बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरे और इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की ज़मानत याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया है.
मंगलवार, 26 नवंबर को उन्हें चटगांव के कोतवाली थाने में दर्ज देशद्रोह के मामले में कोर्ट में पेश किया गया.
38 साल के चिन्मय दास के ख़िलाफ़ बांग्लादेश दंड संहिता की धारा 120(बी), 124(ए), 153(ए), 109 और 34 के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट काज़ी शरीफुल इस्लाम ने उनके ख़िलाफ़ यह आदेश दिया है. चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद राजधानी ढाका समेत बांग्लादेश के कई शहरों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
वहीं चिन्मय दास के वकीलों ने मीडिया में दावा किया है कि उन्हें आधारहीन और षड्यंत्रकारी मामलों में गिरफ्तार किया गया है.
अगस्त महीने में शेख़ हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ चिन्मय दास आवाज़ उठा रहे थे.
क्या है पूरा मामला
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक़ चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के ख़िलाफ़ चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
चिन्मय पर आरोप है कि उन्होंने 25 अक्तूबर को चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया.
हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन एकता परिषद के नेता राणा दासगुप्ता का दावा है कि चिन्मय कृष्ण दास के ऊपर झूठा केस बनाया गया है.
वो कहते हैं, “जिसे बांग्लादेश का ध्वज बताया जा रहा है, वह बांग्लादेश का ध्वज था ही नहीं. क्योंकि इस ध्वज पर चार तिरंगे बने हुए थे, जिसके ऊपर उन्होंने ध्वज फहराया था. बांग्लादेश सरकार किसी ना किसी तरीके से अल्पसंख्यकों की आवाज़ को दबाने के लिए झूठे केस बना रही है.”
वहीं युवा एवं खेल मंत्रालय के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद साजिब भुइयां का कहना है कि अगर चिन्मय दास देशद्रोह जैसी घटना में शामिल हैं तो उन्हें कोई रियायत नहीं दी जाएगी.
ढाका ट्रिब्यून ने चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त काज़ी मोहम्मद तारेक अज़ीज़ के हवाले से लिखा है कि चिन्मय कृष्ण दास के ख़िलाफ़ कोतवाली थाने में देशद्रोह का मामला दर्ज है और उसी सिलसिले में उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
बीबीसी बांग्ला सर्विस के मुताबिक़ चिन्मय दास को बांग्लादेश पुलिस की खुफिया ब्रांच ने गिरफ्तार किया था.
आरोप है कि ढाका से चटगांव जाते वक्त सादे कपड़ों में बांग्लादेश की खुफिया पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया.
बांग्ला सर्विस के मुताबिक सोमवार रात अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने बयान जारी कर पुष्टि की थी कि चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया है.
बांग्लादेश की न्यूज़ वेबसाइट डेली स्टार के मुताबिक पुलिस ने उन्हें हज़रत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से गिरफ्तार किया.
डेली स्टार के मुताबिक कड़ी सुरक्षा के बीच चिन्मय दास को मंगलवार, 26 नवंबर की सुबह चटगांव की एक अदालत में पेश किया है.
ढाका ट्रिब्यून का कहना है कि पुलिस की खुफिया ब्रांच ने चिन्मय को पहले गिरफ्तार किया और उसके बाद उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस को सौंप दिया गया.
भारत सरकार ने क्या कहा
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है.
बयान में कहा गया है, “चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी हैं. उनकी गिरफ्तारी और ज़मानत को नामंज़ूर करने पर हम गहरी चिंता ज़ाहिर करते हैं.”
भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए कई हमलों के बाद यह घटना सामने आई है.
बयान में कहा गया कि अल्पसंख्यकों के घरों और दुकानों में आगजनी, लूटपाट, तोड़फोड़ के साथ-साथ मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं.
भारत का आरोप है कि एक तरफ ऐसी घटनाओं में शामिल अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शांतिपूर्ण तरीके से जायज़ मांगें करने वाले धार्मिक नेताओं के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं.
सरकार ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हमलों की भी निंदा की है.
बयान में बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई है.
कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक हाल ही में ‘बांग्लादेश सनातन जागरण मंच’ और ‘बांग्लादेश सम्मिलित शंख लघु जोत’ का विलय हुआ था.
दोनों ने मिलकर ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत’ नाम का संगठन बनाया है और चिन्मय कृष्ण दास को इस नए संगठन का प्रवक्ता बनाया गया.
वे इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष भी हैं. बांग्लादेश के आठ शहरों में इस्कॉन के 50 से ज़्यादा मंदिर और केंद्र हैं.
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक 5 अगस्त यानी शेख़ हसीना की सरकार गिरने के बाद चिन्मय कृष्ण दास चर्चा में आए.
चिन्मय दास अगस्त से बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकार और उन पर हो रहे कथित अत्याचार के ख़िलाफ़ रैलियां कर रहे हैं.
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक उन्होंने हाल ही में हिंदुओं पर कथित हमलों के खिलाफ दो तीन बड़ी रैलियां की थीं, जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे.
चिन्मय दास बांग्लादेश में चटगांव के रहने वाले हैं. वो एक आश्रम भी चलाते हैं और हिंदू बच्चों को शिक्षा और अन्य सामाजिक सेवा के काम से भी जुड़े हैं.
बीबीसी बांग्ला सेवा के मुताबिक़ अब से पहले हिंदू अधिकारों को लेकर कई संगठन आवाज़ उठाते आए हैं लेकिन चिन्मय दास हाल में ही चर्चा में आए हैं और उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर कई हिंदू लोग समर्थन में पोस्ट लिख रहे हैं.
चिन्मय के समर्थन में प्रदर्शन
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक सोमवार को चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद राजधानी ढाका समेत कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
प्रदर्शनकारी चिन्मय दास की रिहाई की मांग कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े कई वीडियो देखे जा सकते हैं.
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के नेतृत्व में सोमवार शाम को प्रदर्शनकारियों ने चटगांव के चेरागी चौराहे पर प्रदर्शन किया.
वेबसाइट के मुताबिक सनातन जागरण मंच ने प्रेस रिलीज़ जारी कर चिन्मय दास की रिहाई को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन की अपील की है.
इस्कॉन ने की गिरफ्तारी की निंदा
इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस है. इस्कॉन के दुनियाभर में एक हज़ार से ज़्यादा केंद्र हैं.
इस्कॉन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर चिन्मय दास को गिरफ्तार किए जाने की निंदा की है.
इस्कॉन ने अपने बयान में कहा, “हमें परेशान करने वाली ख़बरें मिली हैं कि इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं में से एक श्री चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने हिरासत में लिया है.”
“इस्कॉन का दुनिया में कहीं भी आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाना अपमानजनक है. इस्कॉन इंडिया भारत सरकार से तत्काल कदम उठाने और बांग्लादेश सरकार से बात करने की अपील करता है कि हम एक शांतिप्रिय भक्ति आंदोलन हैं.”
इस्कॉन ने चिन्मय कृष्ण दास को तुरंत रिहा करने की मांग की है.
वीएचपी ने जारी किया बयान
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा ने चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग करते हुए एक बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश प्रशासन द्वारा वहां के एक हिंदू इस्कॉन मंदिर के मुख्य पुजारी को गिरफ्तार करने का समाचार बहुत ही चिंतनीय है.”
बागड़ा का कहना है कि वीएचपी इस कायरतापूर्ण और अलोकतांत्रिक घटना का पुरज़ोर विरोध करता है.
उनका कहना है, “इस्कॉन या हिंदू समाज के संगठनों ने अपने उत्पीड़न के विरोध में हमेशा लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन किए हैं और कभी भी हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं दिया है. इस तरह के शांतिप्रिय समाज के नेतृत्व की आवाज़ को दबाना अलोकतांत्रिक, अमानवीय और हिंदू समाज के मानवाधिकारों का हनन है.”
बागड़ा का कहना है, “दुर्भाग्य की बात है कि वैश्विक संगठनों को जितनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए थी, वैसी नहीं की गई. वीएचपी सबसे मांग करती है कि बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम को ध्यान से देखें और वहां की सरकार पर दबाव बनाए कि हिंदुओं के मानवाधिकार की रक्षा की जाए.”
उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत सरकार भी सावधानी से काम कर रही है, लेकिन हिंदू समुदाय का उत्पीड़न एक सीमा के बाद स्वीकार नहीं किया जाएगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित