आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत का चरित्र सेवा या निस्वार्थ सेवा में निहित है।भारत की यही भावना आज की महाशक्तियों की तरह बनने के बजाय तटस्थता से विश्व की सेवा करने में विश्वास रखता है।उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि विज्ञान और ज्ञानके अन्य क्षेत्रों में प्रगति और मानव के पास सब कुछ होने के बावजूद दुनिया में अभी भी झगड़े जारी हैं।
पीटीआई, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत का चरित्र सेवा या निस्वार्थ सेवा में निहित है। भारत की यही भावना आज की महाशक्तियों की तरह बनने के बजाय तटस्थता से विश्व की सेवा करने में विश्वास रखता है। उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि विज्ञान और ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में प्रगति और मानव के पास सब कुछ होने के बावजूद दुनिया में अभी भी झगड़े जारी हैं।
भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को एक नया रास्ता दिखाएगा
भागवत ने कहा कि भारत दुनिया को एक नया रास्ता दिखाएगाऔर जहां दुनिया उसे गुरु कहेगी, वहीं भारत उसे मित्र कहेगा। वह नागपुर में आर्ट आफ लिविंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग महा रुद्र पूजा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि मानव जीवन एक गहरे अपनेपन की भावना पर आधारित है और आज विश्व इसी रिश्ते के लिए तरस रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले 2,000 वर्षों में दुनिया जिस प्रवाह में चली, वह प्रवाह अधूरी चीजों पर आधारित था। इसलिए वे सोचते हैं कि हर कोई अलग है और हर किसी का अपना हित है और जो शक्तिशाली हैं वे अपने हितों को प्राप्त करेंगे और जो कमजोर हैं वे मर जाएंगे। यही दुनिया का नियम है, यही वे सोचते हैं।
रास्ता भगवान शिव और भारत के पास
आरएसएस प्रमुख ने उपस्थित लोगों से कहा, “हम देखते हैं कि विज्ञान और मानव ज्ञान में प्रगति के बावजूद झगड़े अभी भी जारी हैं और मनुष्य सब कुछ पाकर भी असंतुष्ट है। यह सब देखकर दुनिया लड़खड़ा रही है और उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। रास्ता कहां है? रास्ता भगवान शिव और भारत के पास है।
भागवत ने कहा कि देश के प्राचीन ऋषियों और पूर्वजों ने ज्ञान-आधारित समाज का निर्माण किया और दुनिया भारत को देखकर ही शांति और स्थिरता का अनुभव कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम विश्व कल्याण के लिए बने हैं और हम सभी को भगवान शिव की तरह बनना चाहिए, जो ज्ञान और सेवा के प्रतीक हैं।
भागवत ने कहा कि भारत के पूर्वजों ने जो संदेश दिया था, वह था विश्व का कल्याण करना। आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आरएसएस राष्ट्र का गौरव है और इसका कार्य सभी के लिए प्रेरणा है।
आज 75 साल के हो जाएंगे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को 75 वर्ष के हो जाएंगे। वह 16 वर्ष से अधिक समय से संघ के प्रमुख हैं। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 11 सितंबर, 1950 को जन्मे भागवत आरएसएस प्रमुख के कार्यकाल की अवधि के मामले में एमएस गोलवलकर और मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब) के बाद तीसरे स्थान पर हैं।
आरएसएस के तीसरे प्रमुख रहे बालासाहेब 20 से अधिक वर्षों तक शीर्ष पद पर रहे, जबकि दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर ने 32 वर्षों से अधिक समय तक संगठन का नेतृत्व किया।
पहले आरएसएस के प्रचारक बने थे मोहन भागवत
भागवत ने लगभग 50 साल पहले आरएसएस के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया और मार्च 2009 में इसके सरसंघचालक (प्रमुख) बने। उनके पिता मधुकरराव भागवत भी एक प्रचारक यानी एक पूर्णकालिक आरएसएस कार्यकर्ता थे।