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पीएम मोदी से बात करते समय शुभांशु शुक्ला ने क्यों बांध रखे थे पैर? बोले- यहां सोना सबसे बड़ी चुनौती

Byadmin

Jun 28, 2025


अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे भारतीय अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि स्पेस स्टेशन में तिरंगा लगाना गर्व की बात है और भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने भी उनके उत्साहवर्धन किया। शुभांशु ने अंतरिक्ष यात्रा को देश की यात्रा बताया और कहा कि यह भारत के सपनों को साकार करने का अवसर है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला उत्साह और उमंग से भरे हुए हैं। वहीं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई लगभग 17 मिनट की बातचीत में उन्होंने न सिर्फ अपने अनूठे अनुभव साझा किए, बल्कि पहली बार स्पेस स्टेशन में लगाए गए तिरंगे का गौरवपूर्ण अहसास और आगे बढ़ते भारत को लेकर भी अपना दृष्टिकोण रखा।
उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि बहुत नया अनुभव है। ऐसी चीजें हो रही हैं, जो दर्शाता है कि हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भी उनका उत्साहवर्धन करते हुए अंतरिक्ष के जुड़े भारत के भविष्य के संकल्पों का साझीदार बनने का आव्हान किया। शनिवार को स्पेस स्टेशन से सेटेलाइट के माध्यम से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी कुशल-क्षेम पूछी।

पीएम मोदी ने पूछा कुशल-क्षेम

इस पर शुभांशु अभिभूत हो गए। बोले- पृथ्वी से ऑरबिट तक की 400 किलोमीटर की छोटी सी यात्रा सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि मेरे देश की भी यात्रा है। मैं छोटा था तो कभी सोच नहीं पाया कि मैं अंतरिक्ष यात्री बन सकता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का मौका भी देता है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं।

‘आप अपने साथ जो गाजर का हलवा ले गए हैं, वह साथियों को खिलाया?’ यह पूछकर पीएम ने शायद शुभांशु को यह महसूस कराने का प्रयास किया कि उनकी यात्रा की तैयारियों को लेकर भी पीएम कितनी करीबी से जानकारी रखे थे। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने बताया कि वह दिन में 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देख रहे हैं। यह प्रक्रिया बहुत अचंभित कर देने वाली है।

शुभांशु बोले- हमें और आगे जाना है

  • उन्होंने यह भी बताया कि उनकी यात्रा की गति 28 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की है। इसे भारत के मान से जोड़ते हुए कहा कि यह दिखाता है कि हमारा देश कितनी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यहां से हमें और आगे जाना है। यह सुनते ही प्रधानमंत्री से मुंह से निकला- वाह! फिर पूछा- अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहला विचार आपको क्या आया? इस पर शुभांशु ने बताया कि जब पहली बार हम अंतरिक्ष में पहुंचे तो पहला दृश्य पृथ्वी का था।
  • उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बाहर से देखकर मन में पहला ख्याल आया कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है। बाहर से कोई सीमा रेखा दिखाई नहीं देती। दूसरी चीज, हम भारत को मैप पर देखते-पढ़ते हैं कि बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है और भारत का कितना? वह सही नहीं होता, क्योंकि हम थ्री-डी ऑब्जेक्ट को टू-डी पेपर पर उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा। अनेकता में एकता का भाव साकार होता दिखता है।

शुभांशु ने सोने की समस्या का जिक्र किया

पीएम ने उल्लेख किया कि स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबर्दस्त मेहनत की है, लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप अंतरिक्ष में हैं। वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे तालमेल बैठा रहे हैं? इस पर उन्होंने अनुभव साझा किया कि यहां सबकुछ अलग है। एक साल ट्रेनिंग की, सारे सिस्टम और प्रक्रिया के बारे में पता था, लेकिन यहां आते ही अचानक सब बदल गया। हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की आदत हो जाती है। हर एक चीज उसी से तय होती है, लेकिन यहां पर छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। आपसे बात करते समय पैरों को बांध रखा है, नहीं तो ऊपर चला जाऊंगा। सोना बहुत बड़ी चुनौती है। आप छत, दीवार या जमीन कहीं भी सो सकते हैं।

पीएम के कहने पर उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए संदेश दिया कि भारत आज जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत साहसिक और ऊंचे सपने देखे हैं। उन सपनों को पूरा करने के लिए हमें आप सभी की जरूरत है। अंत में पीएम मोदी ने भारत के संकल्प उनसे साझा किए और कहा- हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है। हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रानॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशन में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, बल्कि भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा।

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