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पिछले साल के छात्र आंदोलन से जुड़े बांग्लादेश के छात्र नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका के कई इलाक़ों में गुरुवार को हिंसा भड़क गई.
बीबीसी बांग्ला के अनुसार, उनके निधन की ख़बर से ढाका के, धानमंडी, शाहबाग समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुई हैं.
भीड़ ने गुरुवार रात भर ढाका में कई जगहों पर हमला किया. इनमें बांग्लादेश के दो प्रमुख अख़बारों के दफ़्तर भी शामिल हैं.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार रात 11:20 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए लोगों से धैर्य रखने की अपील की और किसी भी तरह के ‘प्रचार और अफवाहों’ पर ध्यान न देने और जल्दबाजी में निर्णय न लेने का भी आग्रह किया.
मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है.
उधर, इंकलाब मंच ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में जानकारी दी है कि उस्मान हादी के रिश्तेदार शुक्रवार को उनके शव को सिंगापुर से बांग्लादेश ले जाएंगे.
पिछले शुक्रवार को हादी को ढाका की एक मस्जिद से निकलते वक़्त गोली मारी गई थी. गोली सिर में घुसने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
इसके बाद उन्हें 15 दिसंबर को एयरलिफ़्ट कराकर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां अस्पताल में उनकी गुरुवार को मौत हो गई.
सिंगापुर के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार, “सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल और नेशनल न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों की पूरी कोशिशों के बावजूद, हादी ने 18 दिसंबर 2025 को अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया.”
सिंगापुर प्रशासन शव ढाका भेजने के लिए सिंगापुर स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन की मदद कर रहा है.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान, जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी (नेशनल सिटिजंस पार्टी) समेत विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने हादी के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
बड़े पैमाने पर हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी
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उस्मान हादी की मौत की ख़बर फैलते ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए.
प्रदर्शनकारियों ने ढाका में प्रोथोम आलो और डेली स्टार अखबारों, धानमंडी 32 स्थित शेख़ मुजीब के घर और छायानाट संस्कृति भवन पर हमला किया, तोड़फोड़ की और इमारतों को आग लगा दी.
इसके अलावा, चटगांव, राजशाही और कई अन्य क्षेत्रों में भी विभिन्न स्थानों पर हमले हुए.
ढाका पुलिस ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि धनमंडी 32 में तोड़फोड़ की घटना हुई है. बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर रहमान का यह निवास रहा है और बाद में संग्रहालय के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले इस भवन में 5 अगस्त 2024 के बाद दो बार तोड़फोड़ और आगजनी की घटना हुई है.
गुरुवार दोपहर को भी वहां तोड़फोड़ हुई और जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता देखा गया.
गुरुवार की आधी रात के क़रीब, सैकड़ों नाराज़ लोगों ने पहले दैनिक प्रोथोम आलो और फिर द डेली स्टार के कार्यालयों पर हमला किया, तोड़फोड़ की और आग लगा दी.
उस समय दोनों समाचार पत्रों के कई पत्रकार इमारत के अंदर फंसे हुए थे.
बाद में सेना, पुलिस और बीजीबी के सदस्य घटनास्थल पर पहुंचे और हमलावरों को वहां से हटाया और इसके बाद दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाया और इमारत के अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला.
इन अख़बारों का संचालन शुक्रवार को निलंबित कर दिया गया है. इन दोनों मीडिया संस्थानों की ऑनलाइन सेवाएं भी लगभग ठप हो गई हैं.
भारतीय उच्चायोग पर पत्थरबाज़ी
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गुरुवार रात देश के कई अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए.
उस्मान हादी के समर्थकों और विभिन्न राजनीतिक और छात्र संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ढाका के अंदर और बाहर के कई ज़िलों में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया.
चटगांव में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
वहां भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास के सामने बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए. स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि भीड़ ने उच्चायोग पर पत्थरबाज़ी की.
इसके अलावा, अपदस्थ अवामी लीग सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी नौफेल के घर में तोड़फोड़ की गई और उसे आग लगा दी गई.
मोहम्मद यूनुस ने क्या कहा
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गुरुवार देर रात मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, “इस क्रूर हत्या में शामिल सभी अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें अधिकतम सजा दिलाई जाएगी. इस मामले में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी.”
“हमें उन लोगों के जाल में नहीं फंसना चाहिए जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं, आइए हम सभी एकजुट होकर लोकतंत्र, न्याय और जनता के अधिकारों की स्थापना की दिशा में ठोस कदम बढ़ाएं.”
यूनुस ने कहा, “मैं एक बार फिर स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि उस्मान हादी पराजित ताकतों, फासीवादी आतंकवादियों के दुश्मन थे. उनकी आवाज़ को दबाने और क्रांतिकारियों को डराने का नापाक प्रयास पूरी तरह विफल किया जाएगा. कोई भी डर, आतंक या खूनखराबे के ज़रिए इस देश की लोकतांत्रिक प्रगति को नहीं रोका जा सकता.”
उन्होंने यह भी कहा कि मृतक हादी की पत्नी और इकलौते बच्चे की ज़िम्मेदारी सरकार लेगी.
कौन थे हादी उस्मान?
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पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ उग्र छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे.
वह शेख़ हसीना विरोधी इंकलाब मंच के सदस्य थे. फ़रवरी में होने वाले चुनावों के लिए वो भी संभावित उम्मीदवार थे और हमले के समय ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहे थे.
इंकलाब मंच पिछले साल जुलाई में हुए बांग्लादेश छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आया था.
इस समूह को कट्टरपंथी संगठन कहा गया है और यह अवामी लीग को कमजोर करने की कोशिशों में आगे रहा है.
छात्र आंदोलन में भूमिका के बावजूद, यूनुस सरकार ने इस मंच को भंग कर दिया था और राष्ट्रीय चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी.
भारत विरोधी बयानबाज़ी तेज़
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बीते कुछ दिनों से बांग्लादेश के कई नेताओं की भारत विरोधी बयानबाज़ी तेज़ है.
बुधवार को बांग्लादेश की नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के सदर्न चीफ़ ऑर्गेनाइजर हसनत अब्दुल्लाह ने कहा था कि भारत के उच्चायुक्त को देश से बाहर निकाल देना चाहिए था.
हसनत अब्दुल्लाह ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर बांग्लादेश को अस्थिर किया गया तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों ‘सेवन सिस्टर्स’ को अलग-थलग कर दिया जाएगा.
इसके बाद भारत ने दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज़ हमिदुल्लाह को तलब कर ढाका में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई थी.
शेख़ हसीना के अपदस्थ होने के बाद से बांग्लादेश और भारत के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं.
हाल के महीनों में बांग्लादेश के नेता भारत के ख़िलाफ़ आए दिन इस तरह के आरोप लगाते रहे हैं.
पिछले साल अगस्त महीने में शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश बनाने में भारत की भूमिका पर काफ़ी बहस हो रही है. बांग्लादेश के कई नेता भारत की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं.
इस समय शेख़ हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं और उनके बेटे सजीब वाज़ीद जॉय ने आरोप लगाया है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार एक इस्लामी शासन स्थापित करने की कोशिश कर रही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.