रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. ट्रंप को इस जीत पर दुनियाभर से बधाइयां मिल रही हैं.
राष्ट्रपति पद पर ट्रंप की वापसी से कुछ देशों में बेचैनी बढ़ी है तो कुछ देश खुश नजर आ रहे हैं. इस लिस्ट में एक देश बांग्लादेश भी है.
इसी साल अगस्त महीने में शेख़ हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद देश छोड़ना पड़ा था.
हिंसक आंदोलन के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ और नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को इस सरकार का प्रमुख सलाहकार नियुक्त किया गया.
एक तरह से वो ही इस सरकार के प्रमुख हैं. मोहम्मद यूनुस को डेमोक्रेट्स-बाइडन प्रशासन का ख़ास माना जाता है.
ऐसा माना जाता है कि उन्हें इस भूमिका में लाने के पीछे बाइडन प्रशासन और डेमोक्रेट्स की अहम भूमिका रही है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि अमेरिकी सत्ता परिवर्तन का बांग्लादेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? क्या ट्रंप कार्यकाल में भी बांग्लादेश को वही समर्थन मिल सकता है, जो पहले मिल रहा था.
क्या अवामी लीग की प्रमुख शेख़ हसीना अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन फिर से हासिल कर पाएंगी? और आखिर में भारत-बांग्लादेश संबंध किस दिशा में जाएंगे?
ट्रंप की जीत पर शेख़ हसीना ने क्या कहा?
इस पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप के साथ शेख़ हसीना की एक तस्वीर भी डाली गई है.
बधाई देते हुए कहा गया है, “बांग्लादेश अवामी लीग की अध्यक्ष शेख़ हसीना ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर बधाई दी.”
“उन्होंने कहा कि ट्रंप की शानदार चुनावी जीत उनके नेतृत्व और अमेरिकी लोगों का उनमें जो भरोसा है, उसका प्रमाण है.”
बयान में कहा गया है कि शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री के तौर पर उन मुलाक़ातों और बातचीत को बहुत खुशी से याद किया है जो उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए डोनाल्ड ट्रंप और मेलानिया ट्रंप के साथ की थीं.
शेख़ हसीना ने कहा कि वे उम्मीद करती हैं कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में बांग्लादेश और अमेरिका के बीच दोस्ताना और द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे.”
उन्होंने दोनों देशों के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए फिर से मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है.
इसके साथ ही उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उनके परिवार के अच्छे स्वास्थ्य, लंबे जीवन की भी कामना की.
ट्रंप के आने से क्या बढ़ेंगी मुश्किलें?
साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराया था.
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने दुख जाहिर करते हुए उस वक्त कहा था कि ट्रंप की जीत एक सूर्यग्रहण और काले दिनों की तरह है.
उनका कहना था कि साल 2016 का चुनाव गलत तरह की राजनीति का शिकार हुआ है. उन्होंने ट्रंप को सलाह देते हुए कहा था कि उन्हें दीवारों की बजाय पुल बनाने और अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है.
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में साउथ एशियन स्टडीज के प्रोफेसर संजय भारद्वाज कहते हैं कि मोहम्मद यूनुस अमेरिका में डेमोक्रेट्स के करीबी हैं.
वे कहते हैं, “जब बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया तो उस वक्त वे डेमोक्रेट्स, बाइडन प्रशासन और हिलेरी क्लिंटन के साथ मिलकर काम कर रहे थे. उन्हें इस भूमिका में लाने में अमेरिका की अहम भूमिका है.”
इस कार्यक्रम में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे.
भारद्वाज कहते हैं, “चूंकि अब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो गया है. डेमोक्रेट्स की जगह रिपब्लिकन सत्ता में होंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ट्रंप उन नीतियों को जारी रखेंगे जो बाइडन प्रशासन के समय थीं या फिर वे उनमें कुछ बदलाव करेंगे?
वे कहते हैं, “पहले अमेरिका भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए दक्षिण एशिया को एक यूनिट के तौर पर देखता था, लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र यूनिट के तौर पर देखा. इसका असर ये हुआ कि बांग्लादेश में सरकार बदल गई.”
भारद्वाज कहते हैं, “बांग्लादेश में मानवाधिकार और चुनावों को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन बाइडन के समय पर इन्हें लेकर ज़्यादा सख्ती थी और उनके शेख़ हसीना से भी अच्छे संबंध नहीं रहे हैं.”
बांग्लादेश में क्या सोच रहे हैं लोग
बांग्लादेश में बंगाली भाषा के दैनिक अख़बार प्रोथोम अलो के राजनीतिक संपादक कादिल कल्लोल का कहना है कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि शेख़ हसीना और डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका- बांग्लादेश संबंध तनावपूर्ण नहीं थे.
बीबीसी से बातचीत में वे कहते हैं कि बावजूद इसके कई लोगों ने उस समय बांग्लादेश में चुनावी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए, लेकिन ट्रंप प्रशासन की तरफ से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील के अलावा कुछ भी आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया.
कल्लोल कहते हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार और बातचीत जारी रही.
वे कहते हैं कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हाल ही में मोहम्मद यूनुस अमेरिका गए थे और उनकी मुलाक़ात जो बाइडन से हुई थी. उन्हें अच्छा खासा सम्मान मिला था.
यह सब घटनाक्रम देखने के बाद हर कोई उत्सुक है कि आगे क्या होने वाला है.
बीबीसी से बातचीत में एनटीवी बांग्लादेश के वरिष्ठ टीवी पत्रकार बरशोन कबीर कहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप का इस उपमहाद्वीप को लेकर एक अलग दृष्टिकोण है, क्योंकि वे नरेंद्र मोदी के बहुत करीबी हैं.
वे कहते हैं, “जब यह पता चला कि ट्रंप की सत्ता में वापसी हो रही है तो इसे लेकर बांग्लादेश के लोगों के अंदर मिली-जुली भावनाएं हैं, लेकिन यूनुस के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के अमेरिका के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, क्योंकि यूनुस के क्लिंटन परिवार के साथ व्यक्तिगत संबंध हैं. यह बात उनके प्रेस सचिव ने कही है.”
बरशोन कबीर कहते हैं, “भारत और बांग्लादेश ऐतिहासिक रूप से अच्छे पड़ोसी हैं. इसलिए ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यही हम सभी उम्मीद कर रहे हैं.”
वे कहते हैं, “यह तय है कि यहां बांग्लादेश में चिंताजनक स्थिति नहीं है, लेकिन हां सभी को अगले कुछ महीनों का बेसब्री से इंतजार रहेगा कि चीजें यहां से कैसे आगे बढ़ती है.”
कबीर कहते हैं, “आखिर में अमेरिका की विदेश नीति वहीं बनी हुई है. इसलिए ऐसी उम्मीद लगाई जा सकती है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-बांग्लादेश संबंधों को कोई खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन कौन जानता है कि अवामी लीग अभी क्या सोच रही है.”
बांग्लादेश के हिंदुओं पर ट्रंप का बयान
ट्रंप ने दिवाली संदेश में बांग्लादेशी हिंदुओं और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान पोस्ट किया था, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू गई थी.
उन्होंने लिखा था, “मैं बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं. भीड़ उन पर हमला कर रही है, लूटपाट कर रही है जो कि पूरी तरह से अराजकता की स्थिति है.”
ट्रंप का कहना था, “मेरे कार्यकाल में कभी ऐसा नहीं होता. कमला और जो बाइडन ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हिंदुओं की अनदेखी की है. वे इसराइल से लेकर यूक्रेन और हमारी अपनी दक्षिणी सीमा तक तबाही मचा चुके है, लेकिन हम अमेरिका को फिर से मजबूत बनाएंगे और ताकत के जरिए शांति वापस लाएंगे.”
उन्होंने लिखा, “हम कट्टरपंथी वामपंथियों के धर्म विरोधी एजेंडे के ख़िलाफ़ हिंदू अमेरिकियों की भी रक्षा करेंगे. हम आपकी आज़ादी के लिए लड़ेंगे. मेरे प्रशासन के तहत हम भारत और मेरे अच्छे दोस्त प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी साझेदारी को भी मजबूत करेंगे.”
ट्रंप अमेरिका के पहले बड़े राजनेता हैं जिन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार पर पहली बार बोला था. अपनी हिंदू जड़ों के बावजूद कमला हैरिस ने इस मामले में अपनी चुप्पी को बरकरार रखा था.
उस समय रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने लिखा था कि अगर ट्रंप जीतते हैं तो बाइडन की शह पर यूनुस के खुले खेल का अंत हो सकता है.
मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान में रिचर्स फेलो स्मृति एस पटनायक भी ऐसी ही बात करती हैं. बीबीसी से बातचीत में वे कहती हैं कि दिवाली पर हिंदुओं को लेकर जो बयान ट्रंप ने दिया था उसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आलोचना की तरह लिया गया और वैसे भी ट्रंप के साथ यूनुस के संबंध अच्छे नहीं हैं.
हालांकि कुछ जानकारों ने इसे चुनाव से जोड़कर भी देखा था और दावा किया था कि ट्रंप चुनाव में हिंदू और भारतीय वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं.
वहीं संजय भारद्वाज का कहना है, “सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका, बांग्लादेश को कितनी सुरक्षा दे पाएगा, क्योंकि अमेरिका के बिना बांग्लादेश की सरकार नहीं चल सकती.”
क्या शेख़ हसीना की वापसी हो सकती है?
बांग्लादेश फिलहाल एक अस्थिर राजनीतिक स्थिति से गुजर रहा है. शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद वहां अंतरिम सरकार ही चल रही है.
संजय भारद्वाज कहते हैं, “बांग्लादेश में अभी भी लोकतंत्र की बहाली नहीं हुई है. नई सरकार कब बन पाएगी उसका भी फिलहाल किसी को कुछ नहीं पता है.”
सवाल यही है कि आखिर नई सरकार चुनने के लिए बांग्लादेश में कब चुनाव होंगे?
पिछले महीने अंतरिम सरकार के सलाहकार डॉ. असिफ नज़रूल ने अपने बयान में चुनावों को लेकर संकेत दिए थे.
उनका कहना था कि अगले एक साल के भीतर चुनाव हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए चुनाव की दिशा में सुधार और राजनीतिक समझौते होने ज़रूरी हैं.
नज़रूल का कहना था कि अभी देश में चुनाव आयोग का गठन और मतदाता सूची तैयार की जाएगी और अगर ये काम पूरा हो जाता है तो अगले साल तक चुनाव हो सकता है.
उनका कहना था कि देश में चुनाव घोषित करने का अधिकार अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के पास है.
स्मृति एस पटनायक कहती हैं कि ऐसी स्थिति में यूनुस के ऊपर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि बाइडन की तुलना में ट्रंप उन्हें ज्यादा समय नहीं देंगे.
वे कहती हैं, “ट्रंप, मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में जल्द से जल्द चुनाव कराने के लिए कहेंगे और दूसरा चुनावों में आवामी लीग के हिस्सा लेने की संभावना अब बढ़ गई है.”
पटनायक कहती हैं कि शेख हसीना की पार्टी को अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन पाने में मदद मिलेगी.
वहीं संजय भारद्वाज कहते हैं, “बांग्लादेश में अवामी लीग वापस आएगी, भले शेख़ हसीना के नेतृत्व में हो या उनके बिना.”
वे कहते हैं, “हालांकि अवामी लीग में बहुत सारे लिबरल डेमोक्रेटिक लोग शेख हसीना को पसंद नहीं करते हैं, लेकिन आवामी लोग को ये उम्मीद है कि उन्हें वो राजनीतिक जगह बांग्लादेश में मिलेगी जिसे वो चाह रहे हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित