साल 2020 में जब गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी तो उसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने चीनी सामान के ख़िलाफ़ बहिष्कार की मुहिम छेड़ दी थी.
सोशल मीडिया से लेकर बाज़ारों में चीनी सामान ख़रीदने की जगह ‘मेड इन इंडिया’ के सामान को इस्तेमाल करने की बात कही थी.
याद कीजिए, ठीक इसी समय भारत सरकार ने 50 से ज़्यादा चीनी कंपनियों के स्वामित्व वाले ऐप्स बैन कर दिए थे. सरकार का कहना था कि ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं.
इस घटना को चार साल से ज़्यादा का वक़्त बीत चुका है, लेकिन भारतीयों की ‘मेड इन चाइना’ यानी चीन में बने सामानों पर निर्भरता बढ़ती चली गई. कम से कम भारत सरकार के आंकड़े तो यही कहानी बयां कर रहे हैं.
भारत और चीन के रिश्तों की चर्चा एक बार फिर गर्म है. सीमा पर गश्त को लेकर मामले सुलझने के बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के कज़ान में द्विपक्षीय बातचीत कर रहे हैं.
पांच साल बाद मोदी और जिनपिंग द्विपक्षीय बातचीत करने जा रहे हैं. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच अक्तूबर 2019 में आमने-सामने की बातचीत हुई थी.
तब राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर आए थे.
पाँच साल में क्या बदला?
इन पांच सालों में दोनों देशों के रिश्तों में काफ़ी बदलाव आ चुका है. साल 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प और सीमा पर तनाव बढ़ गया.
इस तनाव के साथ दोनों देशों के बीच व्यापार भी ख़ूब बढ़ा और 2024 तक यह इतना बढ़ गया कि चीन ने भारत से व्यापार के मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया.
चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी, घरेलू खपत में कमी और पश्चिमी देशों के बढ़ते गतिरोध के बीच भारत का बाज़ार चीन के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.
ध्यान देने वाली बीते सालों में चीन से भारत का निर्यात से तो स्थिर रहा है लेकिन आयात में उछाल देखा गया है.
बीते महीने जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर से व्यापार को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा था कि यह मुद्दा जटिल है और इसमें ब्लैक एंड जैसा कुछ नहीं है.
भारत-चीन व्यापार के ताज़ा आंकड़े
साल 2024 में चीन ने दो साल बाद एक बार फिर भारत के सबसे बड़े व्यापार सहयोगी का दर्जा हासिल कर लिया था. साल 2023 में चीन की जगह अमेरिका ने ली थी.
व्यापार को लेकर मई 2024 में ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने आंकड़े जारी किए. इन आंकड़ों के मुताबिक़, 2024 के वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118.4 अरब डॉलर का रहा है.
जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने चीन से हो रहे आयात में कमी लाने के लिए एंटी डम्पिंग टैक्स और क्वॉलिटी कंट्रोल से जुड़े नियम लागू किए हैं, लेकिन इनका असर भारत के आयात पर होता नहीं दिखता.
हालांकि, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, चालू वित्तीय वर्ष (2024-25) में अप्रैल से लेकर अगस्त तक अमेरिका मामूली अंतर से व्यापार के मामले में चीन से आगे निकल गया है और शीर्ष पर है.
अमेरिका और भारत के बीच इस अवधि में कुल 53 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है जबकि भारत-चीन के बीच 52.43 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है.
चीन मामूली अंतर से अमेरिका से भले ही पीछे ही लेकिन निर्यात के मामले में अमेरिका से दोगुना निर्यात किया है.
अप्रैल से लेकर अगस्त तक चीन ने भारत में 46.6 अरब डॉलर का सामान भेजा जबकि अमेरिका ने 19 अरब डॉलर का सामान भारत को भेजा है.
इन पांच महीनों में भारत ने चीन को 5.7 अरब डॉलर का सामान भेजा जो आयात का सिर्फ़ 8 फ़ीसदी है.
जबकि इसी अवधि में भारत ने अमेरिका को लगभग 34 अरब डॉलर का सामान भेजा जो आयात का लगभग 180 फ़ीसदी है.
तनाव के बाद कितना बढ़ा व्यापार
अप्रैल 2020 से भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव बढ़ना शुरू हुआ था और जून आते-आते गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई.
इस संघर्ष को पिछले चार दशकों में सबसे गंभीर संघर्ष बताया गया और इसमें भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी. भारत की तरफ़ से कहा जाता रहा है कि चीन की सेना को भी अच्छा-ख़ासा नुक़सान हुआ है लेकिन चीन ने अब तक कभी भी अपने सैनिकों को हुए नुक़सान का कोई ब्योरा नहीं दिया था.
लेकिन तनाव के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार की स्थिति क्या रही?
भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने चीन के साथ हुए व्यापार को लेकर साल दर साल आंकड़े जारी किए हैं.
2019: यह तनाव से पहले का वित्तीय वर्ष है. इसमें भारत-चीन के बीच लगभग 82 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. इसमें आयात 65 अरब डॉलर का था और निर्यात 16 अरब डॉलर था.
2020: तनाव वाले साल में भी व्यापार में 5 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई. इस साल दोनों देशों के बीच लगभग 86.5 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. इसमें आयात 65 अरब डॉलर से ज़्यादा था और निर्यात 21 अरब डॉलर था.
2021: इस साल भारत-चीन के बीच व्यापार ने शतक लगाई. दोनों देशों के बीच 115 अरब डॉलर का व्यापार हुआ और पिछले साल की तुलना में क़रीब 34 फ़ीसदी की वृद्धि देखी गई. इस दौरान निर्यात बीते साल जितना 21 अरब डॉलर ही रहा लेकिन आयात में 45 फ़ीसदी की वृद्धि हुई और यह 94.5 अरब डॉलर तक जा पहुंचा.
2022: इस साल व्यापार में 1.74 फ़ीसदी की गिरावट हुई और यह आंकड़ा 113 अरब डॉलर पर जाकर रूका. इस साल निर्यात में 28 फ़ीसदी की भारी गिरावट देखी गई लेकिन आयात 4 फ़ीसदी के साथ बढ़कर 98.5 अरब डॉलर जा पहुंचा.
2023: बीते साल भारत-चीन के बीच व्यापार पिछले पांच सालों के रिकॉर्ड स्तर 118 अरब डॉलर तक पहुंच गया. पांच सालों में पहली बार आयात 101 अरब डॉलर तक जा पहुंचा और निर्यात सिर्फ़ 16.6 अरब डॉलर हुआ.
भारत चीन से क्या ख़रीदता और क्या बेचता है?
2023 में चीन भारत के लिए सबसे बड़ा आयातक देश रहा है. भारत ने कुल आयात का 13 फ़ीसद चीन से आयात किया है.
आसान शब्दों में कहें तो 100 रुपये के कुल विदेशी सामान में से 13 रुपये का सामान भारत अकेले चीन से खरीदता है. सवाल यह है कि वह कौन सा ऐसा सामान है जिसके लिए भारत, चीन की तरफ देखने के लिए मजबूर है.
ख़र्च के हिसाब से साल 2023-24 में इलेक्ट्रिकल मशीनरी, उपकरण और उनके पार्ट्स को लेकर भारत की चीन पर सबसे ज़्यादा निर्भरता है. इसमें साउंड रिकॉर्डर, टीवी और इनके पार्ट्स शामिल हैं.
दूसरे नंबर पर परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और उसके पार्ट्स शामिल हैं.
टॉप दस की बात करें तो इसमें प्लास्टिक और उससे जुड़े सामान, ऑर्गेनिक केमिकल, फर्टिलाइजर, आयरन और स्टील का सामान, वाहनों के पार्ट्स और एलुमिनियम शामिल है.
लेकिन भारत चीन को क्या-क्या भेजता है?
निर्यात के मामले में भारत चीन को एयरक्राफ़्ट, स्पेसक्रॉफ़्ट और उनके सामान सबसे ज़्यादा बेचता है.
टॉप दस में भारत चीन को एलुमिनियम के सामान, कपड़े,लोहा और स्टील, चमड़े की वस्तुएं, यात्रा का सामान जैसे- हैंडबैग और इसी तरह की चीज़ें,रेशम, पत्थर, सीमेंट, प्लास्टर और माइका जैसी चीज़ें निर्यात करता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित