इमेज कैप्शन, बालेश धनखड़ को साल 2023 में कुल 39 मामलों में दोषी ठहराया गया था, जिनमें से 13 मामले यौन हिंसा के थे
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय से जुड़े एक नेता को 40 साल के कैद की सज़ा सुनाई गई है, जिसमें 30 साल का नॉन-परोल वक्त शामिल है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस व्यक्ति पर पांच कोरियाई महिलाओं के बलात्कार को “सुनियोजित तरीके से अंजाम देने का” आरोप है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया के डाउनिंग सेंटर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 43 साल के बालेश धनखड़ नाम के इस व्यक्ति को सज़ा सुनाई गई. जिस वक्त उन्हें सज़ा सुनाई गई उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था.
ऑस्ट्रिलियाई न्यूज़ वेबसाइट नाइनन्यूज़ के अनुसार धनखड़ नौकरी के लिए फर्जी विज्ञापन देकर महिलाओं को सिडनी में अपने घर या, घर से पास किसी जगह पर बुलाते और उसके बाद उन्हें नशीली दवा देते थे.
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समाचार एजेंसी ऑस्ट्रेलियन एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार आईटी सेक्टर में काम कर चुके बालेश महिला को नशा देने के बाद उनका बलात्कार करते थे.
इस रिपोर्ट के अनुसार वो अपने अपराध को कैमरे में भी कैद करते थे.
शुक्रवार को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज मिखाइल किंग ने कहा कि बालेश का व्यवहार “पूर्व नियोजित, विस्तृत रूप से किया गया, चालाकी भरा और बेहद हिंसक” था और यौन इच्छा की पूर्ति का उनका व्यवहार हर पीड़िता की उपेक्षा दिखाता है.
अपनी रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलियन एसोसिएटेड प्रेस ने जज की एक टिप्पणी को जगह दी है जिसमें वो कहते हैं, “ये पांच युवा और कमज़ोर महिलाओं के ख़िलाफ़ लंबे वक्त में सावधानी से योजना बनाकर उन पर हमला करने जैसा व्यवहार था.”
जिन महिलाओं के बलात्कार का आरोप बालेश धनखड़ पर है, उनकी उम्र 21 से 27 साल के भीतर है और घटना के दौरान या तो वो बेहोश थीं या फिर विरोध करने की स्थिति में नहीं थीं.
‘महिलाओं का विस्तृत डेटा रखते थे’
मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बालेश ने कंप्यूटर में एक एक्सेल स्प्रेडशीट बनाई थी जिसमें वह नौकरी के उनके फर्जी विज्ञापन पर आवेदन करने वाली हर महिला को खूबसूरती और स्मार्टनेस के लिए रेट किया करते थे.
इसमें वह हर महिला के साथ की गई बातचीत का ब्योरा रखते थे. साथ ही महिला की कमज़ोरी और अपनी योजना के लिए महिला की उपयोगिता के बारे में भी लिखते थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने द ऑस्ट्रेलिया के हवाले से बताया है कि धनखड़ को साल 2018 में गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त तक उन्हें बीजेपी के समर्थन वाले एक समूह के संस्थापक के रूप में भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई समुदाय में अच्छी पहचान मिली हुई थी. साथ ही वो हिंदू काउंसिल ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया के प्रवक्ता भी थे.
इसके साथ ही बालेश कई नामी कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं. एबीसी में डेटा विज़ुअलाइज़ेशन कंसल्टेंट के तौर पर वो काम कर चुके थे. इसके अलावा वो ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको, टोयोटा और सिडनी ड्रेन्स में काम कर चुके हैं.
जज का कहना था कि बालेश खुद को समाज में घुलने-मिलने वाले व्यक्ति के तौर पर दिखाते जो दूसरों के जीवन स्तर को सुधारना चाहते थे, “ये उनके गंभीर रूप से विकृत और हमलावर चरित्र से एकदम विपरीत था.”
2018 में हुई गिरफ्तारी
इमेज कैप्शन, कांग्रेस के ट्वीट का स्क्रीनशॉट जिसमें उसने बालेश धनखड़ को बीजेपी की नेता बताया है.
साल 2006 में बालेश धनखड़ एक छात्र के रूप में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे.
धनखड़ को साल 2018 में सिडनी सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट यूनिट स्थित उनके घर पर छापा मारने के बाद गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त वो पांचवीं महिला को अपने जाल में फंसा चुके थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, छापे के दौरान पुलिस को उनके घर से डेट रेप ड्रग्स और रेडियो की तरह दिखने वाली घड़ी में एक वीडियो रिकॉर्डर मिला. डेट रेप ड्रग्स, ड्रिंक में दी जाने वाली नशीली दवा है जिसका इस्तेमाल अपराधी, महिलाओं को नशे की हालत में लाने के लिए करते हैं.
साल 2023 में एक ज्यूरी ने उन्हें 13 यौन हिंसा के मामलों समेत 39 मामलों में दोषी ठहराया.
धनखड़ इस बात से इनकार करते रहे हैं कि उन्होंने महिलाओं को नशीली दवा दी या फिर उनकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाए. उन्होंने एक संवाददाता से कहा था कि “मैं जिसे मंज़ूरी समझता हूं और क़ानून जिसे मंज़ूरी समझता है, उसमें फर्क है.”
धनखड़ को 40 साल की सज़ा सुनाई गई है और उनका नॉन-परोल वक्त अप्रैल 2053 में ख़त्म होगा.
कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा
कांग्रेस ने इस ख़बर को बीजेपी से तो जोड़ा ही है, साथ ही आठ मार्च को होने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से भी जोड़ा है.
पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर 51 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया है जिसके साथ लिखा है, “महिला दिवस पर साफ संदेश है, बीजेपी नेताओं से बेटी बचाओ.”
वहीं एक अन्य पोस्ट में पार्टी ने दो तस्वीरें पोस्ट कर लिखा कि “कोर्ट ने बालेश धनखड़ को 40 साल की सजा दी है और 30 साल तक पैरोल न देने का आदेश दिया है. ऑस्ट्रेलिया के कोर्ट ने कहा है कि ये जघन्य अपराध है, ये हैवानी प्रवृति है”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित