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पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिका के सीज़फ़ायर कराने के दावे पर अपना पक्ष रखा है.
उन्होंने क़तर के टीवी चैनल अल-जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में कहा है कि सैन्य संघर्ष के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका ‘मध्यस्थता’ करना चाहता था लेकिन भारत ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि ‘यह द्विपक्षीय मामला है.’
इसके साथ ही इसहाक़ डार ने कहा कि पाकिस्तान को दोनों देशों के बीच बातचीत में किसी तीसरे पक्ष के शामिल होने में कोई दिक़्क़त नहीं है, लेकिन भारत ऐसा नहीं चाहता था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस इंटरव्यू में सिंधु जल समझौते से लेकर क़तर पर इसराइली हमले की बात की है.
साथ ही उन्होंने इस दौरान कई बार पाकिस्तान के ‘परमाणु हथियार वाले इकलौते मुस्लिम देश’ होने की बात दोहराई.
ग़ौरतलब है कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में सैन्य कार्रवाई की थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष शुरू हो गया था.
10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर की वार्ता के बाद संघर्ष विराम हुआ था. भारत का दावा है कि संघर्ष विराम का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से आया था जिसके बाद इस पर फ़ैसला लिया गया.
वहीं पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए कई बार अमेरिका का धन्यवाद कह चुका है जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम कराया था.
इसहाक़ डार ने आख़िर क्या कहा?
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अल जज़ीरा के पत्रकार ओसामा बिन जावेद ने इसहाक़ डार से पूछा कि दोनों देशों के बीच क्या बैकचैनल कोई बातचीत चल रही है या कोई तीसरा पक्ष इसमें शामिल है?
उन्होंने कहा, “हमें तीसरे पक्ष से कोई परहेज़ नहीं है. हालांकि भारत साफ़ कर चुका है कि यह द्विपक्षीय मामला है. लेकिन बातचीत व्यापक होनी चाहिए, इनमें आतंकवाद, व्यापार, अर्थव्यवस्था, जम्मू और कश्मीर जैसे सभी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए.”
“संघर्ष विराम का प्रस्ताव 10 मई की सुबह को जब विदेश मंत्री मार्को रूबियो के ज़रिए मेरे पास आया था तो उन्होंने मुझसे कहा था कि भारत और आपके बीच एक तटस्थ जगह पर जल्द बातचीत होगी. जब 25 जुलाई को वॉशिंगटन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान मेरी मार्को रूबियो से बात हुई तो मैंने उनसे बातचीत के बारे में पूछा. तब उन्होंने कहा कि भारत कह रहा है कि यह द्विपक्षीय मामला है.”
“हम किसी से किसी चीज़ के लिए भीख नहीं मांग रहे हैं. अगर कोई भी देश बातचीत करना चाहता है तो उसका स्वागत है. हम शांति पसंद देश हैं. और हमारा मानना है कि बातचीत ही आगे बढ़ने का रास्ता है; लेकिन इसके लिए दो पक्षों की ज़रूरत होती है, और जब तक भारत बातचीत नहीं चाहेगा तो हम कैसे बातचीत करेंगे. हम किसी पर बातचीत थोप नहीं सकते हैं.”
इसी बातचीत में उन्होंने दावा किया कि बलूचिस्तान और ख़ैबर पख़्तूनख्वाह प्रांतों में टेरर फ़ंडिंग और फ़ाइनेंसिंग में विदेशी एजेंसियों का हाथ है.
वो कहते हैं, “इसके सबूत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को सौंपे जा चुके हैं और उनके नाम अभी लेना अच्छा नहीं है. लेकिन मैं बता देना चाहता हूं कि पाकिस्तान तैयार है. हमने आतंकवाद को पहले भी सीमित किया है और आगे भी करने जा रहे हैं.”
सिंधु जल समझौते पर क्या कहा?
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इसहाक़ डार से पूछा गया कि भारत कह रहा है कि वो जल समझौते से बाहर निकल गया है तो अब दोनों के संबंध कहां हैं?
इस सवाल पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी देश हालिया परिस्थितियों में पानी की एक बूंद भी नहीं छोड़ सकता है, लोग कहते हैं कि भविष्य का विश्व युद्ध पानी पर ही होगा.
“इसके अलावा कोई भी अंतरराष्ट्रीय वैध संधि से बाहर नहीं निकल सकता है जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच है. आज की परिस्थितियां बिलकुल अलग हैं. संधि से बाहर निकलना अवैध है, आप इससे न ही बाहर निकल सकते हैं, न ही इसमें तब्दीली कर सकते हैं.”
“अगर कोई ग़लतफ़हमी है तो उसके लिए संधि के ज़रिए बना एक तंत्र मौजूद है. भारत की पानी के साथ खेलने की इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती.”
क़तर की राजधानी दोहा में इसराइली हमलों के बाद मुस्लिम और अरब देशों के प्रमुखों की बैठक रविवार को हुई. इसमें शामिल होने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ भी दोहा पहुंचे थे.
इसहाक़ डार से क़तर पर इसराइली हमलों और ग़ज़ा के हालात पर भी इस इंटरव्यू में बात की गई. उनसे पूछा गया कि क्या सभी मुस्लिम देश अपनी ज़िम्मेदारी निभा पा रहे हैं?
इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि कौन देश कितना बड़ा या कितना छोटा है, सम्मान सबका बराबर होना चाहिए.
“अगर मैं भारत और पाकिस्तान की बात करूं तो कोई देश दावा करता है कि वो पूरे उप महाद्वीप का कैप्टन है. आपने देखा होगा कि 7-10 मई को क्या हुआ. चार दिन में सब हिसाब बराबर हो गया और आधिपत्य दफ़न हो गया. हमें युद्ध में झोंका गया और हमने जो किया वो आत्मरक्षा में किया. इसी तरह से ग़ज़ा के मामले में लीडरशिप को फ़ैसला करना चाहिए. कूटनीति और बातचीत सबसे अच्छा विकल्प है.”
पाकिस्तान के साथ संघर्ष पर भारत का यह है कहना
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बीते महीने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक मीडिया कार्यक्रम में संघर्ष विराम को लेकर कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत हुई थी.
ट्रंप ने कई बार ये दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष उन्होंने रुकवाया था. पाकिस्तान ने इसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया था.
लेकिन बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रंप के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि “दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए नहीं कहा.”
मध्यस्थता के मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, “भारत कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे मुल्क की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता. इन तीन बातों पर भारत का रुख़ स्पष्ट है.”
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर चरमपंथी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी.
इसके बाद छह-सात मई की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी कैंपों को निशाना बनाया. इस अभियान को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया.
इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष शुरू हुआ, जो 10 मई को संघर्ष विराम की घोषणा के साथ थम गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.