र्ज़ और उस पर ब्याज की अदायगी अब सरकार की होल्डिंग कंपनी के हवाले हो चुकी है जिसकी वजह से एयरलाइंस पर से बहुत बड़ा आर्थिक बोझ हट गया है और पीआईए फ़ायदे वाली कंपनी बन गई है.
उन्होंने बताया कि पीआईए ब्याज मद में सालाना 80 अरब रुपये के लगभग अदा कर रही थी. उन्होंने साफ़ किया कि अगर इस होल्डिंग कंपनी के ज़िम्मे पीआईए के क़र्ज़ और उस पर सूद की अदायगी हुई तो इसके साथ पीआईए की संपत्तियां भी उसके हवाले की गईं. इन परिसंपत्तियों में पीआईए की इमारतें और दूसरी संपत्तियां शामिल हैं.
जब पीआईए में सुधार और उसकी सेवा में बेहतरी के न होने के बारे में पूछा गया तो इसके प्रवक्ता ने बताया कि अगर एयरलाइंस से यात्री यात्रा कर रहे हैं और यह ऑपरेशनल प्रॉफ़िट कमा रही है तो इसका मतलब यह है कि यात्री इस पर भरोसा कर रहे हैं.
उनका कहना था कि पीआईए को डायरेक्ट फ़्लाइट में दूसरी एयरलाइंस पर बढ़त हासिल है, इसलिए कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर रही है.
पीआईए के लाभ में होने के बाद इसका निजीकरण संभव होगा?
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एविएशन क्षेत्र के विशेषज्ञ अफ़सर मलिक ने बीबीसी उर्दू से बात करते हुए बताया कि अब भी पीआईए पर काफ़ी क़र्ज़ है जिनमें सिविल एविएशन और फ़ेडरल बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू की देनदारियां हैं. पीआईए चाहती है कि सरकार इन्हें भी अपने ज़िम्मे ले ले.
उन्होंने कहा कि 2024 में जिस तरह नेट प्रॉफ़िट दिखाया गया वह संख्या के हिसाब से तो ठीक है लेकिन पूंजी निवेश और उसके प्रोफ़ेशनल एडवाइज़र्स इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि यह मुनाफ़ा कैसे हासिल किया गया है?
“इसके साथ एयरलाइंस में कोई ऐसे सुधार तो हुए नहीं कि जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि इसकी सेवा बेहतर हो गई है.”
अफ़सर मलिक ने बताया कि एविएशन मार्केट सिकुड़ रहा है और इसलिए यह पूंजी निवेश करने वालों के लिए आकर्षक नहीं. उनका कहना है कि लोगों की क्रय शक्ति में कमी की वजह से ट्रैवल बिज़नेस बहुत नीचे चला गया है और अब केवल अमीर आदमी ही सफ़र करता है.
उनके अनुसार ट्रैवल बिज़नेस में पर्यटन कुल व्यापार का एक तिहाई होता है लेकिन पाकिस्तान में यह न होने के बराबर है इसलिए किसी पूंजी निवेशक के लिए पाकिस्तान का एविएशन मार्केट आकर्षक नहीं है.
अफ़सर मलिक ने कहा के पीआईए के अंदर से भी यह कोशिश जारी है कि निजीकरण न हो.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित