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बंगाल की जेलों में बंद बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों पर हाई कोर्ट का कड़ा रुख, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

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Nov 8, 2025


राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार से राज्य की जेलों में कैद बांग्लादेशी ¨हदू शरणार्थियों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि बंगाल की जेलों में वर्तमान में कितने बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थी हैं।

कोर्ट ने केंद्र से भी इस बाबत रिपोर्ट मांगी है कि वह बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को भारत में आश्रय देने संबंधी अपनी नीतियों को किस तरह से क्रियान्वित कर रही है। केंद्र व राज्य, दोनों को ही दो सप्ताह के अंदर अदालत में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है। गोपाल गवाली नामक व्यक्ति ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर जेलों में बंद बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को अविलंब रिहा करने की मांग की है।

क्या मिलेगी नागरिकता?

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने कहा कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम में बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए समस्त हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख व पारसी समुदाय के लोगों को यहां की नागरिकता प्रदान किए जाने की बात कही गई है।

केंद्र सरकार की ओर से सितंबर, 2025 में जारी की गई अधिसूचना के अनुसार पड़ोसी देशों से आने वाले ¨हदू, ईसाई, पारसी, जैन समुदायों के लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती, चाहे उनके पास कोई दस्तावेज हों या न हों, भले ही उनके वीजा या पासपोर्ट की अवधि समाप्त हो गई हो।

क्यों उठाया गया ये कदम?

यह कदम विशेष रूप से पड़ोसी देशों में प्रताडि़त हिंदुओं को बचाने के लिए उठाया गया था। इस अधिसूचना के बावजूद हिंदू शरणार्थियों को जेल में कैद करके रखा जा रहा है। निचली अदालतों से उन्हें जमानत भी नहीं मिल पा रही है।

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