केमी बैडनॉक शनिवार को ब्रिटेन की कंज़र्वेटिव पार्टी की नई नेता बन गईं.
केमी बैडनॉक ने कंज़र्वेटिव पार्टी को उसके मुख्य सिद्धांतों पर वापस लाने का वादा किया है ताकि मतदाताओं के भरोसे को फिर से जीता जा सके.
44 साल की केमी बैडनॉक ब्रेक्सिट की प्रबल समर्थक हैं. उन्हें उनके खुले विचारों और प्रवासियों के मुद्दों, ट्रांस समुदाय के अधिकारों पर कड़े रुख़ को लेकर जाना जाता है.
पहले इस पद पर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक थे. जिनके नेतृत्व में जुलाई में कंज़र्वेटिव पार्टी ने साल 1832 के बाद से सबसे ख़राब प्रदर्शन किया था.
ब्रिटिश राजनीतिक दल की पहली ब्लैक नेता
दक्षिणपंथी रॉबर्ड जेनरिक को हराने के बाद कंज़र्वेटिव पार्टी की नेता बनी केमी बैडनॉक ने पार्टी को फिर से खड़ा करने का वादा किया.
अपनी जीत के भाषण में उन्होंने पार्टी के सदस्यों से कहा, ‘अब काम पर लगने और नए बदलाव का समय है.’
बैडनॉक नाइजीरियाई मूल की हैं और ब्रिटेन में एक बड़ी पार्टी की अगुवाई करने वाली वो पहली ब्लैक महिला हैं.
बीते साढ़े आठ साल में वो छठीं टोरी नेता हैं और उनके सामने बुरी तरह बंटी हुई पार्टी को फिर से एकजुट करने की चुनौती है.
उन्होंने कहा कि नए टोरी लीडर के रूप में ‘उनकी पहली ज़िम्मेदारी है कि लेबर पार्टी की सरकार को जवाबदेह बनाया जाए.’
“हमारा दूसरा लक्ष्य कम महत्वपूर्ण नहीं है, और यह है अगले कुछ सालों में सरकार के लिए तैयारी करना.”
बैडनॉक ने कहा कि पार्टी को ऐसी योजना पर काम करने की ज़रूरत है जिससे अपने उन वोटरों को फिर से पार्टी की ओर लाया जाए, जिन्होंने साथ छोड़ दिया था, “हमारे देश की सफलता के लिए हमारी पार्टी बहुत अहम है.”
सुनक ने बैडनॉक को बधाई देते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “मैं जानता हूं कि वो हमारी महान पार्टी की शानदार नेता साबित होंगी. वो हमारी पार्टी में फिर जान फूंकेंगी, कंज़र्वेटिव मूल्यों के लिए खड़ी होंगी और लेबर पार्टी को कड़ी टक्कर देंगी.”
एक सोशल मीडिया पोस्ट में प्रधानमंत्री सर कीएर स्टार्मर ने बधाई देते हुए कहा, “एक वेस्टमिंस्टर पार्टी की पहली ब्लैक नेता बनना, हमारे देश के लिए एक गर्व का पल है.”
पार्टी को फिर से खड़ा करने का संकल्प
उन्होंने कहा कि पार्टी को ये स्वीकार करना होगा कि उसने 14 सालों तक सरकार में रहते हुए ‘ग़लतियां’ कीं और ‘चीजें बदतर’ हुईं.
अपने भाषण में उन्होंने संकेत दिया कि जेनरिक को वो अहम भूमिका देंगी, “आने वाले सालों में हमारी पार्टी में आपकी अहम भूमिका होगी.”
जेनरिक ने नतीजे आने के के बाद सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों से “केमी के पीछे लामबंद होने और इस विनाशकारी लेबर सरकार के ख़िलाफ़ संघर्ष करने” का आह्वान किया.
नेतृत्व के लिए हुए चुनाव के अंतिम नतीजों में बैडनॉक को 53,806 जबकि जेनरिक को 41,388 वोट मिले. यह पार्टी के इतिहास में सबसे कम अंतर है.
बॉब ब्लैकमैन के अनुसार, 2022 में 1,72,000 में पार्टी की सदस्य संख्या गिरकर 1,32,000 हो गई है.
सबकी नज़र इस बात पर लगी हुई है कि बैडनॉक अपनी शीर्ष कमेटी में किन लोगों को रखती हैं.
इससे पहले उन्होंने कहा था कि नेतृत्व की रेस में वो अपने सभी छह प्रतिद्वंद्वियों को अहम भूमिका देंगी.
लेकिन इस रेस में तीसरे नंबर पर रहने वाले शैडो होम सेक्रेटरी जेम्स क्लीवर्ली ने किसी अहम भूमिका में जाने की संभावना से इनकार किया है.
इसी तरह शैडो एनवायर्मेंट सेक्रेटरी स्टीव बार्कले ने भी अहम भूमिका लेने से इनकार किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने बैडनॉक के “साहस और स्पष्टता” की तारीफ़ की और कहा कि वो कंज़र्वेटिव पार्टी में बहुत ज़रूरी बदलाव लाएंगी.
उन्होंने कहा, “स्टार्मर की असफलता को बेनकाब करने के लिए केमी के पास सही साहस और स्पष्टता है.”
लेबर नेताओं ने की आलोचना
लेकिन लेबर पार्टी की अध्यक्ष एली रीव्स ने कहा कि कंज़र्वेटिव पार्टी के प्रचार अभियानों से दिखता है कि पिछली जुलाई में मिली हार से पार्टी ने कुछ भी नहीं सीखा है.
उन्होंने कहा, “वे पिछले चार महीने जनता की आवाज़ सुनने में लगा सकते थे, जो उन्होंने अराजकता पैदा की थी उसकी ज़िम्मेदारी लेते और पार्टी को बदलते. इसकी बजाय नेता के रूप में केमी बैडनॉक का चुनाव यही दिखाता है कि वो किसी तरह का बदलाव करने में अक्षम हैं.”
लिबरल डेमोक्रेटिक नेता सर एड डावे ने बैडनॉक को बधाई देते हुए कहा, “ब्रिटेन की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का पहला ब्लैक नेता होना देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है.”
लेकिन रिफ़ॉर्म यूके के उप नेता रिचर्ड टाइस ने बैडनॉक को ‘दूसरे कंज़र्वेटिव नेताओं जैसा ही बताया जो कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं.’
एक बयान में उन्होंने कहा, “केमी बैडनॉक उस सरकार में अहम और केंद्रीय भूमिका में थीं, जिसने ब्रिटेन को निराश किया.”
14 सप्ताह लंबे चले प्रचार अभियान में आप्रावासन, अर्थव्यवस्था और वोटरों के बीच कंज़र्वेटिव पार्टी के प्रति भरोसे की बहाली प्रमुख मुद्दा रहे.
जुलाई में यह पार्टी बुरी तरह हार गई और हाउस ऑफ़ कॉमन्स में रिकॉर्ड न्यूनतम 121 सीटों और 24% वोट पर सिमट गई.
वोटरों ने कंज़र्वेटिव पार्टी की बजाय लेबर, लिबरल डेमोक्रेट और रिफ़ॉर्म यूके को तरजीह दी और हज़ारों कंज़र्वेटिव वोटरों ने चार जुलाई को हुए मतदान के दिन घर पर ही रहने का विकल्प चुना.
नेतृत्व की दौड़ में प्रीति पटेल भी थीं जो बाद में टोरी नेतृत्व की रेस से बाहर हो गईं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित