प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 75वें जन्मदिन को उत्साह-उल्लास के साथ मनाने के लिए भाजपा ने सेवा पखवाड़ा की शुरुआत की। इसके साथ ही भाजपा के इस कदम का राजनीतिक ध्येय स्वाभाविक माना जा सकता है लेकिन जिस तरह से व्यक्तिगत तौर पर और सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर देशवासियों ने सेवा कार्यों के लिए हाथ बढ़ाया उसका अलग संदेश है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 75वें जन्मदिन को उत्साह-उल्लास के साथ मनाने के लिए भाजपा ने सेवा पखवाड़ा की शुरुआत की। भाजपा के इस कदम का राजनीतिक ध्येय स्वाभाविक माना जा सकता है, लेकिन जिस तरह से व्यक्तिगत तौर पर और सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर देशवासियों ने सेवा कार्यों के लिए हाथ बढ़ाया, उसका अलग संदेश है।
यह संदेश है पीएम के रूप में मोदी की सामाजिक स्वीकार्यता और उनके सेवा कार्यों से समाज को मिली प्रेरणा का। कार्यक्रमों की राष्ट्रव्यापी श्रंखला ने ऐसा माहौल बनाया कि देशभर में सेवा के लिए समर्पण दिखाई दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाते, बल्कि उनका प्रयास यही संदेश देने का रहता है कि उनका हर दिन राष्ट्र सेवा और जनता के कल्याण के लिए समर्पित है। सेवा को लेकर पीएम की प्रतिबद्धता ने उनके 75वें जन्मदिन, 17 सितंबर 2025 को जैसे देशभर में सेवा-भाव का ज्वार उठा दिया हो और देश ने इस अवसर को सेवा के सामूहिक उत्सव में बदल दिया हो।
हजारों व्यक्ति, संगठन और संस्थाएं इस दिन को समाज के सार्थक कार्यों के लिए समर्पित करने के लिए स्वयं आगे आए। यह इस बात का जीवंत उदाहरण बन गया कि कैसे एक नेता का दृष्टिकोण लाखों लोगों को सेवा के प्रति प्रेरित कर सकता है।
कुछ उदाहरण हैं, जैसे कि स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में नोएडा और ग्रेटर नोएडा अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किया। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने पैप स्मीयर और मैमोग्राफी शिविरों के साथ महिलाओं पर केंद्रित एक पहल की।
अहमदाबाद में नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में दुनिया के सबसे बड़े रक्तदान अभियानों में से एक का आयोजन हुआ। यह अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा संचालित एक वैश्विक अभियान का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य 75 देशों के 7,500 केंद्रों से रक्त एकत्र करना था।
गुजरात में सम्प्रति फाउंडेशन ने एक विशाल चिकित्सा और रक्त परीक्षण शिविर आयोजित किया और दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल व सहायक उपकरण वितरित किए। आंध्र प्रदेश के राजामहेंद्रवरम में विशाल रक्तदान शिविर लगा। असम में स्वयंसेवकों ने ब्रह्मपुत्र नदी के तट के कुछ हिस्सों की सफाई की। ””एक पेड़ मां के नाम”” अभियान जगह-जगह चला।
ओडिशा ने अपने इतिहास के सबसे बड़े पौधरोपण अभियानों में से एक की शुरुआत की, जिसमें प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 75 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन दावा है कि 71,000 से अधिक स्थानों पर 1.49 करोड़ से अधिक पौधे लगाकर इस लक्ष्य को पार कर लिया गया।
इसी तरह जबलपुर में नमो उपवन वन परियोजना का उद्घाटन किया गया। स्वास्थ्य और पर्यावरण से भी परे सेवा और सदभाव का भी उदाहरण दिखा। उत्तर प्रदेश के बलिया में युवा चेतना संगठन ने छाते बांटे। पूरे देश में स्वत: ही छोटे बड़े माध्यमों के जरिए सेवा का भाव दिखा।