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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स (पीआईए) अक्सर विवादों में घिरी रही है. कभी पायलटों के पास डिग्री न होने के मुद्दे पर तो कभी निजीकरण की मांग को लेकर. इस बीच पीआईए के कर्मचारियों के कनाडा में ‘ग़ायब’ होने की खबरें भी आती रहती हैं.
इसी सप्ताह शनिवार को पीआईए के प्रवक्ता अब्दुल्ला ख़ान ने पुष्टि की कि कनाडा के टोरंटो से लाहौर जाने वाली उड़ान संख्या पीके 798 के एक फ्लाइट अटेंडेंट, आसिफ़ नजाम समय पर हवाई अड्डे पर नहीं पहुंचे.
पीआईए ने अपने बयान में कहा है कि जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने अपने बचाव में ‘ख़राब स्वास्थ्य’ का बहाना दिया.
पीआईए के प्रवक्ता का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह ग़ैर-क़ानूनी तरीके से ‘ग़ायब’ होने के मामले में एयरलाइन्स के कर्मचारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
पहले भी होती रही हैं इस तरह की घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब पीआईए का कोई क्रू मेंबर कनाडा से वापस नहीं लौटा है. इससे पहले भी कई मौक़ों पर फ्लाइट अटेंडेंट और एयर होस्टेस कनाडा में ‘ग़ायब’ हो चुके हैं.
29 फ़रवरी 2024 को इसी तरह का एक मामला सामने आया था.
पीआईए की उड़ान संख्या पीके 783 से कराची से टोरंटो पहुंचे पीआईए के फ्लाइट अटेंडेंट जिब्रान बलूच को उड़ान संख्या पीके 782 से वापसी करनी थी. टोरंटो के पीयरसन हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर विमान उड़ान भरने को तैयार था.
लेकिन जिब्रान ‘लापता’ थे. वो तय समय पर होटल से हवाई अड्डे के लिए नहीं निकले.
पाकिस्तान से छपने वाले डॉन अख़बार के अनुसार बाद में जब कर्मचारियों ने होटल के कमरे में उनकी तलाश की तो वो ‘ग़ायब’ थे. रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों को उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका.
अख़बार कहता है कि इस घटना के कुछ दिन पहले कंपनी में बतौर एयर होस्टेस काम कर रही मरियम रज़ा भी इसी तरह टोरंटो के अपने होटल के कमरे से ‘ग़ायब’ हो गई थीं.
समा टीवी के अनुसार कंपनी के अधिकारियों को कमरे में उनकी ड्रेस के पास एक नोट था जिस पर लिखा था, “थैंक यू पीआईए.”
इसी तरह जनवरी 2024 की शुरुआत में एयर होस्टेस फ़ैज़ा मुख्तार भी कनाडा से अपनी तय उड़ान से पाकिस्तान वापस नहीं लौटीं.
डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2003 में पीआईए के सात कैबिन क्रू मेम्बर ‘ग़ायब’ हुए. वहीं द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार 2022 में पांच कैबिन क्रू मेम्बर इसी तरह बिना सबूत छोड़ा ‘ग़ायब’ हो गए थे.
पीआईए का क्या कहना है?
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पीआईए के प्रवक्ता अब्दुल्ला ख़ान के अनुसार, पिछले कुछ सालों में लगातार चालक दल के सदस्य कनाडा पहुंचने के बाद वापस देश नहीं लौटे हैं.
ऐसी घटनाएं पहले भी कभी-कभार सामने आती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसी घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ है.
कहा जा रहा है कि इसके पीछे वजह, बीते कुछ सालों में पाकिस्तान में बिगड़ती आर्थिक स्थिति और पीआईए के निजीकरण से जुड़ी है.
पीआईए के निजीकरण को बीते लगभग दो दशकों में इस दिशा में पाकिस्तान की पहली कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सात अरब डॉलर के प्रोग्राम के तहत ये करना सरकार के लिए ज़रूरी है.
लेकिन पीआईए का दावा है कि कनाडा के शरणार्थी क़ानून का दायरा बड़ा है जिसका फ़ायदा पीआईए कर्मचारी उठा रहे हैं.
हालांकि इस दौरान कनाडा में किसी अन्य एयरलाइन केबिन क्रू के लापता होने की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.
कनाडा में इमिग्रेशन पर नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि यह समस्या सिर्फ़ पीआईए के कर्मचारियों या पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई और देशों के लोग भी कनाडा के शरणार्थी क़ानूनों का फ़ायदा उठाते रहे हैं.
पीआईए ने बदले नियम
2021 में पीआईए ने अपने नियमों में बदलाव किया था जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के दौरान केबिन क्रू के लिए विदेशी हवाई अड्डों पर पासपोर्ट जमा करना अनिवार्य बना दिया गया.
पीआईए ने एक और फ़ैसला लिया कि वो युवा एयर होस्टेस और स्टीवर्ड को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए नहीं भेजेगी.
कंपनी के प्रवक्ता के अनुसार, इन सभी कदमों का स्पष्ट रूप से कोई असर नहीं पड़ा. इस संबंध में कंपनी ने जांच के लिए एक इकाई का गठन किया है और कंपनी चालक दल की निगरानी भी कर रही है.
प्रवक्ता के अनुसार, “हमने इस बारे में कनाडा के अधिकारियों से भी बात की और उन्हें चालक दल के सदस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है.”
लेकिन इन सबके बावजूद कनाडा पीआईए कर्मचारियों के लिए ‘लापता’ होने के लिए पसंदीदा देश क्यों बन गया है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए बीबीसी ने पिछले साल टोरंटो में अधिकारियों, पीआईए और अन्य एयरलाइन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों, साथ ही कनाडा में इमिग्रेशन मामलों पर काम करने वाले एक वकील और इमिग्रेशन सलाहकार से बात की थी.
कनाडा ही पसंदीदा मुल्क क्यों?
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टोरंटो स्थित पीयरसन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, कनाडा के ओन्टारियो प्रांत के पील क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है.
बीबीसी ने पील पुलिस से पूछा कि क्या लापता पीआईए क्रू मेम्बर्स के संबंध में किसी तरह की कोई गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज की गई है.
पील पुलिस के प्रवक्ता रिचर्ड चिन ने ई-मेल पर बीबीसी को बताया कि “हमने अपने हवाई अड्डा सेक्शन से पुष्टि की है कि पील पुलिस को इस संदर्भ में कोई गुमशुदा व्यक्ति से जुड़ी कॉल नहीं मिली है.”
उन्होंने कहा, “आमतौर पर परिवार का कोई सदस्य या परिचित गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस से संपर्क करता है. अगर एयरलाइन कर्मचारी शरण पाने के लिए ‘ग़ायब’ हो रहे हैं, तो इस संबंध में कनाडा सीमा सेवा एजेंसी (सीबीएसए) से संपर्क किया जा सकता है.”
हालांकि सीबीएसए की प्रवक्ता कैरेन मार्टेल ने ई-मेल पर बीबीसी को बताया कि सीबीएसए किसी व्यक्ति या उसके मामले पर टिप्पणी नहीं करता है, क्योंकि किसी व्यक्ति की सीमा और इमिग्रेशन संबंधी जानकारी निजी मानी जाती है और गोपनीयता अधिनियम के तहत होती है.
कुछ इसी तरह का जवाब कनाडा की इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिज़नशिप विभाग (आईआरसीसी ने दिया. विभाग ने ईमेल पर बीबीसी को बताया कि गोपनीयता क़ानूनों के कारण वह व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकता.
विदेशी उड़ानों के क्रू मेम्बर्स के लिए क्या हैं नियम?
कैरेन मार्टेल ने कनाडा आने वाले उड़ानों के क्रू मेम्बर्स पर लागू होने वाले कनाडाई क़ानूनों की जानकारी दी.
इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिज़नशिप नियमों के अनुसार जो व्यक्ति उड़ान दल के सदस्य हैं या उसका हिस्सा हैं, उन्हें कनाडा में प्रवेश करने या रहने के लिए अस्थायी वीज़ा की आवश्यकता नहीं है. लेकिन शर्त ये है कि कनाडा और दूसरे देश (उड़ान जहां से आई है) के बीच वीज़ा को लेकर समझौता हो.
सीबीएसए की प्रवक्ता कैरेन मार्टेल के मुताबिक़ अगर विदेशी उड़ान का कोई क्रू मेम्बर कनाडा पहुंचने के बाद अपना काम छोड़ देता है तो एयरलाइन को इसकी जानकारी सीबीएसए को देना ज़रूरी होती है.
ये नियम उस सूरत में लागू होता है कि जब कोई व्यक्ति अचानक ग़ायब हो जाता है और इस बात के पुख्ता सबूत हों कि वो अपनी ड्यूटी छोड़ चुके हैं.
कनाडा के नियमों के अनुसार “अगर कर्मचारी को पद से हटाया गया है या वह 72 घंटों के भीतर खुद कनाडा नहीं छोड़ते, तो एयरलाइन को कनाडाई अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी होती है.”
सीबीएसए की प्रवक्ता का कहना है कि कंपनियों को भी ध्यान देना चाहिए कि वो किसी ऐसे व्यक्ति को कनाडा लेकर न आएं जिनके पास वैध दस्तावेज़ न हों, इसका उल्लंघन होने पर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है.
कर्मचारियों का कनाडा में ‘ग़ायब’ होना
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बीबीसी ने पीआईए और अन्य एयरलाइन कंपनियों में काम कर रहे वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों से बात की और ये समझने की कोशिश की कि कनाडा में कर्मचारियों का ‘ग़ायब’ हो जाना इतना आसान क्यों है.
ये सभी ये बात मानते हैं कि कनाडा में क़ानून और पहले से मौजूद मजबूत नेटवर्क के कारण ऐसी घटनाओं को रोकना आसान नहीं होता.
एक मुश्किल दस्तावेज़ों की भी होती है. सामान्य तौर पर एयरलाइन कर्मचारियों के यात्रा दस्तावेज़ अन्य यात्रियों से अलग होते हैं. एयरलाइन कर्मचारियों को संबंधित देश के वीज़ा की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि वो एक जनरल डिक्लेरेशन के ज़रिए इन देशों की यात्रा कर सकते हैं.
ये दस्तावेज़ असल में इमिग्रेशन अधिकारियों के लिए एक तरह की “गारंटी” है कि क्रू मेम्बर तय समय तक देश छोड़ देंगे.
पीआईए के अधिकारी ने बताया, “जब कोई क्रू मेम्बर लापता होते हैं, तो वह इसकी भनक तक नहीं लगने देते. ये सब बहुत गुप्त तरीके से किया जाता है. वो पहले से उस देश में मौजूद लोगों से पहले ही चर्चा कर चुके होते हैं.”
वो कहते हैं, “ये एक दिन में लिया गया फ़ैसला नहीं होता, बल्कि वो महीनों की योजना और कनाडा में एजेंटों के नेटवर्क के साथ दस्तावेज़ तैयार करने के बाद ये कदम उठाते हैं.”
एक प्राइवेट एयरलाइन कंपनी में कमर्शियल पायलट ने बीबीसी को बताया कि पीआईए में नियमन की प्रक्रिया दूसरी कंपनियों की तुलना में उतनी सख्त नहीं है, ये भी एक कारण हो सकता है.
इसके अलावा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और पीआईए को लेकर अनिश्चितता भी इसके पीछे एक कारण है.
एयरलाइन अधिकारियों ने बताया कि दुनिया भर में एयरलाइन के क्रू मेम्बर्स पर लंबी उड़ान के दौरान देश में यात्रा करने या नाते-रिश्तेदारों से मिलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
लेकिन कनाडा ही क्यों?
कनाडा में मौजूद इमिग्रेशन वकील मेहरीन रज़ा पिछले दो दशकों से कनाडा में शरणार्थियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
उन्होंने ओंटारियो में साउथ एशिया लीगल क्लिनिक की स्थापना की है, जो ऐसे लोगों की मदद करती है जो दूसरे देश में शरण लेने का खर्च नहीं उठा सकते.
मेहरीन रज़ा ने बीबीसी को बताया, “पीआईए के क्रू मेम्बर्स से जुड़ी रिपोर्ट्स हमने देखी हैं. पिछले कुछ सालों में अलग-अलग आधार पर कनाडा में शरण लेने के लिए पाकिस्तान समेत अन्य देशों से लोगों के आवेदनों में इज़ाफ़ा हुआ है.”
वो कहती हैं, “कनाडा का क़ानून कहता है कि किसी भी परिस्थिति में शरण मांगने वाले को आप शक़ की निगाह से नहीं देख सकते. इस बारे में हम ट्रेनिंग्स भी आयोजित करते हैं. यह भी संभव है कि व्यक्ति यहां आकर शादी कर ले और अपने साथी की मदद से स्पाउस वीज़ा या पर्मानेंट वीज़ा हासिल कर ले.”
कनाडा के इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2023 में कनाडा के अधिकारियों को शरण मांगने से जुड़े 144,000 एप्लिकेशन मिले. ये साल 2022 की तुलना में 57 फ़ीसदी अधिक थे.
इसमें 4,832 एप्लिकेशन पाकिस्तान से थे. ये पिछले साल के 1,894 एप्लिकेशन से 60 फीसदी अधिक है.
इमिग्रेशन सलाहकार अब्दुल्ला बिलाल पिछले कई सालों से कनाडा में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी में काम करते हैं.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “कनाडा के क़ानून के अनुसार, आप जहां से देश में प्रवेश कर रहे हैं वहां से शरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद देश में प्रवेश करने के बाद आप किसी के साथ रहते हैं और शरण के लिए केस फ़ाइल कर सकते हैं.”
“इस पूरी प्रक्रिया में कुछ साल का वक्त लग सकता है. अगर किसी कारण आपको शरण नहीं दी जाती है तो आप अपील कर सकते हैं.”
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शरण देने की प्रक्रिया के बारे में अब्दुल्ला बिलाल कहते हैं, “सरकार की तरफ से पहले एप्लिकेशन की समीक्षा की जाती है, फिर उसे रिफ्यूजी प्रोटेक्शन डिविज़न भेज दिया जाता है. अगर आपकी एप्लिकेशन रिजेक्ट हुई तो आप अपील डिविज़न में जा सकते हैं. इस दौरान आप काम कर सकते हैं और आपको मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं मिलती हैं. लोग यहां शादी भी करते हैं और स्पॉन्सर भी हो सकते हैं.”
वो कहते हैं कि कनाडा में रिफ्यूजी सेवा तक आपकी पहुंच होती है और कुछ मामलों में इस प्रक्रिया का खर्च पूरा करने के लिए व्यक्ति धार्मिक संस्थाओं की भी मदद ले सकता है.
मेहरीन और बिलाल दोनों ने कहा कि कई बार शरण मांगने वाला व्यक्ति इसके लिए ‘झूठे कारण’ बताता है, इसका असर उन पर पड़ता है जो असल में शरण पाने के हकदार हैं.
मेहरीन रज़ा ने बीबीसी को बताया कि शरण मांगने के कारणों में “धर्म, यौन रुझान, राजनीतिक आधार या पारिवारिक कारणों से निशाना बनाया जाना” शामिल हो सकते हैं.
अब्दुल्ला बिल्ला कहते हैं, “कनाडा में शरण लेने की प्रक्रिया का अब व्यवसायीकरण हो रहा है. वो कहते हैं कि लोग विज़िटर वीज़ा पर आते हैं और फिर शरण के लिए आवेदन करते हैं.”
वो कहते हैं कि केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत, ईरान, नाइजीरिया, मेक्सिको जैसे दूसरे देशों से भी लोग कनाडा में शरण लेना चाहते हैं, लेकिन इसके कारणों की पुष्टि करना मुश्किल है.
वो कहते हैं कि “अगर कोई खुद को समलैंगिक कहता है, तो इस दावे का निर्धारण कैसे किया जा सकता है? धार्मिक अल्पसंख्यक के आधार पर ख़तरे के दावों की पुष्टि भी कठिन है.”
पीआईए ने मुश्किल के हल के लिए क्या कुछ किया है?
इस संबंध में पीआईए प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि इसे रोकने के लिए बॉन्ड लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.
वो कहते हैं कि कर्मचारियों से बॉन्ड लिए गए लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ, लोगों का ‘ग़ायब’ होना नहीं रुका.
पीआईए के अधिकारी कहते हैं, ” ‘लापता’ हुए लोगों के परिवारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के बारे में भी विचार किया गया था, लेकिन इसे इम्प्रैक्टिकल मानकर ये विचार छोड़ दिया गया. अदालत इसे एक मिनट में खारिज कर देगी.”
वो कहते हैं, “इस तरह ‘ग़ायब’ हुए कर्मचारियों को रेड फ्लाई लिस्ट में डालने की भी बात हुई थी. हालांकि यह मुश्किल है क्योंकि इन लोगों को डिपोर्ट नहीं किया गया है. कुछ साल बाद वो किसी दूसरे देश के पासपोर्ट पर यात्रा करना शुरू कर देते हैं. आप उन्हें रोक नहीं सकते.”
हवाई अड्डे पर पासपोर्ट जमा कराने की प्रक्रिया के बारे में मेहरीन रज़ा कहती हैं, “पासपोर्ट वो पहली चीज़ है जिसे शरण लेना चाहने वाले लोग नष्ट कर देते हैं, इसलिए इसका कोई इस्तेमाल ही नहीं है.”
वो कहती हैं कि “इस समस्या का समाधान दोनों देशों के अधिकारियों को बातचीत के माध्यम से निकालना होगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.