इमेज कैप्शन, ढाका आने के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते तारिक़ रहमान
बांग्लादेश में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखना और 17 सालों बाद तारिक़ रहमान का लंदन से वापस ढाका लौटना काफ़ी मायने रखता है.
तारिक़ रहमान बांग्लादेश तब लौटे हैं, जब उनकी माँ पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की सेहत बहुत ख़राब है और देश के भीतर कई चीज़ें अनियंत्रित हैं.
बांग्लादेश के मीडिया में तारिक़ रहमान की वापसी को काफ़ी तवज्जो दी गई है. बांग्लादेश के अंग्रेज़ी अख़बार प्रथम आलो ने ऑप-एड पन्ने पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है- तारिक़ रहमान की वापसी अहम क्यों है?
प्रथम आलो ने लिखा है, ”जिस दिन उस्मान हादी को गोली मारी गई, उसी दिन उनकी वापसी की तारीख की घोषणा हुई. तारिक़ रहमान ऐसे समय बांग्लादेश लौट रहे हैं, जब 1975 के बाद देश सबसे नाज़ुक दौर में है. तारिक़ के सामने विशाल और कठिन चुनौती है. यह चुनौती चुनाव से पहले बीएनपी के वास्तविक नेता के रूप में और उससे भी ज़्यादा अगर वह जीतकर देश के प्रधानमंत्री बनते हैं.”
प्रथम आलो के इस ऑप-एड में बांग्लादेश के राजनीतिक विश्लेषक ज़ाहिद-उर रहमान ने लिखा है, ”यह सच है कि शेख़ हसीना के पतन और भारत भागने के बाद अवामी लीग का समर्थन रातों-रात समाप्त नहीं हुआ. फिर भी अवामी लीग की वापसी फ़िलहाल आसान नहीं दिख रही है.”
”बांग्लादेश की राजनीतिक ज़मीन पर बीएनपी के एकमात्र प्रमुख शक्ति बने रहने की संभावना है. इसलिए सत्ता में आने के बाद बीएनपी कैसे शासन करती है और ज़मीनी स्तर पर एक राजनीतिक दल के रूप में उसका प्रदर्शन कैसा रहता है-यह देश और उसके लोगों के भविष्य से गहराई से जुड़ा हुआ है.”
ज़ाहिद-उर रहमान ने लिखा है, ”देश के हर नागरिक को बीएनपी का समर्थन करना ज़रूरी नहीं है. वास्तव में यह लोकतंत्र के लिए स्वस्थ भी नहीं होगा. अवामी लीग की अनुपस्थिति में, जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व में दक्षिणपंथी और अतिदक्षिणपंथी राजनीतिक दलों का एक गठबंधन बीएनपी के विरोध में आकार ले रहा है. जो लोग मानते हैं कि उदार लोकतांत्रिक या मध्यमार्गी राजनीति देश के लिए सबसे उपयुक्त है, उनके लिए इस समय अपनी कमियों के बावजूद बीएनपी ही एकमात्र विकल्प बनी हुई है.”
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इमेज कैप्शन, तारिक़ रहमान 17 सालों बाद बांग्लादेश लौटे हैं
अल्पसंख्यकों को लेकर क्या कहा?
तारिक़ रहमान की वापसी को पश्चिम के मीडिया में काफ़ी तवज्जो मिली है. अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में से एक, जो देश में क़ानूनी मामलों का सामना करने के कारण लगभग दो दशकों से निर्वासन में थे, गुरुवार को राजधानी ढाका लौट आए. तारिक़ रहमान ने 17 वर्षों तक ब्रिटेन से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वास्तविक नेता के रूप में पार्टी के राजनीतिक मामलों का संचालन किया.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”60 वर्षीय रहमान फ़रवरी में होने वाले संसदीय चुनावों में अपनी पार्टी का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे हैं. सियासी उलटफेर में पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना, जिन्होंने कभी रहमान पर दर्जनों मुक़दमे दर्ज कराए थे और बीएनपी को लगातार परेशान किया था, अब भारत में निर्वासन में हैं. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की गतिविधियों पर पिछले वर्ष उनको सत्ता से हटाए जाने के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया था.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”चुनावों से अवामी लीग की अनुपस्थिति ने बीएनपी को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति बना दिया है. लेकिन आने वाले महीने न तो रहमान के लिए आसान होंगे और न ही उनकी पार्टी के लिए. यह चुनाव एक ऐसे अराजक दौर में होने की उम्मीद है, जिसे भीड़ की हिंसा, बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के खुले प्रदर्शन, मतदान के नियमों को लेकर मतभेद और पड़ोसी देश भारत के साथ संबंधों में टूटन ने और अधिक गंभीर बना दिया है.”
एनवाईटी ने लिखा है, तारिक़ रहमान ने अपनी वापसी पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए वादा किया कि वह “लोकतांत्रिक और आर्थिक अधिकारों” की बहाली के लिए काम करेंगे. राजनीतिक शून्य का लाभ उठाकर उग्रवादी ताक़तों के आगे बढ़ने पर भी उन्होंने बात की. तारिक़ रहमान ने देश के हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के समान अधिकारों पर ज़ोर दिया.
तारिक़ ने कहा, “हम मिलकर एक ऐसा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जैसा एक माँ सपना देखती है. यानी हम एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाना चाहते हैं. एक ऐसा बांग्लादेश जहाँ चाहे वह महिला हो, पुरुष हो या बच्चा, अगर वे सुरक्षित रूप से घर से निकलें तो सुरक्षित रूप से घर वापस भी लौट सकें.”
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इमेज कैप्शन, तारिक़ रहमान की बीएनपी चुनाव में जीत हासिल करती है तो वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं
तारिक़ रहमान का वादा
बांग्लादेश के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार द डेली स्टार ने तारिक़ रहमान की वापसी पर लिखा है, ”रहमान ढाका पहुँचे तो उनके साथ उनकी पत्नी ज़ुबैदा रहमान, बेटी ज़ाइमा और सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों की ख़ुशी के लिए परिवार की बिल्ली भी थी. इस दृश्य का प्रतीकात्मक महत्व गहरा था.”
”हवाई अड्डे के टर्मिनल के बाहर 60 वर्षीय नेता ने नंगे पाँव खड़े होकर उस मिट्टी के प्रति श्रद्धा प्रकट की, जिससे वे 17 वर्षों तक दूर रहे थे. इसके बाद वह एक बुलेटप्रूफ बस में सवार हुए, जो उन्हें जुलूस के साथ स्वागत स्थल तक ले गई. वहाँ उन्होंने समर्थकों के विशाल समूह को संबोधित किया. यह हर अर्थ में उस ठहराव की अवधि का अंत था जो 2008 में उनके ब्रिटेन जाने के साथ शुरू हुई थी.”
डेली स्टार ने लिखा है, ”उनकी वापसी बिखरे हुए राजनीतिक माहौल में कुछ हद तक संतुलन बहाल कर सकती है. ढाका पहुँचते ही उन्होंने हवाई अड्डे के लाउंज से फोन पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को स्वयं और अपने परिवार को दी गई सुरक्षा के लिए धन्यवाद दिया. जब उन्होंने अंततः जनसभा को संबोधित किया, तो उनके भाषण का सबसे प्रभावशाली हिस्सा वह था, जिसमें उन्होंने “सुरक्षित बांग्लादेश” बनाने का वादा किया.”
”सुरक्षा की वह बुनियादी अवधारणा, जो हाल के समय में दुर्लभ महसूस हो रही है. उन्होंने सड़कों पर फैली हिंसा से मुक्त एक राष्ट्र की तस्वीर खींची. उन्होंने ऐसे देश की कल्पना की, जहाँ “हर महिला, पुरुष और बच्चा घर से सुरक्षित निकल सके और सुरक्षित वापस लौट सके.” डेली स्टार ने लिखा है कि तारिक़ रहमान का बहुलतावाद पर ज़ोर काफ़ी उल्लेखनीय था.
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इमेज कैप्शन, शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश में मुक्ति युद्ध की विरासतों पर हमले बढ़े हैं (फ़ाइल फोटो)
जमात-ए इस्लामी को लेकर सवाल
बांग्लादेश के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार ढाका ट्रिब्यून ने तारिक़ रहमान के वापसी पर प्रोग्रेस मैगज़ीन के संपादक और नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ के सीनियर लेक्चरर साक़िब रहमान का एक खुला ख़त छापा है.
इस ख़त में साक़िब ने लिखा है, ”आपकी पार्टी ने शुरुआत में चुनाव की मांग की थी और किसी भी सुधार के स्पष्ट रूप से ख़िलाफ़ थी. वास्तव में, हमें यह समाचार भी मिले हैं कि आपकी पार्टी के नेतृत्व ने शुरू में हसीना के अलोकतांत्रिक संविधान को जारी रखने का विकल्प चुना था.”
”मेरी बेबाकी के लिए क्षमा करें लेकिन आपके अगले प्रधानमंत्री बनने की प्रबल संभावना का लाभ उठाकर और इस प्रकार उस अपमानजनक संविधान का पालन करना, आपकी ओर से अत्यंत लालची प्रतीत होगा. यह कहने के बावजूद, आपकी पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं में धन और सत्ता की लालसा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. यह उल्लेख न करना भी कठिन है कि पार्टी के सरकार बनाने से पहले ही पूरे देश में आपके स्थानीय नेताओं द्वारा जबरन वसूली की जा रही है.”
साक़िब ने लिखा है, ”चौथी बात यह है कि आपकी पार्टी के सत्ता में आने की संभावना संयोगवश अधिक है. केवल इसलिए कि दूसरा प्रमुख विकल्प सत्ता से हट चुका है. आप सरकार इसलिए बनाएंगे क्योंकि दूसरी बड़ी पार्टी सत्ता में नहीं है, ठीक उसी प्रकार जैसे अवामी लीग ने उन चुनावों में सरकार बनाई थी, जिनमें बीएनपी ने भाग नहीं लिया था.”
”इसलिए यह मानने का कोई ठोस कारण नहीं है कि जुलाई क्रांति के बाद पुरानी राजनीतिक प्रथाओं से मुक्ति चाहने वाले और वास्तविक बदलाव की कल्पना करने वाले हर नागरिक की पसंद बीएनपी ही है. इस बिंदु को बीएनपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने स्पष्ट करना, और उन्हें यह सलाह देना कि वे बांग्लादेश के आम लोगों को निराश न करें अत्यंत सराहनीय होगा.”
साक़िब ने लिखा है, ”एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र होने के नाते और 1971 के मुक्ति संग्राम की विरासत रखने वाली पार्टी के नेता के रूप में मुझे लगता है कि कोई भी नागरिक यह जानना चाहेगा कि आपको एक समय बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन क्यों करना पड़ा और क्या आपको उस निर्णय पर पछतावा है?”
”आगामी चुनावों में जमात को आपका एक मज़बूत प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है, इसलिए केवल बांग्लादेश के जन्म के विरुद्ध उनके रुख़ का उल्लेख करना पर्याप्त नहीं होगा, जब तक कि बीएनपी के पास यह समझाने के लिए कोई ठोस और विश्वसनीय कारण न हो कि उन्हें यह बोझ क्यों उठाना पड़ रहा है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.