इमेज स्रोत, Getty Images
बुधवार को 10 लाख बैरल कच्चा तेल लेकर एक पोत पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हब ज़िले में एक रिफ़ाइनरी के तेल टर्मिनल पर पहुंचा.
इस पाकिस्तानी रिफ़ाइनरी का दावा है कि दशकों में पहली बार अमेरिकी कच्चे तेल का आयात किया गया है.
सिनर्जेको पाकिस्तान रिफ़ाइनरी के प्रबंधन का कहना है कि अमेरिकी कच्चे तेल के और कार्गो के ऑर्डर पहले ही दिए जा चुके हैं.
रिफ़ाइनरी के अनुसार, 10 लाख बैरल कच्चे तेल के पहले कार्गो के आने के बाद नवंबर के मध्य में अगला कार्गो पाकिस्तान पहुंचेगा, जबकि अगले साल जनवरी में तीसरा कार्गो आएगा.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
सिनर्जेको पाकिस्तान रिफ़ाइनरी ने बताया कि अमेरिकी कच्चे तेल से लदा जहाज़ ‘एमटी पेगासस’ 14 सितंबर को ह्यूस्टन से रवाना हुआ और बुधवार दोपहर पाकिस्तान पहुंचा.
इस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स इसे कच्चे तेल के आयात में विविधता लाने और अमेरिका एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग की शुरुआत करने की दिशा में एक अहम क़दम के रूप में देख रहे हैं.
अमेरिका ने इसी साल जुलाई में पाकिस्तानी उत्पादों पर 19 प्रतिशत टैरिफ़ लगाया था, जो बाक़ी दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है.
इसी साल जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में तेल भंडारों की खोज के लिए एक समझौते की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था, “अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एक डील की है. इसके तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के ‘विशाल तेल भंडारों’ को विकसित करेंगे.”
हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान में तेल भंडार की खोज को लेकर हुए समझौते के तहत अभी तक कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है.
पाकिस्तान अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतें खाड़ी देशों से आयात करके पूरी करता है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पश्चिम एशिया से तेल आयात करने का मुख्य कारण यह है कि पाकिस्तान इन देशों के बहुत क़रीब है, जबकि अमेरिका जैसे अन्य तेल उत्पादक देश काफ़ी दूर हैं.
अमेरिका से तेल आयात करने का क्या कारण है?
इमेज स्रोत, Getty Images
दुनिया में कच्चे तेल के कई प्रकार हैं, जिनमें से एक है यूएस डब्ल्यूटीआई क्रूड (कच्चा तेल).
इसके अलावा, ब्रेंट क्रूड, अरब लाइट क्रूड, दुबई क्रूड जैसे जाने-माने नाम हैं जिनकी क़ीमतों में थोड़ा-बहुत अंतर होता है और इनकी क़ीमतों को संदर्भ मूल्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
पाकिस्तान अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतें यूएई और सऊदी अरब समेत पश्चिमी एशिया के देशों से पूरी करता है.
सिनर्जेको रिफ़ाइनरी के वाइस प्रेसिडेंट ओसामा क़ुरैशी के अनुसार, “हम यह नहीं कह सकते कि पाकिस्तान को अमेरिका से तेल ख़रीदना ज़रूरी ही होगा, लेकिन दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं और तेल आयात भी इन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है.”
बीबीसी उर्दू से उन्होंने कहा, “इन प्रयासों के सिलसिले में पाकिस्तान सरकार ने भी हमसे इस विकल्प पर विचार करने को कहा है. हमारे पास एक कमर्शियल रिफ़ाइनरी है और हम अपने व्यापार मॉडल के तहत रिफ़ाइंड कच्चा तेल ख़रीदते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम अमेरिकी तेल के आयात को पूरी तरह से कमर्शियल आधार पर देखते हैं. दिसंबर में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात करना आर्थिक रूप से संभव नहीं है, इसलिए इस महीने का ऑर्डर नहीं दिया गया, लेकिन तीसरा कार्गो जनवरी में आएगा.”
अमेरिकी कच्चा तेल सस्ता है?
इमेज स्रोत, Getty Images
लेकिन सवाल है कि अमेरिकी कच्चा तेल, खाड़ी देशों के मुक़ाबले क्या सस्ता है, क्योंकि दूरी की वजह से शिपिंग भाड़ा भी अधिक होगा.
हालांकि ओसामा क़ुरैशी ने दावा किया कि अमेरिकी कच्चा तेल अन्य देशों की तुलना में थोड़ा सस्ता है.
तेल एवं गैस क्षेत्र के विशेषज्ञ जाहिद मीर ने बीबीसी उर्दू को बताया कि “यह सच है कि अमेरिकी कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड और अरब लाइट क्रूड से थोड़ा सस्ता है.”
ओसामा क़ुरैशी कहा, “यह कच्चा तेल दुबई के कच्चे तेल से चार से पांच डॉलर प्रति बैरल सस्ता है. अक्तूबर और नवंबर की क़ीमतों को ध्यान में रखते हुए हमने जो हिसाब लगाया, उससे पता चला कि इन महीनों में अमेरिकी तेल पश्चिमी एशिया के कच्चे तेल से सस्ता है.”
उन्होंने कहा कि दुनिया की सभी रिफ़ाइनरियां आमतौर पर अपने आस-पास के देशों से कच्चा तेल आयात करती हैं ताकि किराए के लिहाज़ से यह उनके लिए सस्ता हो.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी रिफ़ाइनरियां पश्चिम एशिया से कच्चा तेल आयात करती हैं क्योंकि उनकी दूरी कम है.
उन्होंने आगे कहा, “सिनर्जेको रिफ़ाइनरी की ओर से अमेरिकी तेल का ऑर्डर देने का एक कारण यह है कि उनका तेल टर्मिनल 10 लाख बैरल कच्चे तेल के बड़े जहाज़ को हैंडल कर सकता है, जबकि पाकिस्तान के अन्य पोर्ट पर केवल पांच लाख बैरल की अधिकतम क्षमता वाले जहाज़ों को ही संभालने सकते हैं.”
जाहिद मीर ने कहा, “बड़े जहाज़ों के लिए बनाए गए हैंडलिंग टर्मिनल के कारण, लंबी दूरी के बावजूद सिनर्जेको की माल ढुलाई लागत कम है, जिससे अमेरिका से तेल आयात करना व्यावहारिक हो जाता है.”
ओसामा क़ुरैशी ने कहा कि सिनर्जेको रिफ़ाइनरी के पास अपना ‘सिंगल पॉइंट मूरिंग’ यानी टर्मिनल है, जो बड़े जहाज़ों को संभाल सकता है, जबकि अन्य रिफ़ाइनरियों में यह सुविधा नहीं है.
उन्होंने कहा, “बड़े जहाज़ का किराया अन्य के मुक़ाबले कम है, जिससे प्रति बैरल लागत कम हो जाती है.”
ओसामा क़ुरैशी ने कहा, “अक्तूबर और नवंबर में अमेरिकी तेल के आयात पर सकल रिफ़ाइनरी मार्जिन यानी लाभ देखा गया, इसलिए रिफ़ाइनरी ने आयात का फ़ैसला किया.”
पाकिस्तान कितना तेल आयात करता है?
इमेज स्रोत, gettyimages
पाकिस्तान में कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन कम होने के कारण बड़ी मात्रा में इसका आयात किया जाता है.
जाहिद मीर ने कहा कि पाकिस्तान अपनी ज़रूरत का 15 से 20 प्रतिशत कच्चा तेल घरेलू स्तर पर उत्पादित करता है.
पाकिस्तान के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, देश ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान लगभग 55 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था.
जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 1.5 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया गया.
पाकिस्तान पेट्रोलियम सूचना सेवा के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में देश में घरेलू तेल उत्पादन 63,000 बैरल प्रतिदिन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत कम है.
जाहिद मीर ने कहा कि पाकिस्तान में स्थानीय रिफ़ाइनरियों को प्रतिदिन 4.5 लाख बैरल कच्चे तेल की ज़रूरत होती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित