क्या एक वकील फुलटाइम पत्रकार भी हो सकता है? बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सुप्रीम कोर्ट को इसका जवाब दिया है। बीसीआई ने अदालत में बताया कि कोई भी वकील फुलटाइम पत्रकार के रूप में काम नहीं कर सकता है। ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है। बीसीआई ने ये भी बताया कि ऐसा आचार नियम 49 के तहत प्रतिबंध के कारण है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि वकालत करने वाला एडवोकेट फुलटाइम पत्रकार के रूप में काम नहीं कर सकता। बीसीआई ने अदालत को ये भी बताया कि वकीलों को फुलटाइम पत्रकारिता से प्रतिबंधित किया गया है।
बीसीआई ने आगे कहा, ‘वकालत करने वाले अधिवक्ता फुलटाइम पत्रकारिता नहीं कर सकते हैं। यह निर्णय बीसीआई के आचरण नियमों के तहत नियम 49 की शर्तों से उत्पन्न होता है, जो वकीलों की व्यावसायिक गतिविधियों को सख्ती से नियंत्रित करता है।
दरअसल, एक वकील ने अदालत में याचिका दायर की थी। वह वकील स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर भी काम करता था। वकील ने अपने खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज करने के लिए याचिका दायर की थी। उसकी याचिका पर जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने वकीलों के लिए व्यावसायिक सीमाओं के बारे में बीसीआई से जवाब मांगा था।
बीसीआई ने दिया जवाब
बीसीआई ने जवाब में कहा कि वकील और मान्यता प्राप्त पत्रकार के रूप में दोहरी भूमिका निभाने से प्रतिबंधित किया गया है। वहीं, याचिकाकर्ता का केस लड़ रहे वकील ने आश्वासन दिया कि उनका मुवक्किल अपनी कानूनी प्रैक्टिस पर ध्यान लगाने के लिए सभी पत्रकारिता गतिविधियों को बंद कर देगा।
अगले साल होगी सुनवाई
अब मामले में अगली सुनवाई 2025 में होगी। बेंच ने स्पष्ट किया कि अब विवाद समाप्त हो जाने के कारण बीसीआई को उपस्थित रहने की जरूरत नहीं है।
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