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उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक़, कुंभ भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई.
महाकुंभ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के मुताबिक, “…एक मृतक की पहचान नहीं होने और एक मृतक के लावारिस होने के कारण मुआवज़ा राशि नहीं दी जा सकी है.”
बीबीसी की पड़ताल में सामने आया कि कुंभ भगदड़ में मारे गए जिस एक मृतक के ‘लावारिस’ होने का जिक्र यूपी सरकार ने किया है. उनका नाम केएन वासुदेवाचार्य है.
वे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे केएन गोविंदाचार्य के भाई थे.
केएन गोविंदाचार्य ने बीबीसी को फोन पर हुई बातचीत में बताया, “अपने भाई की तेरहवीं में वाराणसी गया था.”
बीबीसी की पड़ताल में पता चला कि सरकार ने वाराणसी के जिला कार्यालय में एक तफ्तीश भेजी थी. इस तफ्तीश के जवाब में लेखपाल ने जांच करने के बाद रिपोर्ट भेजी कि केएन वासुदेवाचार्य ने शादी नहीं की थी और मुआवज़े पाने योग्य कोई व्यक्ति परिवार में नहीं है.
बीबीसी की गहन पड़ताल में पता चला है कि प्रयागराज के कुंभ में भगदड़ की घटनाओं में 37 नहीं बल्कि, कम-से-कम 82 लोगों की मौत हुई थी. बीबीसी ने यह पड़ताल 11 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में चार महीने का समय लगाकर की.
बीबीसी की पड़ताल यहां पढ़ें-
सहायिका ने क्या बताया?
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किरण मिश्रा पिछले 20 सालों से केएन वासुदेवाचार्य के साथ सहायिका के तौर पर काम कर रही थीं.
वे बताती हैं, “वासुदेवाचार्य जी सन 1990 से वाराणसी के इस घर में रह रहे थे, जहां आप मुझसे बात कर रहे हैं. मैं करीब बीस सालों से उनका ध्यान रख रही थी. उन्होंने शादी नहीं की थी. वे एक स्कूल के प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए थे.”
किरण कहती हैं, “प्रयागराज में पहले उनकी लाश को लावारिस में डाल दिया था. बाद में बीजेपी से जुड़े एक परिचित व्यक्ति ने उनका शव रिसीव किया और एंबुलेंस से शव को बनारस लाए. उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर हुआ.”
वे कहती हैं, “भगदड़ के वक्त उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले गए थे. मैं वहीं (प्रयागराज) थी. जब भीड़ कम हुई तो दो चार घंटे के बाद मैं उन्हें देखने गई थी. मैं वहां लोगों के मुंह से कपड़ा हटाकर देख रही थी, लेकिन वे वहां वहां नहीं मिले. डॉक्टर ने तब बताया कि उन्हें स्वरुपरानी अस्पताल में लेकर गए हैं.”
किरण कहती हैं, “वासुदेवाचार्य जी को मुखाग्नि अंजनी तिवारी ने दी थी.”
अंजनी तिवारी, वाराणसी में रहते हैं और वासुदेवाचार्य को अपना गुरु मानते हैं.
अंजनी तिवारी ने क्या कहा?
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बीबीसी से फोन पर हुई बातचीत में अंजनी तिवारी कहते हैं, “वो (वासुदेवाचार्य) हमारे गुरु थे. मेरे पिता जी भी संघ में थे, तो बचपन से उनके साथ संबंध था. जब उनकी मौत हुई थी तो हमने ही गोविंदाचार्य जी को सूचना दी थी.”
वे कहते हैं, “प्रयागराज में हमारा सनातन शक्तिपीठ का शिविर लगा था. ये कुंभ में सेक्टर-15 में लगा था. वे (वासुदेवाचार्य जी) स्नान करने के लिए रात में ही करीब एक बजे शिविर से निकल गए थे, क्योंकि संगम घाट, शिविर से काफी दूर था.”
तिवारी बताते हैं, “उनके साथ एक दो लड़के और भी थे. जब भगदड़ हुई थी, तो वे सब अलग-अलग हो गए. उनको फोन लगाया जा रहा था, लेकिन लगा नहीं. भगदड़ खत्म हो गई तो वे (वासुदेवाचार्य) नहीं मिले. ना उनका शव दिखाई दिया. बाद में उन लड़कों को पता चला कि सारे शव, स्वरूपरानी अस्पताल भेजे जा रहे हैं.”
वे कहते हैं, “अस्तपाल में शिनाख्त करने वाला कोई नहीं था, फिर गोविंदाचार्य जी के माध्यम से बीजेपी के युवा मंच के कार्यकर्ता शैलेंद्र मौर्य जी ने शिनाख्त की.”
तिवारी बताते हैं, “29 जनवरी की दोपहर करीब दो बजे वासुदेवाचार्य जी के शव को स्वरुपरानी अस्पताल से रिसीव किया गया और वहां से बनारस लाया गया. यहां आने के बाद अंतिम संस्कार से लेकर सारे काम हमने किए.”
कुंभ भगदड़: बीबीसी पड़ताल
11 राज्यों के 50 से अधिक ज़िलों में की गई इस पड़ताल में बीबीसी ने 100 से अधिक ऐसे परिवारों से मुलाक़ात की जिनका कहना था कि उनके अपनों की मौत कुंभ भगदड़ में हुई है.
बीबीसी के पास इस बात के पुख़्ता सबूत हैं कि कम-से-कम 82 लोग कुंभ भगदड़ में मारे गए, जो परिवार अपनी बात साबित करने के लिए पुख़्ता सबूत नहीं दे सके, उन्हें बीबीसी ने 82 मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया है.
बीबीसी ने ज़िला स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की ताकि उनका पक्ष इस रिपोर्ट में शामिल किया जा सके. फ़ोन, व्हाट्सऐप और ईमेल के ज़रिए किए गए अनेक प्रयासों के बाद भी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
लखनऊ में बुधवार, 11 जून को एक संवाददाता सम्मेलन में जब उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से एक पत्रकार ने बीबीसी की पड़ताल के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि…आप कोई समाचार चला दें और मैं इसका जवाब दूँ, वो सही नहीं है.”
“लेकिन अगर कुंभ की दुखद दुर्घटना में किसी परिवार ने अपने सदस्य को खोया है, उसका हमने पहले भी दुख ज़ाहिर किया था, आज भी दुख ज़ाहिर करते हैं. इन परिवारों से हमारी संवेदना है, सरकार साथ है.”
कुंभ भगदड़ में हुई 82 मौतों को बीबीसी ने मौटे तौर पर तीन श्रेणियों में बांटा है.
बीबीसी पड़ताल में पहली कैटेगरी उन मृतकों की है, जिनके परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया.
दूसरी कैटेगरी उन मृतकों की है जिनके परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये कैश दिए गए, लेकिन इन लोगों को कुंभ में मारे गए लोगों में नहीं गिना गया है.
वहीं तीसरी कैटेगरी में ऐसे मृतकों को रखा गया है जिनके परिजनों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है.
बीबीसी की पड़ताल यहां पढ़ें-
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित