भारत की एक फ़ार्मास्युटिकल कंपनी को लेकर बीबीसी आई की एक पड़ताल के बाद भारत सरकार ने बयान जारी कर दवा कंपनियों के टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल जैसी दवाइयों के निर्यात और इन्हें बनाने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है.
बीबीसी की पड़ताल में पाया गया है कि भारत में मुंबई स्थित एवियो फ़ार्मास्युटिकल्स नाम की एक फ़ार्मास्युटिकल कंपनी बिना लाइसेंस के ऐसी दवाइयां बना रही है, जिनसे नशे की लत लगती है.
ये कंपनी इसे अवैध रूप से पश्चिमी अफ़्रीका भेज रही है. इसकी वजह से वहाँ एक बड़ा स्वास्थ्य संकट खड़ा हो गया है.
चिकित्सा की भाषा में इन दवाइयों का वर्गीकरण ओपिओइड के रूप में किया जाता है. अफ़ीम से बनने वाली दवाओं को ओपिओइड कहते हैं. ये नशीली होती हैं और इसकी लत लग जाती है.
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद अब भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (सीडीएससीओ) (इंटरनेशनल सेल) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटीज़ को निर्देश भेजे हैं.
वहीं भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार के ड्रग इंस्पेक्टरों की एक संयुक्त टीम ने एवियो कंपनी के उत्पादन केंद्र और गोदाम पर छापा मारकर कार्रवाई की है. टीम ने उनका पूरा स्टॉक ज़ब्त कर लिया है और आगे के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है.
भारत सरकार ने क्या कहा?
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केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे सर्कुलर में कहा गया है, “ये बीबीसी के हालिया लेख के संबंध में है जिसमें लिखा गया है कि टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के मिश्रण के दुरुपयोग की संभावना है और ये मिश्रण भारत से पश्चिम अफ़्रीकी देशों को निर्यात किया जा रहा है.”
“इस दवा के दुरुपयोग की संभावना और इसके जनता पर हानिकारक असर को देखते हुए निवेदन किया जाता है कि सभी निर्यात को दिए गए एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट) और टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के मिश्रण को बनाने के लिए दी गई अनुमति को वापस ले लिया जाए.”
“ये भी निवेदन किया जा रहा है कि जिन आयात करने वाले देशों में टैपेंटाडोल के सभी मिश्रणों और कैरीसोप्रोडोल के सभी मिश्रणों को अनुमति नहीं दी गई है उन सभी निर्यात एनओसी और इन्हें बनाने की अनुमति को वापस लिया जाए.”
“इसे तुरंत प्रभाव से लागू किया जाना है.”
महाराष्ट्र में क्या कार्रवाई हुई
महाराष्ट्र सरकार के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बयान जारी कर बताया है कि 21 फ़रवरी 2025 को बीबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ट्रामाडोल, टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल जैसे ओपिओइड भारत में बनाए जा रहे हैं और भारत से नाइजीरिया और घाना जैसे अफ्रीकी देशों को निर्यात किए जा रहे हैं, जहाँ इससे नशा किया जा रहा है.
“इस रिपोर्ट में ख़ासतौर पर महाराष्ट्र में मौजूद दवा कंपनी एवियो पर किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन का ज़िक्र किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कंपनी अफ्रीकी देशों को टैपेंटाडोल निर्यात करने के काम में शामिल थी.”
फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के बयान के मुताबिक़, “बीबीसी की रिपोर्ट के बाद भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार के ड्रग इंस्पेक्टरों की एक संयुक्त टीम ने कंपनी के उत्पादन केंद्र और गोदाम पर छापा मारकर तुरंत कार्रवाई की. टीम ने उनका पूरा स्टॉक ज़ब्त कर लिया है और आगे के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है.”
“इस कंपनी को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1950 के तहत कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इस मामले में बिना किसी देरी या भय के पूरी निष्पक्षता के साथ सख़्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”
“21 फ़रवरी 2025 को भारत सरकार ने सभी राज्यों को निर्यात के लिए जारी एनओसी रद्द करने और टैपेंटाडोल, कैरीसोप्रोडोल और इसी तरह की दवाओं के उत्पादन की अनुमति वापस लेने का निर्देश दिया है.”
“महाराष्ट्र के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है.”
“महाराष्ट्र के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि राज्य सरकार भारत सरकार के साथ समन्वय बनाकर देश और राज्य की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाली ऐसी अवैध गतिविधियों में शामिल किसी के भी खिलाफ सख़्त कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह तैयार है.”
बीबीसी आई की रिपोर्ट में क्या था?
मुंबई की एवियो फ़ार्मास्युटिकल्स अलग-अलग ब्रांड नाम के साथ कई तरह की गोलियाँ बनाती है. यही नहीं, उसकी पैकेजिंग ऐसी की जाती है कि वो बिल्कुल वैध दवाइयाँ लगती हैं.
लेकिन इन सभी में एक जैसी नुक़सानदायक चीज़ें होती हैं: पावरफ़ुल ओपिओइड टैपेंटाडोल, मांसपेशियों को आराम पहुँचाने वाला कैरीसोप्रोडोल.
कैरीसोप्रोडोल इतनी ख़तरनाक नशीली दवा है कि यूरोप में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है.
ऐसे मिश्रण वाली दवाओं के इस्तेमाल को दुनिया में कहीं भी लाइसेंस प्राप्त नहीं है. इसके सेवन से साँस लेने में दिक़्क़त समेत दौरे पड़ सकते हैं.
यहाँ तक कि इसके ओवरडोज़ से मौत भी हो सकती है. इन ख़तरों के बाद भी ओपिओइड पश्चिम अफ़्रीका के कई देशों में अवैध रूप से बिकने वाले ड्रग्स के रूप में लोकप्रिय है, क्योंकि ये सस्ती होती हैं और आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को घाना, नाइजीरिया और आइवरी कोस्ट की सड़कों पर एवियो लोगो के ब्रांड वाले पैकेट बिकते हुए मिले.
इस ड्रग्स का पता लगाते हुए बीबीसी ने एक अंडरकवर ऑपरेटिव को एवियो की फ़ैक्टरी के भीतर भेजा.
अंडरकवर ऑपरेटिव ने ख़ुद की पहचान एक ऐसे अफ़्रीकी कारोबारी की बताई, जो नाइजीरिया में ये ओपिओइड्स भेजना चाहता है.
एक गुप्त कैमरे की मदद से बीबीसी ने एवियो के डायरेक्टर्स में से एक विनोद शर्मा का वो वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें वो उन्हीं ख़तरनाक प्रोडक्ट को दिखाते दिखे हैं जिसे बीबीसी ने पश्चिमी अफ़्रीका में बिकते देखा है.
गुप्त रूप से रिकॉर्ड किए गए फुटेज़ में ऑपरेटिव शर्मा से कहते हैं कि उनकी योजना इन गोलियों को नाइजीरिया में युवाओं को बेचने की है, “जिनके बीच ये दवाइयाँ काफ़ी लोकप्रिय हैं.”
शर्मा इस पर सीधे तरीक़े से कहते हैं-ओके. इसके बाद वो समझाते हैं कि किस तरह से दो या तीन गोलियाँ एक बार लेने से वो “रिलैक्स” और “हाई” महसूस कर सकते हैं.
मीटिंग के अंत में शर्मा कहते हैं, “ये उनके सेहत के लिए बेहद नुक़सानदायक है लेकिन इन दिनों, यही बिज़नेस है.”
ये वही बिज़नेस है, जो पश्चिमी अफ़्रीका में लाखों युवाओं के सेहत को नुक़सान पहुँचा रहा है और उनकी क्षमताओं को तबाह कर रहा है.
बीबीसी आई ने इन आरोपों के बारे में जब विनोद शर्मा और एवियो फ़ार्मास्युटिकल्स को बताया तो इस पर उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं दी.
भारत के ड्रग नियामक सीडीएससीओ ने इस पर कहा कि भारत सरकार वैश्विक स्तर पर पब्लिक हेल्थ (जन स्वास्थ्य) प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझती है और वो ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में एक ज़िम्मेदार और मज़बूत फ़ार्मास्युटिकल रेगुलेटरी (नियामक) हो.
सीडीएससीओ ने ये भी कहा कि भारत से अन्य देशों में होने वाले निर्यात पर क़रीबी निगरानी रखी जाती है और हाल ही में कड़े किए गए नियमों को सख़्ती से लागू किया जा रहा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित