इमेज कैप्शन, यूनाइटेड स्टेट्स बॉर्डर पट्रोल ने यह वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें साफ़ दिख रहा है कि भारतीयों के हाथ मे हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां लगाकर वापस भेजा गया है.
अमेरिका से बिना दस्तावेज़ वाले 104 भारतीय कामगारों को हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर मिलिटरी एयरक्राफ्ट से भेजने पर अमेरिकी मीडिया में काफ़ी बात हो रही है.
गुरुवार को भारत की संसद में विपक्षी सांसदों ने इसे अपमानजनक बताया था. वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा था कि भारत अमेरिका से कहेगा कि लोगों से मानवीय व्यवहार हो.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को डियर फ्रेंड कहकर संबोधित करते हैं. वहीं भारत को उम्मीद थी कि उसने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लेने की घोषणा कर दी थी, ऐसे में कोलंबिया और ब्राज़ील की तरह उसे शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ेगा. लेकिन वापस लौटने के बाद भारतीय प्रवासियों ने कहा कि उन्हें 40 घंटों तक हथकड़ियों में रखा गया और शौचालय तक नहीं जाने दिया.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता से पूछा कि क्या बच्चों और महिलाओं को भी हथकड़ी लगाकर लाया गया था? हालांकि अमेरिकी दूतावास ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया. पंजाब के सुखपाल सिंह 35 साल के शेफ़ हैं और वह जनवरी में मेक्सिको के ज़रिए अमेरिका में दाखिल हुए थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स से सुखपाल के पिता प्रेमपाल सिंह ने कहा, ”मेरे बेटे समेत सभी को हथकड़ी और बेड़ियां लगी थीं. उसके आसपास पुरुष हों या महिलाएं सभी के पैर में बेड़ियां थीं.”
गुरुवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से सवाल पूछा कि भारत ने अपना प्लेन क्यों नहीं भेजा?
अमेरिकी न्यूज़ नेटवर्क सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”अमेरिकी मिलिटरी एयरक्राफ़्ट C-17 बुधवार को पंजाब के अमृतसर में लैंड हुआ. इसमें ज़्यादातर गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र के लोग थे. मनरियासत सिंह के 23 साल के चचेरे भाई आकाशदीप सिंह सात महीने पहले अमेरिका गए थे. इसके लिए उन्होंने क़रीब 53 लाख रुपए खर्च किए थे. इस 53 लाख रुपए के लिए उनके पिता ने अपनी एक तिहाई ज़मीन बेच दी थी. घर वाले फिर भी ख़ुश हैं कि आकाशदीप सुरक्षित घर आ गए.”
वीडियो कैप्शन, अमेरिका से लौटाए गए जसपाल से सुनिए उनके भयावह सफर की कहानी
लौटने वाले लोगों ने क्या कहा?
सीएनएन ने लिखा है, ”महज चार सालों में भारतीय नागरिक अवैध रूप से अमेरिका में बड़ी संख्या में आए पहुँचे हैं. सरकार के डेटा के अनुसार, 2018-19 में 8,027 भारतीय अवैध रूप से आए थे और यह संख्या 2022-23 तक 96,917 पहुँच गई. कुलजिंदर कौर के पति हरविंदर सिंह किसान थे और एक एजेंट को 40 लाख रुपए देकर अमेरिका पहुँचे थे.”
”उनसे एजेंट ने कहा था कि 15 दिन में अमेरिका पहुँच जाएंगे. हरविंदर पंजाब छोड़ने के बाद ट्रक, बोट्स, वैन्स और कई तरह की गाड़ियों से 10 महीनों तक अलग-अलग देशों में घूमते रहे. आख़िरकार 15 जनवरी को वह मेक्सिको के ज़रिए अमेरिका पहुँचे थे. उनकी पत्नी कुलजिंदर कौर का कहना है कि मेक्सिको से अमेरिका पहुँचते ही हरविंदर पानी ख़रीदने गए और तभी आर्मी वालों ने उन्हें पकड़ लिया और अब उन्हें वापस लौटना पड़ा है.”
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से वापस भेजने का चलन ट्रंप ने शुरू किया है. प्यू रिसर्च की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अवैध प्रवासी सबसे ज़्यादा मेक्सिको और अल सल्वाडोर के हैं और तीसरे नंबर पर भारत है.”
”अमेरिका में सात लाख 25 हज़ार अवैध भारतीय प्रवासी हैं. हाल के वर्षों में कनाडा की सीमा से भी बिना दस्तावेज़ वाले भारतीय कामगारों ने अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश की है. पिछले साल 30 सितंबर तक अमेरिकी बॉर्डर पट्रोल पुलिस ने कनाडा बॉर्डर से 14 हज़ार से ज़्यादा भारतीयों को गिरफ़्तार किया था, जो अवैध रूप से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे थे.अमेरिका में भारत के जितने अवैध प्रवासी हैं, उनमें ज़्यादातर पंजाब और गुजरात के हैं.”
वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, ”ट्रंप को लेकर भारत पहले से ही सतर्क था. भारत अमेरिका से ऊर्जा साझेदारी बढ़ाने के लिए तैयार है. ट्रंप ख़ुद भी चाहते हैं कि अमेरिका में तेल का उत्पादन बढ़े. ट्रंप के शपथ ग्रहण के दो दिन बाद भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि भारत अमेरिका से ज़्यादा तेल ख़रीदने के लिए तैयार है. इससे पहले अमेरिका का बाइडन प्रशासन भारत के रूस से तेल ख़रीदने को लेकर परेशान था. भारत ने टैरिफ पहले ही कम करने की घोषणा कर दी है. भारत अमेरिका में निर्यात ज़्यादा करता है और आयात कम करता है. ऐसे में ट्रंप चाहते हैं कि व्यापार घाटा अमेरिका का ना हो.”
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इमेज कैप्शन, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शरीक हुए थे और उन्होंने वहाँ के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाक़ात की थी
भारत पहले से ही था सतर्क
ट्रंप पहले से ही भारत की कथित संरक्षणवादी नीतियों की आलोचना करते रहे हैं.
अमेरिकी मीडिया आउटलेट ब्लूमबर्ग के एक ओपिनियन पीस में उनके कॉलमिस्ट एंडी मुखर्जी ने लिखा है, ”भारत ने पहले ही अमेरिका को सहमति दे दी थी कि बिना दस्तावेज़ों वाले भारतीय कामगारों को वापस लाने में मदद के लिए तैयार है.”
एंडी मुखर्जी ने लिखा है, ”ज़ाहिर है कि भारत सरकार को अपने घर में इस मामले में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. अमेरिका से अवैध प्रवासियों की आने वाली हर फ्लाइट यह सवाल पूछेगी कि मोदी सरकार ने रिकॉर्ड स्तर पर कहाँ रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं? क्यों बड़ी संख्या में भारतीय दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को छोड़ने के लिए बेताब हैं? क्या भारत में उनके लिए जॉब नहीं है?”
एंडी मुखर्जी ने लिखा है, ”मोदी सरकार पहले से ही अमेरिका को ख़ुश करने लगी है. पिछले हफ़्ते शनिवार को भारत का सालाना बजट पेश हुआ और कई उत्पादों से आयात शुल्क में कटौती की घोषणा की गई.”
ब्लूमबर्ग ने एक दूसरे लेख में लिखा है, ”मोदी सरकार अमेरिकी सामानों के आयात पर टैरिफ में जितनी कटौती की बात कर रही है, उससे अमेरिका के 45.7 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के गैप पर बहुत असर नहीं पड़ेगा. ट्रंप इतने पर नहीं मानेंगे. ट्रंप एलएनजी और डिफेंस को लेकर मज़बूत डील चाहते हैं. ट्रंप के शासन में भारत की विदेश नीति का सबसे बड़ा डर यह है कि आख़िरकार चीन और अमेरिका किसी न किसी बिंदु पर साथ आ जाएंगे और भारत की अहमियत पीछे छूट जाएगी.”
27 जनवरी को ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात की थी. ट्रंप ने मोदी से कहा था कि भारत अमेरिकी सुरक्षा उपकरण और ख़रीदे. ट्रंप ने यह भी कहा था कि अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार उचित तरीक़े से होना चाहिए. यानी ट्रंप चाहते हैं कि व्यापार घाटा अमेरिका का नहीं होना चाहिए.
इस बातचीत को लेकर थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो-पैसिफिक एनलिस्ट डेरेक ग्रॉसमैन ने लिखा था, ”ट्रंप ने मोदी को व्हाइट हाउस आमंत्रित किया है लेकिन रणनीतिक साझेदारी को लेकर कुछ शर्तें भी लगा दी हैं. ट्रंप ने अमेरिकी रक्षा उपकरण ख़रीदने पर ज़ोर दिया है और द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने के लिए कहा है.”
ट्रंप अक्सर भारत को ‘टैरिफ़ किंग’ कहते हैं. भारत के ट्रेड सरप्लस का मुद्दा ट्रंप अक्सर उठाते रहे हैं. यानी भारत अमेरिका में ज़्यादा क़ीमत के सामान बेचता है और कम ख़रीदता है.
ट्रंप हमेशा से कहते रहे हैं कि भारत अमेरिका से आयात होने वाले सामान पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाता है.
अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने भारत का जीएसपी दर्जा ख़त्म कर दिया था. इसके तहत भारत को अमेरिका में अपने कुछ ख़ास उत्पादों के कर मुक्त निर्यात की अनुमति थी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित