मंगलवार को बिशप मरियन एडगर बडी ने वॉशिंगटन नेशनल कैथेड्रल में आयोजित एक प्रार्थना सभा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से एलजीबीटीक्यू+ समुदाय और आप्रवासियों के प्रति दया दिखाने की अपील की.
इस दौरान ख़ुद राष्ट्रपति ट्रंप भी मौजूद रहे.
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ट्रंप लगातार एलजीबीटीक्यू+ समुदाय और आप्रवासियों पर निशाना साधते रहे हैं.
ऐसे में ट्रंप के ही सामने बेबाकी से ऐसी बात रखने के लिए बिशप बडी की काफ़ी तारीफ़ हो रही है.
साथ ही कहा जा रहा है कि उनका ये क़दम प्रगातिशील है और अच्छे ईसाई नेतृत्व का उदाहरण भी है.
हालांकि, कुछ रूढ़िवादी ईसाइयों ने उद्घाटन प्रार्थना सभा में उनकी इस अपील को आपत्तिजनक माना. एक पादरी ने उनकी अपील को ‘अनुचित और शर्मनाक’ क़रार दिया.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर बिशप मरियन एडगर बडी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें ‘कट्टर वामपंथी ट्रंप विरोधी’ कहा. साथ ही उन्होंने बिशप से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने की मांग की.
अपने 15 मिनट के भाषण में वॉशिंगटन की एपिस्कोपल बिशप ने बिना दस्तावेज वालों और एलजीबीटीक्यू+ समुदाय की बात की जिन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है.
राष्ट्रपति पद को संभालने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप ने कई एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर यानी कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, जिनमें से एक आदेश में केवल दो जेंडर – पुरुष और महिला को मान्यता देने की बात कही गई है.
उन्होंने अवैध आप्रवासियों की संख्या और अमेरिका की सीमा पर शरण मांगने वाले दावों को तेज़ी से कम करने के क़दम उठाए हैं.
कौन हैं बिशप मरियन एडगर?
65 वर्षीय मरियन एडगर बडी डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया और मैरीलैंड राज्य की चार काउंटियों में 86 एपिस्कोपल कांग्रेशंस (चर्च सभाओं) की आध्यात्मिक नेता हैं.
वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं. इसके साथ ही, वह वॉशिंगटन नेशनल कैथेड्रल की सेवाओं की भी देखरेख करती हैं.
साल 2011 में वॉशिंगटन के एपिस्कोपल डायोसीस की नवीं बिशप के रूप में नियुक्त होने के तुरंत बाद वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में अख़बार ने उन्हें ‘मुखर उदारवादी’ बताया था.
उन्होंने इस इंटरव्यू में समलैंगिक विवाह के समर्थन की बात की थी और इसे ‘नो ब्रेनर’ (ज़्यादा माथापच्ची न करने वाला मुद्दा) कहा था.
मुख्य तौर पर डेमोक्रेटिक इलाक़े में उनके प्रगतिशील विचारों का कई लोगों ने स्वागत किया.
एपिस्कोपल चर्च को ग्लोबल एंग्लिकन कम्युनियन (जो दुनिया के सबसे बड़े ईसाई संप्रदायों में से एक है) का सबसे उदार चर्च माना जाता है.
उन्होंने अपनी वेबसाइट पर खुद को “हर इंसान के लिए भगवान के प्रेम को बताने और दिखाने की आकांक्षा रखने वाला” बताया है, जहां “सभी जेंडर और लैंगिक रुझान” के लोग बिशप, पादरी और डीकन के रूप में काम करते हैं.
चर्च की वेबसाइट पर बिशप बडी की प्रोफ़ाइल में उन्हें न्याय से जुड़े मुद्दों, जैसे नस्लीय समानता, बंदूक हिंसा की रोकथाम, आप्रवासन सुधार और एलजीबीटीक्यू+ लोगों की पूर्ण भागीदारी की समर्थक और कार्यक्रम आयोजक बताया गया है.
उनका यह नज़रिया कई रूढ़िवादी ईसाइयों, विशेषकर इवेंजेलिकल अनुयायियों के विचारों से बिल्कुल मेल नहीं खाता है. इवेंजेलिकल अनुयायी डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक हैं.
उनके लिए एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के अधिकारों में वृद्धि बाइबल की शिक्षाओं के ख़िलाफ़ हैं और यह नज़रिया सरकार की नीतियों को भी प्रभावित करता हुआ दिखाई दे रहा है.
इवेंजेलिकल अनुयायी यह भी मानते हैं कि आप्रवासन अमेरिका के लिए ख़तरा पैदा कर रहा है और वो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की नीतियों पर मानव तस्करी को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाते हैं.
पहले भी ट्रंप की आलोचना कर चुकी हैं बिशप बडी
बिशप बडी का डोनाल्ड ट्रंप के साथ यह पहला विवाद नहीं है.
ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान, जून 2020 में जॉर्ज फ़्लॉयड की हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान जब ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी के सेंट जॉन एपिस्कोपल चर्च के बाहर बाइबल के साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई तो बिशप बडी ने उनकी कड़ी आलोचना की थी.
उस समय दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “जो कुछ भी उन्होंने कहा और किया है, वह हिंसा को भड़काने के लिए है. हमें नैतिक नेतृत्व की ज़रूरत है और उन्होंने हमें बांटने की हर संभव कोशिश की है.”
यह अमेरिका में दो प्रतिद्वंद्वी नज़रियों के बारे में एक व्यापक संघर्ष को दिखाता है, कि एक ईसाई होने का मतलब क्या है.
प्रगतिशील लोग यह तर्क देते हैं कि यीशु की तरह जीवन जीने का अर्थ है दूसरों को स्वीकार करना और सामाजिक न्याय के लिए लड़ना.
वहीं, कई रूढ़िवादी मानते हैं कि उनके देश में नैतिक पतन इसलिए हो रहा है क्योंकि लोग भगवान के दिखाए हुए रास्ते का पालन नहीं कर रहे हैं.
यह ऐसा संघर्ष है जो इस चुनाव में भी साफ़ तौर पर दिखाई दिया था, जब फ्रैंकलिन ग्राहम जैसे प्रभावशाली इवेंजेलिकल नेताओं ने ट्रंप की जीत को “ईसाइयों और इवेंजेलिकल्स के लिए एक बड़ी जीत” बताया था.
हालांकि इसे मंगलवार को दिए गए दोनों बयानों में भी साफ़ देखा जा सकता है.
इनमें से एक में, एपिस्कोपल चर्च ने आप्रवासियों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है और कहा है, “ईसाई होने के नाते, हमारा विश्वास बाइबिल की उन कहानियों से प्रेरित है, जिनमें भगवान ने लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिए उन्हें दूसरे देशों में भेजा था.”
दूसरे में, रिपब्लिकन सांसद माइक कॉलिन्स ने एक्स पर बिशप बडी के बारे में कहा, “यह उपदेश देने वाले व्यक्ति को निर्वासन सूची में शामिल किया जाना चाहिए.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.