बिहार के पटना में बीते कई दिनों से लोक सेवा आयोग के परीक्षार्थियों का आंदोलन चल रहा है. रविवार शाम यहां हालात उस वक्त बिगड़ गए जब परीक्षार्थियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की और पुलिस ने बल प्रयोग किया.
पटना के गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने की कोशिश कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार का सहारा लिया.
इस घटना में कई छात्रों के घायल होने की ख़बर है. हालांकि पुलिस ने कहा है कि उन्होंने ‘लाठीचार्ज नहीं किया गया.’
पटना में धरना स्थल पर मौजूद बीबीसी संवाददाता सीटू तिवारी ने बताया कि गांधी मैदान से निकलकर प्रदर्शनकारी छात्र जेपी गोलंबर में बैठने आ गए थे. इसके बाद बैरिकेडिंग कर दी गई थी. छात्रों के साथ जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी बैठे हुए थे.
सीटू तिवारी ने बताया, प्रशांत किशोर शाम सात बजे धरना स्थल से चले गए. इसी दौरान छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़कर आगे जाने की कोशिश की. इसके बाद क़रीब आठ बजे छात्रों को हटाने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार का इस्तेमाल किया और लाठीचार्ज किया.
इस दौरान कई छात्र घायल हुए और कुछ छात्रों को हिरासत में ले लिया गया. पुलिस की वैन में बंद एक छात्र ने कहा, “मेरी बहन को भी लड़कों के साथ वैन में बंद कर दिया गया, जबकि वैन में कोई और महिला नहीं थी.”
एसपी सिटी स्वीटी सहरावत ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए लाठीचार्ज़ की बात से इनकार किया.
उन्होंने कहा, “लाठीचार्ज नहीं हुआ. बार-बार हमने छात्रों से जगह खाली करने की अपील की थी लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया. हमने ये भी कहा कि वे अपनी मांग रख सकते हैं, हम सुनने के लिए तैयार हैं. उन्होंने हमें धक्का दिया इसके बाद हमने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया.”
इससे पहले रविवार के दिन प्रशांत किशोर ने सरकार की ओर से वार्ता की पेशकश के बारे में जानकारी दी और कहा, “मौके़ पर मौजूद सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों ने साथियों (छात्रों) से बात की.”
“अगर चीफ़ सेक्रेटरी से बात के बाद छात्र या छात्र संगठनों को संतुष्टि नहीं होती है तो कल सुबह छात्रों के साथ बैठकर आगे के फ़ैसले के बारे में निर्णय लिया जाएगा.”
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बीपीएससी की 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) परीक्षा को लेकर 18 दिसंबर से ही परीक्षार्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
शनिवार को पटना प्रशासन ने छात्रों से बातचीत की रज़ामंदी दी थी, लेकिन छात्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की मांग कर रहे थे.
प्रशांत किशोर शनिवार को धरना स्थल गर्दनी बाग़ पहुंचे थे और रविवार को छात्र संसद का आयोजन करने की बात कही थी.
30 दिसंबर को छात्रों ने बिहार में चक्का जाम का आह्वान किया है और इंडिया गठबंधन में शामिल सीपीआई एमएल ने इसका समर्थन करने की भी घोषणा की है.
इस मामले में प्रदेश की सियासत भी गरमाई हुई है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, भाकपा (माले), जनसुराज जैसे विपक्षी दल भी छात्रों की मांग के समर्थन में हैं और सरकार को घेरते हुए इसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करार दे रहे हैं.
रविवार को हुई लाठीचार्ज की घटना पर इस पर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर लिखा, “पहले बिहार सरकार ने भीषण ठंड में युवाओं पर वॉटर कैनन चलवाया, फिर बेरहमी से लाठी चलवाई.”
छात्रों के आरोप
छात्रों ने परीक्षा में अनियमितताओं, प्रश्न पत्र के स्तरहीन होने और कोचिंग संस्थानों के मॉडल पेपर से सवालों के मेल खाने का आरोप लगाया है.
परीक्षार्थी पूरी परीक्षा रद्द कर इसे दोबारा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं.
छात्रों का आरोप है कि कई केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा और जैमर काम नहीं कर रहे थे और कुछ केंद्रों पर प्रश्नपत्र देरी से वितरित किए गए.
शुक्रवार को इस प्रदर्शन में जानेमाने कोचिंग संचालक ख़ान सर (फ़ैज़ल ख़ान) भी पहुंचे थे.
उन्होंने मीडिया से कहा, “बीपीएससी प्रीलिम्स में नॉर्मलाइजे़शन के ख़िलाफ़ सफ़ल आंदोलन में हम छात्रों के साथ थे. अब वही छात्र फिर से परीक्षा कराए जाने की मांग कर रहे हैं, मैं फिर उनके साथ हूं.”
उन्होंने परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी लगाने की भी मांग की.
रविवार को छात्रों ने बीबीसी हिंदी के लाईव कार्यक्रम में कहा कि अगर कुछ ही सेंटर पर परीक्षा फिर से आयोजित की जाती है तो छात्रों के समानता के अधिकार का हनन होगा, इसीलिए छात्र चाहते हैं कि फिर से पूरी परीक्षा कराई जाए.
एक परीक्षार्थी अर्चना कुमारी ने कहा, “हमारे जी सेट में हिंदी और अंग्रेज़ी के 30 ऐसे सवाल हैं जिनका क्यूआर कोड नहीं दिया गया है और चार सवाल ऐसे हैं जिसपर डबल क्यूआर कोड हैं. क्या यह आयोग की अक्षमता नहीं है?”
एक अन्य छात्र ने पूछा, “अगर परीक्षा में धांधली नहीं हुई तो बापू परीक्षा सभागार में क्यों दोबारा परीक्षा कराने की बात कही जा रही है?”
बीपीएससी ने कहा था कि बापू परीक्षा परिसर केंद्र पर आयोजित परीक्षा को रद्द किया गया है, ये परीक्षा दोबारा आयोजित कराई जाएगी.
क्या है मामला?
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (सीपीई) 2024 का मामला 6 दिसंबर से ही विवादों में है.
इस परीक्षा का विज्ञापन सितंबर 2024 में जारी हुआ था. 4 लाख 83 हज़ार अभ्यर्थियों ने इसके लिए आवेदन किया, जिनमें से 3 लाख 25 हज़ार ने परीक्षा दी.
बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच आयोजित की गई. इस परीक्षा में सामान्य ज्ञान के 150 प्रश्नों का उत्तर देना था.
यह परीक्षा 2,031 पदों के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें 200 एसडीएम, 136 डीएसपी और अन्य अधिकारियों के पद शामिल हैं. इसे हाल के वर्षों में सबसे बड़ी वैकेंसी बताया जा रहा है.
परीक्षार्थियों ने इसका प्रश्नपत्र लीक होने के साथ-साथ कई और आरोप लगाए. इसके बाद से परीक्षार्थी 18 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि परीक्षा रद्द कर दोबारा कराई जाए.
परीक्षार्थियों ने परीक्षा में अनियमितताओं, प्रश्न पत्र के स्तरहीन होने और कोचिंग संस्थानों के मॉडल पेपर से सवालों के मेल खाने का आरोप लगाया है.
बीपीएससी ने परीक्षा रद्द करने को लेकर क्या कहा था?
बीपीएससी ने परीक्षार्थियों के इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए इन्हें ‘अतार्किक’ बताया है और छात्रों से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट जाने की अपील की है.
शुक्रवार 27 दिसंबर को बीपीएससी ने साफ़ किया था कि 13 दिसंबर को आयोजित हुई परीक्षा को रद्द नहीं किया जाएगा.
बीपीएससी परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “परीक्षा रद्द करने का कोई सवाल ही नहीं है.”
उन्होंने कहा, “बापू परीक्षा परिसर केंद्र पर आयोजित परीक्षा रद्द करने का फ़ैसला बीपीएससी ने लिया है क्योंकि इस दौरान परीक्षा में बाधा डालने की कोशिश की गई थी. ये परीक्षा चार जनवरी को शहर के किसी अन्य केंद्र पर आयोजित की जाएगी.”
अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए बयान में बीपीएससी ने लिखा है, “आयोग तथ्यहीन, निराधार, भ्रामक, सत्य से परे आरोपों एवं नारेबाज़ी के आधार पर किसी केंद्र की पुनर्परीक्षा कराने या न कराने के संबंध में निर्णय नहीं लेता.”
शनिवार को बीपीएससी ने एक बयान जारी कर कहा था, “किसी भी सेंटर की परीक्षा रद्द करने का फै़सला संबंधित जिला प्रशासन द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर आयोग लेता है.”
“परीक्षा 917 केंद्रों पर हुई थी, जिसमें 911 केंद्रों पर निष्पक्ष और स्वतंत्र परीक्षा आयोजित हुई. जबकि 13 दिसंबर को उपद्रवी परीक्षार्थियों के हंगामे के बाद पटना के बापू परीक्षा परिसर में हुई परीक्षा रद्द कर दी गई.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित