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बांग्लादेश में इंकलाब मंच के 32 वर्षीय छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा, आगज़नी और तोड़फोड़ की घटनाएं भड़क उठीं.
बीते साल जुलाई में शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ छिड़े विद्रोह के मुख्य चेहरों में से एक उस्मान हादी भी थे.
उस्मान हादी की मृत्यु की घोषणा के बाद बांग्लादेश के मीडिया को भी निशाने पर लिया गया और हमलावरों के एक समूह ने प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार रात 11:20 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए लोगों से धैर्य रखने की अपील की और किसी भी तरह के ‘प्रचार और अफवाहों’ पर ध्यान न देने और जल्दबाजी में निर्णय न लेने का भी आग्रह किया.
मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
उन्होंने एक्स पर जारी एक बयान में लिखा, “द डेली स्टार, प्रोथोम आलो और न्यूएज के पत्रकारों: हम आपके साथ खड़े हैं. आपने जो डर और हिंसा झेली, हम उसके लिए माफ़ी मांगते हैं. देश ने डर के सामने आपका साहस और सहिष्णुता देखी है. पत्रकारों पर हमला, सच पर हमला करने जैसा है. हम आपको इंसाफ़ दिलाने का वादा करते हैं.”
उधर, इंकलाब मंच ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में जानकारी दी है कि उस्मान हादी के रिश्तेदार शुक्रवार को उनके शव को सिंगापुर से बांग्लादेश ले जाएंगे.
पिछले शुक्रवार यानी 12 दिसंबर को हादी को ढाका में चुनाव प्रचार करते वक़्त गोली मारी गई थी. गोली सिर में घुसने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
इसके बाद उन्हें 15 दिसंबर को एयरलिफ़्ट कराकर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां अस्पताल में उनकी गुरुवार को मौत हो गई.
‘सबकुछ तबाह हो गया’
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ढाका के कारवान बाज़ार स्थित प्रोथोम आलो की चार मंज़िला इमारत पूरी तरह जलकर ख़ाक हो गई. वहीं डेली स्टार के ऑफ़िस की भी दो मंज़िलें पूरी तरह जल चुकी हैं.
दोनों ही अख़बार प्रकाशित नहीं हो सके.
प्रथम आलो के सज्जाद शरीफ़ ने बीबीसी संवाददाता मानसी दाश को बताया, “हमारे दो दफ्तरों में से एक को निशाना बनाया गया. बड़ी संख्या में लोग गेट के सामने आ गए थे, गेट बंद था लेकिन उन्होंने गेट पर हमला किया और तोड़फोड़ की. उस वक्त वहां कई कर्मचारी भी मौजूद थे, किसी तरह उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला गया.”
उन्होंने कहा, ” 27 सालों में पहली बार हुआ जब हमारा अख़बार आज प्रिंट नहीं हो सका और हम अपनी वेबसाइट में भी काम नहीं कर सके. हमारे बिज़नेस ऑफिस में तोड़फोड़ हुई है, सब कुछ तबाह हो गया है.”
प्रोथोम आलो ने इस बारे में पाठकों के लिए एक संदेश भी जारी किया.
वेबसाइट पर मौजूद इस संदेश में लिखा है, “कल रात प्रोथोम आलो के कार्यालय पर बड़े पैमाने पर हुए हमले, तोड़फोड़ और आगज़नी के कारण सामान्य ऑपरेशन बनाए रखना संभव नहीं हो पाया है. नतीजतन आज (शुक्रवार) प्रोथोम आलो का प्रिंटेड एडिशन पब्लिश नहीं हो सका. इसका ऑनलाइन पोर्टल भी फिलहाल अस्थायी रूप से उपलब्ध नहीं है.”
अखबार ने अपने पाठकों से माफ़ी और सहयोग मांगते हुए ये कहा कि वे जल्द से जल्द प्रकाशन बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं.
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक कारवान बाज़ार में स्थित देश के दो शीर्ष मीडिया संस्थानों के कार्यालयों में गुरुवार की आधी रात के आसपास तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई, जिससे वहां तैनात पत्रकार फंस गए थे.
दमकलकर्मियों ने बाद में क्रेन की मदद से उन्हें बचाया और आग बुझाई. हमलावरों को मीडिया कार्यालय के अंदर लूटपाट करते हुए भी देखा गया.
जब संपादकों की परिषद के अध्यक्ष नूरुल कबीर घटनास्थल पर गए, तो उन्हें भी परेशान किया गया. बाद में वहां सेना तैनात की गई.
प्रोथोम आलो के कार्यकारी संपादक सज्जाद शरीफ़ ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि गुरुवार रात हुए हमले में काफ़ी नुकसान हुआ है, जिसमें उनके ऑफ़िस की बिजली आपूर्ति बाधित होना भी शामिल है.
सज्जाद शरीफ़ ने कहा, “हम इस पूरी घटना से बेहद सकते में हैं. यह पत्रकारिता के लिए एक बड़ा झटका है.”
‘हम बात करने की स्थिति में नहीं हैं’
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बीबीसी बांग्ला को डेली स्टार के कई कर्मचारियों से बात करने पर पता चला कि हमलावरों ने इमारत की लगभग हर मंज़िल पर हमला किया और तोड़फोड़ के साथ ही कीमती सामान लूट लिया.
डेली स्टार के एक कर्मचारी ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि हमलावरों ने उनका कैमरा, वीसीआर और हार्ड ड्राइव लूट लिया. बोलते समय वह भावुक हो गए और कहा कि उनके जीवन भर का काम और यादें इन्हीं डिवाइसों में स्टोर था.
कुछ कर्मचारियों ने यह भी कहा कि पिछली रात उन्होंने जो डर और घबराहट महसूस किया, उसकी वजह से वे सामान्य रूप से बात करने की स्थिति में नहीं हैं.
डेली स्टार की सीनियर रिपोर्टर ज़ायमा इस्लाम ने फ़ेसबुक पर गुरुवार देर रात एक पोस्ट किया, “मैं अब सांस नहीं ले पा रही हूं. यहां बहुत ज़्यादा धुआं है. मैं अंदर हूं. आप मुझे मार रहे हैं.”
वहीं, बांग्लादेश के नेता मोहम्मद अली अराफ़त ने लिखा, “प्रोथोम आलो और डेलीस्टार न्यूज़ के दफ़्तरों पर जिहादियों और आतंकवादियों के हमला करने की ख़बर है. द डेली स्टार की इमारत फिलहाल जल रही है और कई लोग अंदर फंसे हुए हैं. ईश्वर इनकी रक्षा करे.”
’28 पत्रकार चार घंटे तक फंसे रहे’
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द डेली स्टार ने ये ख़बर लिखे जाने से कुछ देर पहले गुरुवार की रात का हाल अपनी वेबसाइट पर बयां किया है.
इसके मुताबिक, “प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार की रात नौ मंज़िला इमारत के दो हिस्सों में आग लगाई, जिसमें 28 पत्रकार फंस गए थे. चूंकि आग फैल रही थी इसलिए इन पत्रकारों को छत पर जाकर जान बचानी पड़ी. करीब चार घंटे बाद इन लोगों को सेना और दमकल विभाग के लोगों ने बचाया. प्रदर्शनकारी सुबह साढ़े चार बजे तक अख़बार के दफ़्तर में रहे.”
अख़बार ने बताया कि आधी रात को करीब 100 से 200 लोगों का एक समूह मेन गेट तोड़कर इमारत के ग्राउंड फ्लोर में घुस गया था.
इसके बाद यहां तोड़फोड़ की गई और फिर ऊपर के फ्लोर पर इन लोगों ने कंप्यूटर और बाकी उपकरणों को नुकसान पहुंचाया. ग्राउंड फ्लोर पर पड़े अख़बारों और फर्नीचर को आग लगाई गई, जो बाद में फैलकर तीसरे फ्लोर तक पहुंच गई.
डेली स्टार के मुताबिक, “बाहर प्रदर्शनकारियों ने हादी की हत्या की ज़मीन तैयार करने का आरोप द डेली स्टार और बांग्ला दैनिक प्रथोम आलो पर लगाया. उन्होंने दोनों अख़बारों को “दिल्ली का पालतू” और “शेख़ हसीना का मददगार” भी कहा. हालांकि, ऐसे दावों का द डेली स्टार ज़ोरदार खंडन करता है.”
“उन्होंने नारे लगाते हुए कहा, “दिल्ली या ढाका, ढाका, ढाका. चापलूसी या आंदोलन, आंदोलन, आंदोलन. हमने ख़ून बहाया है, और भी बहाएँगे.” साथ ही प्रदर्शनकारियों ने हादी के हत्यारों को सज़ा देने की मांग की.
वेबसाइट ने कुछ देर पहले एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें इस हमले को ‘स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए काला दिन’ बताते हुए लिखा गया है, “वे हमारे दफ़्तर जला सकते हैं, हमारे संकल्प को नहीं.”
इस लेख के मुताबिक, डेली स्टार और प्रोथोम आलो पर हमले का ख़तरा बार-बार था. लेकिन न तो इस पर सरकार ने कोई गंभीरता दिखाई और न ही कोई जांच हुई.
डेली स्टार ने लिखा, गुरुवार रात शुरू हुआ और शुक्रवार सुबह तक जारी रहा यह हमला केवल दो अख़बारों पर हमला नहीं है. यह स्वतंत्र पत्रकारिता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और निजी संपत्ति की पवित्रता पर सीधा हमला है. इसे किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.”
बीबीसी हिन्दी के लिए कलेक्टिवन्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.