चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि इस तरह की बातें तब की जाती हैं जब उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं मिलते। आयोग ने मतदान प्रतिशत में हेराफेरी के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया और उसका पूरा गणित भी समझाया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए जाने पर चुनाव आयोग ने मंगलवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए तीखा हमला किया है। आयोग ने खुद को समझौतावादी कहने को बेतुका बताया और कहा कि यह देखने को मिलता है कि जब उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं मिलते है तो इस तरह की बातें की जाती है।
आयोग ने कहा कि जो लोग इस तरह की बेतुकी बातें और झूठ फैलाने की कोशिश कर रहे है वह कानून के साथ राजनीतिक दलों से जुड़े बूथ लेवल एजेंटों व चुनावी प्रक्रिया में शामिल लाखों सरकारी कर्मचारियों का भी अपमान कर रहे है। भारत में जिस पैमाने और सटीकता से चुनाव होते हैं, उसकी पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर लगाए गए आरोपों को भी सिरे से खारिज किया और उसका पूरा गणित भी उन्हें समझाया।
आयोग ने कहा ‘महाराष्ट्र में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक हुए मतदान में 6.40 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने वो¨टग की है। इस ट्रेंड से प्रति घंटे औसतन 58 लाख वोट डाले गए। इसके हिसाब से प्रति दो घंटे में औसतन 1.16 करोड़ मतदाताओं ने वोट किया होगा। ऐसे में दो घंटे में 65 लाख वोट पड़ना औसत से बहुत कम है।’
राहुल गांधी ने अमेरिका में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में साढ़े पांच से शाम साढ़े सात बजे के बीच 65 लाख वोटिंग हुई। यह स्थिति तब थी जब एक वोट डालने में करीब तीन मिनट लगते हैं ऐसे में दो घंटे में 65 लाख वोटिंग नामुमकिन है, क्योंकि इस गणित से रात दो बजे तक मतदाताओं की कतारें लगी होनी चाहिए थी, जो नहीं था। इससे साफ है कि आयोग समझौतावादी हो गया है।
आयोग ने राहुल के वयस्क मतदाताओं के आरोप पर भी दिया जवाब
आयोग ने राहुल गांधी के वयस्क मतदाताओं को लेकर लगाए गए आरोपों पर भी जवाब दिया है और कहा है कि नियमों के मुताबिक चुनाव से ठीक पहले या साल में एक बार मतदाता सूची संशोधित होती है। मतदाता सूची की अंतिम कापी राजनीतिक दलों को भी दी जाती है। वहीं मतदाता सूची तैयार करने के दौरान प्रत्येक मतदान केंद्र पर राजनीतिक दलों के भी प्रतिनिधियों की तैनाती दी जाती है।
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