पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उसने मंगलवार को बलूचिस्तान में हाईजैक की गई ट्रेन जाफ़र एक्सप्रेस के 300 यात्रियों को बचा लिया है.सेना के प्रवक्ता ने कहा कि यात्रियों को बचाने के लिए चलाए गए उसके अभियान में 33 चरमपंथियों को मार दिया गया है.
सेना के मुताबिक़ उसके ऑपरेशन से पहले ही बलूच लिबरेशन आर्मी ने 21 यात्रियों और चार सैनिकों को मार दिया था. हालांकि बीबीसी इसकी पुष्टि नहीं कर पाया है.
हमलावरों से बच निकले कुछ यात्रियों ने बीबीसी को दिल दहलाने वाले ब्योरे दिए हैं.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बलूच लिबरेशन आर्मी के हमलावरों ने मंगलवार दोपहर को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफ़र एक्सप्रेस के यात्रियों को बंधक बना लिया था.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता के मुताबिक़ ट्रेन में लगभग 440 यात्री सवार थे. बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.
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बुधवार शाम पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने बताया कि यात्रियों को बचाने का उसका ऑपरेशन ख़त्म हो गया है. सेना ने दावा किया कि इस ऑपरेशन के दौरान सभी यात्रियों को बचा लिया गया है.
हालांकि प्रवक्ता ने ये भी कहा है कि ऑपरेशन से पहले ही 21 यात्रियों को मार दिया गया था.
प्रवक्ता ने ये संदेह जताया कि अब भी कुछ लोग चरमपंथियों के पास हो सकते हैं.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक सेना ने बताया कि ट्रेन छोड़ कर भागे चरमपंथी अपने साथ कुछ लोगों को बंधक बना कर नज़दीकी पहाड़ी इलाकों में ले गए होंगे. सेना उन यात्रियों को तलाश रही है जो हमलावरों से बचने के लिए पास के इलाकों में भाग कर, छिप गए थे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ क्वेटा से पेशावर जा रही जाफ़र एक्सप्रेस में सुरक्षा बलों के लगभग 100 लोग थे.
ट्रेन पर हमले का दावा करने वाली बलूच लिबरेशन आर्मी ने कहा था कि अगर सरकार ने 48 घंटों के अंदर बलूच राजनीतिक कैदियों को नहीं छोड़ा तो वो सभी बंधकों को मार देंगे.
‘सेना के लोगों के पहचान पत्र देखकर मार रहे थे’
ट्रेन में सवार एक बुजुर्ग ने बीबीसी उर्दू को बताया कि अचानक धमाका हुआ और फिर फायरिंग शुरू हो गई. कई लोग इसमें जख़्मी हो गए.
उन्होंने बताया, ”हमलावरों ने लोगों को नीचे उतरने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि नीचे नहीं उतरे तो मार दिए जाओगे. उन्होंने महिला और बुजुर्गों को अलग कर दिया था. हम किसी तरह वहां से भागने में कामयाब रहे और लगभग साढ़े तीन घंटे चलने के बाद एक सुरक्षित जगह पर पहुंच पाए.”
कुछ लोगों ने बताया कि हमलावर ट्रेन में सवार सेना के लोगों के पहचान पत्र देखकर उन्हें मार रहे थे.
इस ट्रेन में यात्रा कर रहे महबूब हुसैन ने बीबीसी उर्दू को बताया, ”ट्रेन पर हमला करने वालों ने सिंधी, पंजाबी, बलूची और पश्तून यात्रियों को पहले अलग किया. फिर सेना और सुरक्षा बलों के लोगों को अलग किया गया. वो मिलिट्री के लोगों के पहचान पत्र देख रहे थे और उन्हें गोली मार रहे थे.”
उन्होंने कहा, ”मेरे सामने ही एक शख़्स को गोली मार दी गई. उनके साथ उनकी पांच बेटियां भी थीं. मेरी आंखों के सामने कत्ल हो गया. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं.”
उन्होंने कहा, ”जब हम भाग रहे थे तो हमारे पीछे लगातार गोलीबारी हो रही थी. ढाई किलोमीटर भागने के बाद हम एक सेफ़ जगह पर पहुंचने में सफल रहे. हम भूख-प्यास से तड़प रहे थे. पांच लोगों ने सिर्फ एक-एक खजूर खाकर काम चलाया. ”
‘मेरे चचेरे भाई को मेरी आंखों के सामने मार दिया’
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सेना में काम कर चुके अल्लाहदित्ता किसी तरह भागकर क्वेटा पहुंच गए.
उन्होंने कहा, ”मेरे चचेरे भाई को मेरी आंखों के सामने ही मार दिया गया.”
ट्रेन में सफर कर रहे नूर मोहम्मद और उनकी पत्नी किसी तरह बच कर निकलने में कामयाब रहे.
नूर मोहम्मद की पत्नी ने कहा, ”मेरा दिल बहुत घबरा रहा था. मैं पसीने से नहा गई. मेरे सामने दो लोग बेहोश हो गए. हथियारबंद लोग जबरदस्ती दरवाज़ा खोलकर अंदर घुस गए और कहा कि बाहर निकल जाओ नहीं तो गोली मार देंगे.”
उनकी पत्नी ने कहा, ”हम उन हमलावरों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे कि ऐसा मत करो. हमें ट्रेन से नीचे उतरने को कहा गया. हमलावरों ने हमें ट्रेन से नीचे उतारा और कहा कि सीधे चलते जाओ पीछे मत देखो नहीं तो गोली मार देंगे. हम किसी तरह भागने में कामयाब रहे और एक घंटे चलकर एक ऐसी जगह पहुंचे जहां सेना थी. अल्लाह का शुक्र है कि हम बच गए.”
जाफ़र एक्सप्रेस के ड्राइवर अमजद यासीन भी बचने में सफल रहे. अमजद यासीन के भाई आमिर यासीन ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने परिवार वालों को फोन कर कहा है कि वो जल्द ही घर लौट आएंगे.
इस ट्रेन में सवार रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने लोगों को ग्रुप में बांट दिया. इसके बाद सेना के लोगों के हाथ बांध दिए गए. शुरू में सेना के लोगों ने गोलियां चलाईं लेकिन गोलियां ख़त्म होने के बाद हमलावरों ने उन्हें बंधक बना लिया.
‘कौन-सी भाषा बोलते हो?’
रेलवे पुलिस के एक अधिकारी ने इससे पहले बीबीसी संवाददाता मलिक मुदस्सिर को बताया कि हमलावर लोगों से पूछ रहे थे, ”हां भाई, तुम्हारी जाति क्या है, तुम्हारी भाषा क्या है?” मैं सरायकी हूं, तुम यहीं रहो, मैं सिंधी हूं, तुम यहीं रहो. इसी तरह से पंजाबी, पठान, बलूच, सबको एक-एक करके किनारे करते गए, इसी तरह से उन्होंने कई समूह बना लिए.”
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पुलिस अधिकारी के अनुसार, चरमपंथी बलूची भाषा में बोल रहे थे और कह रहे थे, “हमने सरकार से मांगें रखी हैं और अगर वे पूरी नहीं हुईं तो हम किसी को नहीं छोड़ेंगे, हम ट्रेन में आग लगा देंगे.”
अधिकारी ने दावा किया, “फिर एक समय उन्होंने कहा, वर्दी वालों को भी मार डालो. हमने कहा, ‘हम बलूच हैं.”
उन्होंने कहा, “तुम काम क्यों कर रहे हो?” फिर पता नहीं क्यों उन्होंने हमें छोड़ दिया. यह कहानी रात दस बजे तक चलती रही और उन्होंने कहा,” जो जहां है वहीं रहे, हिलने की कोशिश न करे.”
बुधवार को ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिनमें ये दिख रहा था कि 200 से ज्यादा ताबूत क्वेटा रेलवे स्टेशन पहुंचाए जा रहे थे.
पाकिस्तानी सेना ने कहा बचाव ऑपरेशन सफल रहा
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पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि यात्रियों को बचाने का ऑपरेशन सफल रहा. सुरक्षा बलों का अभियान समाप्त हो गया है और इस अभियान में सभी चरमपंथी मारे गए हैं.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक़ आईएसपीआर के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में यह दावा किया है.
प्रवक्ता ने कहा है कि इस ऑपरेशन के दौरान किसी यात्री की मौत नहीं हुई है.
हालांकि प्रवक्ता ने बताया है कि ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही चरमपंथियों ने 21 लोगों की हत्या कर दी थी.
पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री अत्ता तरार ने बताया है कि यात्रियों को बचाने का अभियान 36 घंटों तक चला.
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने सावधानी और कुशलता से ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिस वजह से ऑपरेशन के दौरान किसी बंधक को कोई नुक़सान नहीं हुआ.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.