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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में जल्द ही डॉक्टरों से कहा जाएगा कि वे गर्भवती महिलाओं को दर्द निवारक दवा टाइलेनॉल प्रिस्क्राइब न करें.
उन्होंने दावा किया कि इस दवा और ऑटिज़्म के बीच विवादित संबंध है.
सोमवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ़ कैनेडी जूनियर के साथ ट्रंप ने यह घोषणा की.
ट्रंप ने ये भी दावा किया कि पैरासिटामोल “फ़ायदेमंद नहीं है”. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को इसे सिर्फ़ तेज़ बुखार की गंभीर स्थिति में ही लेना चाहिए.
पैरासिटामोल, टाइलेनॉल का मुख्य घटक है और अमेरिका में इसे ‘एसिटामिनोफेन’ भी कहा जाता है.
कुछ अध्ययनों से गर्भवती महिलाओं के एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल में मुख्य घटक) लेने और ऑटिज्म के बीच एक छोटा सा संबंध सामने आया है. लेकिन अभी कोई अंतिम निष्कर्ष सामने नहीं आया है. अभी यह साबित नहीं है कि एसिटामिनोफेन के कारण ही ऑटिज्म होता है.
टाइलेनॉल क्या है?
टाइलेनॉल एक ओवर-द-काउंटर पेन किलर है. इसका अर्थ है कि इसे ख़रीदने के लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन नहीं चाहिए होता है. इस दवा का सक्रिय घटक अमेरिका में एसिटामिनोफेन और बाक़ी जगहों पर पैरासिटामोल के नाम से जाना जाता है.
ये दवा दुनिया भर में अलग-अलग नामों से बेची जाती है. दर्द लेकर से बुख़ार तक के इलाज के लिए इसकी गोलियां अधिकतर घरों में मौजूद रहती हैं.
गर्भावस्था में सुरक्षा
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दुनिया भर में सरकारों का कहना है कि यह दवा गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ने कहा कि देश भर के डॉक्टर टाइलेनॉल (जिसे पैरासिटामोल भी कहा जाता है) को गर्भवती महिलाओं के लिए एकमात्र सुरक्षित दर्द निवारक मानते रहे हैं.
संस्था का कहना है, “अतीत में किए गए अध्ययनों से ऐसा कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है जो एसिटामिनोफेन के विवेकपूर्ण इस्तेमाल और भ्रूण के विकास संबंधी मुद्दों के बीच सीधा संबंध साबित करता हो.”
यूके नेशनल हेल्थ सर्विस के दिशानिर्देशों के अनुसार, पेन किलर के रूप में पैरासिटामोल गर्भवती महिलाओं की “पहली पसंद” है. एनएचएस के अनुसार ‘यह आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान ली जाती है और आपके बच्चे को इससे कोई नुकसान नहीं पहुँचता.’
टाइलेनॉल बनाने वाली कंपनी केनव्यू ने गर्भवती महिलाओं में इस दवा के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा है कि यह लोगों के लिए सबसे सुरक्षित दर्द निवारक विकल्प है. बीबीसी ने कंपनी से टिप्पणी के लिए संपर्क किया है.
कंपनी और अमेरिकी डॉक्टर दोनों ही गर्भवती महिलाओं को सलाह देते हैं कि वे कोई भी ओवर-द-काउंटर दवा लेने से पहले हेल्थ प्रोफ़ेशनल की सलाह लें.
क्या टाइलेनॉल ऑटिज़्म का कारण बन सकता है?
अप्रैल में, अमेरिकी स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के प्रमुख रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने पांच महीनों में ऑटिज्म के कारण का पता लगाने के लिए “व्यापक परीक्षण और अनुसंधान” का संकल्प लिया था.
लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि ऑटिज्म ‘एक जटिल सिंड्रोम है जिस पर दशकों से शोध किया जा रहा है और इसके कारणों का पता लगाना आसान नहीं होगा.
शोधकर्ताओं की राय यह है कि ऑटिज्म का कोई एक कारण नहीं है. ऐसा माना जाता है कि यह आनुवांशिक और पर्यावरणीय फैक्टरों के जटिल मिश्रण का नतीजा होता है.
अगस्त में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के चान स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के डीन के नेतृत्व में एक शोध किया गया.
इस शोध की समीक्षा में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान टाइलेनॉल के संपर्क में आने से बच्चों में ऑटिज्म और अन्य न्यूरो संबंधी बीमारियों के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है.
शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि दवा के उपयोग को सीमित करने के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए. लेकिन ये भी कहा कि यह दर्द निवारक दवा अभी भी गर्भवती महिलाओं के बुखार और दर्द के इलाज के लिए अहम है.
लेकिन 2024 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में टाइलेनॉल के संपर्क और ऑटिज़्म के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया.
डरहम विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफेसर मोनिक बोथा ने कहा, “ऐसा कोई ठोस साक्ष्य या विश्वसनीय अध्ययन नहीं है जो यह बताए कि इनमें कोई सीधा संबंध है.”
टाइलेनॉल कैसे काम करती है?
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दर्द से राहत देने वाली दवाएं (जिन्हें एनाल्जेसिक कहा जाता है) ओपिओइड या गैर-ओपिओइड हो सकती हैं.
अफीम के पौधे से प्राप्त या प्रयोगशाला में निर्मित ओपिओइड, मस्तिष्क में ओपिओइड रिसेप्टर्स से जुड़ जाते हैं और डोपामाइन नामक हार्मोन के स्राव को बढ़ावा देते हैं. ये आनंद की अनुभूति से जुड़ा होता है.
लेकिन इन दवाओं की लत लग सकती है. इसी वजह से विशेषज्ञ कहते हैं कि दर्द का इलाज पैरासिटामोल जैसी गैर-ओपिओइड दवाओं से शुरू करना सबसे अच्छा है.
दिलचस्प बात यह है कि पैरासिटामोल किस प्रकार काम करता है, इस पर अभी भी कोई सहमति नहीं बन पाई है.
ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय में मस्कुलोस्केलेटल मेडिसिन के प्रोफेसर फिलिप कोनाघन कहते हैं, “पैरासिटामोल कैसे काम करती है यह बात अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है.”
“यह शायद सेंट्रल नर्वस सिस्टम और मस्तिष्क में दर्द की अनुभूति को प्रभावित करती है और सूजन वाले हिस्सों में भी कारगर होती है.”
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, पैरासिटामोल मस्तिष्क में उन ‘रासायनिक संदेशवाहकों को अवरुद्ध करके काम करती है जो दर्द का संकेत देते हैं और शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं.’
लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि पैरासिटामोल साइक्लोऑक्सीजिनेज या COX नामक एंजाइम को बाधित करके काम करती है. ये प्रोस्टाग्लैंडीन (दर्द से जुड़े हार्मोन जैसे पदार्थ)- के उत्पादन में मदद करती है.
अब यह माना जाता है कि पैरासिटामोल दूसरे तरीकों से भी काम करती है. उदाहरण के लिए, यह AM404 कंपाउंड में मेटाबोलाइज़ होती है. ये कपाउंड कई तरह के दर्द में मददगार साबित होता है.
आप टाइलेनॉल कितनी बार ले सकते हैं?
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हेल्थ एक्सपर्ट सुरक्षित उपयोग के लिए पैरासिटामोल की खुराक के बारे में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह देते हैं. उनका तर्क है कि अगर इसे सही मात्रा में और कम समय के लिए लिया जाए तो इससे शायद ही कोई बुरा असर नहीं होगा.
एनएचएस के मुताबिक इस दवा की 500 मिलीग्राम की गोलियां 24 घंटे में अमूमन चार बार ली जा सकती हैं. लेकिन 24 घंटे में आठ गोलियों से अधिक नहीं ली जानी चाहिए.
एनएचएस ने बताया कि इस सीमा से अधिक होने पर लीवर को गंभीर नुकसान हो सकता है.
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफ़डीए) के आंकड़ों से पता चलता है कि 1998 से 2003 के बीच अमेरिका में पैरासिटामोल की अधिक खुराक लीवर के फ़ेल होना का प्रमुख कारण थी.
इनमें से लगभग आधे मामलों में ओवरडोज़ आकस्मिक था, क्योंकि पीड़ित ने अनजाने में अधिक मात्रा में इनका सेवन कर लिया था.
विशेषज्ञ माता-पिता को अपने बच्चों की खुराक के बारे में सतर्क रहने की सलाह देते हैं, खासकर जब वे दिन भर में उन लोगों के बीच जाते हैं जो उनकी देखभाल करते हैं, जैसे कि नर्सरी, दादा-दादी, नाना-नानी का घर.
कितनी असरदार है ये दवा
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विश्व स्वास्थ्य संगठन दर्द और हल्के से मध्यम बुखार तक के लिए पैरासिटामोल लेने की सिफारिश करता है.
अगर इसका असर नहीं होता है तो मरीज़ को दर्द कम करने के लिए ओपिओइड लेने चाहिए. और फिर भी काम न बने तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
पैरासिटामोल कितनी असरदार है ये दर्द पर निर्भर करता है.
ब्रिटेन स्थित कोक्रेन इंस्टीट्यूट (जो प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा और विश्लेषण करता है) का कहना है कि यह तेज़ माइग्रेन के साथ-साथ जन्म और सर्जरी के बाद दर्द को मैनेज करने में भी कारगर हो सकती है.
हालाँकि, घुटनों के गठिए जैसी बीमारियों में ये दवा इतनी फ़ायदेमंद नहीं होती.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित