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प्लंबर, सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी, 2 लाख रुपये वेतन; रूस की सेना में ऐसे फंसे भारतीय युवक

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Jan 20, 2025


रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में भारतीयों के इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। अच्छा खासा वेतन का लालच देकर युवकों को रूस भेजा गया। वहां पहुंचते ही उनका भारतीय पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने को मजबूर किया गया। कई भारतीयों की जंग लड़ते-लड़ते मौत भी हो गई है। इस बीच केरल में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है।

आईएएनएस, तिरुअनंतपुरम। भारतीयों को धोखा देकर रूसी सेना में भर्ती कराने के मामले में एक और आरोपित को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने रविवार को बताया कि आरोपित की पहचान त्रिचूर निवासी सिबी के रूप में हुई है। इससे पहले शनिवार को एर्नाकुलम से संदीप थामस और त्रिचूर से सुमेश एंटनी को गिरफ्तार किया गया था। इन तीन आरोपितों में से दो आरोपित रूस के नागरिक हैं।

मानव तस्करी और धोखाधड़ी का आरोप

पुलिस के अनुसार, तीनों ने रूस में अधिक वेतन वाली नौकरियों का झांसा देकर युवाओं को भर्ती किया, ताकि उन्हें रूसी सेना में भेजा जा सके। आरोपितों पर मानव तस्करी और धोखाधड़ी का भी आरोप है। केरल के त्रिचूर जिले के निवासी बिनिल बाबू की विधवा जोइसी जान की शिकायत पर मामले की जांच शुरू की गई।

भारतीय पासपोर्ट किए जब्त

बिनिल रूसी सेना की ओर से लड़ते हुए मारे गए थे। बिनिल और उनके रिश्तेदार जैन कुरियन इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर के रूप में काम करने की उम्मीद में अप्रैल में रूस गए थे। रूस पहुंचने पर उनके भारतीय पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें रूसी सेना में युद्ध क्षेत्र में तैनात कर दिया गया।

संदीप थामस मुख्य साजिशकर्ता

पुलिस ने बताया कि बिनिल और जैन की तरह कई युवाओं को इलेक्ट्रीशियन, रसोइया, प्लंबर और ड्राइवर जैसी गैर-सैन्य नौकरियों का झांसा देकर रूस ले जाया गया। संदीप थामस को मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है। उसने कथित तौर पर केरल के विभिन्न जिलों से युवाओं की भर्ती के लिए अपने नेटवर्क का इस्तेमाल किया। सुमेश ने मध्यस्थ के रूप में काम किया, जबकि सिबी ने नेटवर्क संचालन में सहायता की।

यूपी के आठ युवक ‘लापता’

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और मऊ जिलों के 13 युवा भी अच्छी जिंदगी की चाहत में रूस गए थे। उन्हें दो लाख रुपये महीने के वेतन का लालच दिया गया। कहा गया कि उन्हें सिक्योरिटी गार्ड और रसोइयों की नौकरी करनी होगी। मगर रूस पहुंचने ही उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के मैदान में उतार दिया गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध में आजमगढ़ के कन्हैया यादव और मऊ के रहने वाले श्यामसुंदर और सुनील यादव की जान चली गई। वहीं घायल होने के बाद दो युवक अपने घर लौट आए हैं। वहीं आठ अन्य लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।यह भी पढ़ें: 15 महीने बाद हमास की कैद से आजाद हुईं तीन महिलाएं; बदले में इजरायल कितने बंधकों को करेगा रिहा?
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