पीटीआई, नई दिल्ली। विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के बीच चुनाव आयोग ने मंगलवार को नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) शुरू कर दिया। यह एसआइआर का दूसरा चरण है, पहले चरण में बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पक्षपाती करार देते हुए एसआइआर को धोखाधड़ी बताया।
एसआइआर के विरोध में ममता का मार्च
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में समर्थकों के साथ एक मार्च निकालकर राज्य में एसआइआर विरोधी अभियान का नेतृत्व किया और इस प्रक्रिया में खामोश एवं अदृश्य धांधली का आरोप लगाया।
भाजपा का कहना है कि अगर ममता को इस पर आपत्ति है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक व उसके सहयोगी दल भी एसआइआर का विरोध कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि उसके बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने मतदाताओं को आंशिक रूप से भरे हुए गणना फार्म सौंपना शुरू कर दिया है और वे फार्म भरने में लोगों की मदद भी करेंगे।
चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के अनुसार, एसआइआर गणना चरण से शुरू होगा और चार दिसंबर तक चलेगा। आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।
इस चरण में नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 321 जिलों और 1,843 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को कवर किया जाएगा। आयोग ने इसमें 5.3 लाख से अधिक बीएलओ, 10,448 मतदाता पंजीकरण अधिकारियों और 321 जिला चुनाव अधिकारियों को लगाया है। राजनीतिक दलों के 7.64 लाख बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) भी मैदान में हैं।
ये हैं 12 राज्य
दूसरे चरण में जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआइआर किया जाएगा, उनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बंगाल शामिल हैं।
तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और बंगाल में 2026 में चुनाव होंगे। असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची में संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कवायद चल रही है। इसके अलावा नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रविधान भी असम पर लागू है।
बंगाल में तृणमूल-भाजपा आमने सामने
बंगाल में बढ़े हुए राजनीतिक तापमान के बीच एसआइआर की शुरुआत हुई। एक तरफ भाजपा और चुनाव आयोग हैं, तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस है। भाजपा निर्वाचन आयोग की इस प्रक्रिया के पक्ष में है, जबकि तृणमूल उसके विरुद्ध खड़ी है।
भाजपा ने मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में एसआइआर का स्वागत किया है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और इरादे पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग भाजपा के दबाव में आकर अगले वर्ष राज्य में होने वाले चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर का प्रयास कर रहा है।
कोलकाता में एक एसआइआर विरोधी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को जल्दबाजी में आयोजित और राजनीति से प्रेरित करार दिया। उन्होंने कहा, “अगर एक भी पात्र मतदाता को मतदाता सूची से हटाया गया, तो हम इस भाजपा सरकार को गिरा देंगे।”
मार्च के दौरान वह संविधान की प्रति हाथ में लिए हुए थीं। तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बंगाल में मतदाताओं को डराने और मताधिकार से वंचित करने के लिए एसआइआर का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने नई दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता के बाहरी इलाके में एसआइआर के समर्थन में एक रैली का नेतृत्व किया।
द्रमुक ने वास्तविक एनआरसी बताया
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक ने एसआइआर के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में इसे वास्तविक एनआरसी करार दिया है और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। द्रमुक ने 27 अक्टूबर, 2025 को एसआइआर के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना को रद करने की मांग की है। हालांकि, राज्य में मुख्य विपक्षी दल और भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने इस प्रक्रिया का समर्थन किया है।
यूपी में ‘शुद्ध मतदाता सूची-मजबूत लोकतंत्र’ की थीम
उत्तर प्रदेश में एसआइआर की प्रक्रिया ‘शुद्ध मतदाता सूची-मजबूत लोकतंत्र’ थीम के तहत शुरू की गई। वहीं, केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एसआइआर के क्रियान्वयन पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को आनलाइन सर्वदलीय बैठक बुलाई है। भाजपा को छोड़कर राज्य के अधिकांश राजनीतिक दलों ने इसके समय को लेकर चिंता जताई है।