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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फ़ासीवादी-विरोधी समूह एंटीफ़ा (एंटी फ़ासिस्ट) को ‘आतंकवादी’ संगठन घोषित कर दिया है.
एंटीफ़ा के लोग या इस विचारधारा से जुड़े लोग नव-नाज़ीवाद, नव-फ़ासीवाद, व्हाइट सुप्रिमेसिस्ट (गोरे लोगों को श्रेष्ठ मानने वाली विचारधारा) और नस्लीय भेदभाव जैसे रूढ़िवादी धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने इसी को लेकर पोस्ट में लिखा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं एक ख़तरनाक और कट्टरपंथी वामपंथी संगठन, एंटीफ़ा को एक बड़े आतंकवादी संगठन के रूप में नामित कर रहा हूं.”
उन्होंने लिखा, “मैं यह भी सिफ़ारिश करूंगा कि एंटीफ़ा को फंड करने वालों की जांच उच्चतम क़ानूनी मानकों और नियमों के तहत की जाए.”
राष्ट्रपति ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी इस समूह का विरोध करते आए हैं.
ग्रुप से जुड़े कई लोगों का मानना है कि 1920 और 1930 के दशक में यूरोपीय फ़ासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ मूवमेंट के साथ उनका समूह अस्तित्व में आया.
पश्चिम जर्मनी के अराजकतावादियों से लेकर शीत युद्ध के दौर तक एंटीफ़ा की विचाराधारा में यक़ीन रखने वाले सभी विरोध प्रदर्शनों में काले कपड़े पहनते हैं.
पुलिस या विरोधी उन्हें न पहचानें इसके लिए कई बार ये लोग अपने चेहरे मास्क से ढंक कर रखते हैं या फिर हेलमेट पहनते हैं.
एक तरह से ये डराने वाला तरीक़ा भी है जिसे “ब्लैक ब्लॉक” कहा जाता है. इस तरीक़े से वो अनजानों का एक समूह बन कर एक साथ रह सकते हैं.
एंटीफ़ा प्रदर्शनकारियों की कोशिश होती है कि वो रूढ़िवादी धुर-दक्षिणपंथी कार्यक्रमों और नेताओं के कार्यक्रमों में मुश्किलें पैदा करें.