टेस्ट क्रिकेट दुनिया का इकलौता ऐसा खेल है जिसमें जीत या हार का स्पष्ट नतीजा आए बग़ैर टीमें ख़ुद को विजयी या पराजित समझ सकती हैं.
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ का तीसरा मैच गाबा में बारिश से बुरी तरह प्रभावित रहा लेकिन ड्रॉ होने के बाद भी दोनों टीमों के कप्तान अपनी-अपनी टीमों के फ़ायदे गिना सकतें हैं.
बतौर कप्तान लगातार चार टेस्ट मैच हारने वाले रोहित शर्मा ने आख़िरकार ड्रॉ के नतीजे से लंबी राहत की सांस ली होगी.
इतना ही नहीं रोहित को ये भी आभास होगा कि जिस मैच में पहली पारी में टॉप ऑर्डर की नाकामी के कारण फॉलोऑन का ख़तरा मंडरा रहा था उसी मैच में आकाशदीप और जसप्रीत बुमराह की 10वें विकेट की साझेदारी ने टीम के बल्लेबाज़ों के हौसलों को एक नई ऊर्जा दी.
बुमराह ने इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टॉप ऑर्डर को अपनी गेंदबाज़ी के बूते फिर से बैकफुट पर धकेल दिया.
हालांकि, पूरे मैच के दौरान 9 विकेट लेने वाले बुमराह को ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस के पारी घोषित करने की टाइमिंग शायद रास नहीं आयी होगी क्योंकि अगर वो एक विकेट और हासिल करते तो एक मैच में 10 विकेट लेने का कमाल भी पहली बार हासिल कर पाते.
इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों के आक्रमक रुख़ के सामने टीम इंडिया के गेंदबाज़ों ने अपना शानदार खेल जारी रखा और और मेज़बान टीम ने 18 ओवर की गेंदबाज़ी के दौरान 89 रनों पर 7 विकेट गंवाए .
भारत के लिए 54 ओवर में 275 रनों का लक्ष्य टी-20 वाली पीढ़ी को बेहद आसान दिख रहा था और कई प्रशंसक और जानकार वनडे क्रिकेट जैसा नज़रिया अपनाने की सलाह भी दे रहे थे.
लेकिन, उन्हें शायद ये एहसास नहीं कि टेस्ट क्रिकेट में ऐसा कुछ नहीं होता. मैच की दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को 2.1 ओवर गेंदबाज़ी का मौका मिला और युवा ओपनर यशस्वी जायसवाल ने अपना विकेट नहीं खोया. जो टीम इंडिया के लिए ये अच्छी ख़बर रही.
कप्तान रोहित शर्मा जीते या हारे?
सिर्फ 216.1 ओवर के खेल में एक नतीजे की तलाश करना ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद वाली बात दिख सकती है.
पहले दिन भी मैच के दौरान 13.2 ओवर ही फेंके जा सके और बुधवार को महज़ 33.1 ओवर. इस पर शायद ये कहना ग़लत नहीं होगा कि बारिश ने ही इस मौके़ पर उन्हें ड्रॉ का नतीजा दिया.
बहरहाल, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा इस नतीजे के बाद ख़ुद को जीते हुए कप्तान की तरह समझ रहें होंगे. इसके तीन कारण हैं.
पहला: ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ, एडिलेड और ब्रिसबेन में पहले तीन मैच आयोजित करके ये प्लान बनाया था कि जब तक टीम इंडिया मेलबर्न पहुंचे तब तक सिरीज़ 0-3 से मेज़बान के पक्ष में रहे.
पर्थ के नये मैदान में ऑस्ट्रेलिया ने इस सिरीज़ से पहले हार का मुंह कभी नहीं देखा था तो उससे भी बेहतर रिकॉर्ड एडिलेड में गुलाबी गेंद के साथ हर मैच में जीत का था. गाबा में पिछले 32 सालों से उनकी जीत का सिलसिला बदस्तूर चल रहा था जब तक कि 2021 में टीम इंडिया ने उन्हें हराया नहीं . लेकिन इसके बावजूद गाबा का ख़ौफ़ किसी लिहाज़ से कम नहीं हुआ था.
ऐसे में ऑस्ट्रेलिया को बारिश की मदद से सिरीज़ में 2-1 की बढ़त नहीं लेने देना भी मेहमान टीम के लिए सुकून की बात रही.
दूसरा: रोहित शर्मा ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे हैं. लेकिन नये सलामी बल्लेबाज़ केएल राहुल के अर्धशतक और नीतीश कुमार रेड्डी के टेम्प्रामेंट, हुनर, रन और विकेट ने हर किसी को प्रभावित किया जिसका फ़ायदा शायद टीम इंडिया को अगले दो मैचों में मिले.
तीसरा: रोहित बिना सिरीज़ जीते भी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी पर अपना हक़ जमाये रख सकते हैं. अगर टीम इंडिया ने मेलबर्न टेस्ट जीत लिया तो सिडनी पहुंचने से पहले ही उनका इस सिरीज़ पर क़ब्ज़ा हो जायेगा और सिडनी के नतीजे के बहुत मायने नहीं रहेंगे.
ऑस्ट्रेलिया के लिए बेहतर मौक़ा?
वहीं, ऑस्ट्रलियाई कप्तान पैट कमिंस को ऐसा लग रहा होगा कि शायद इससे बेहतर मौका टीम इंडिया के खिलाफ़ उन्हें नहीं मिलता.
सिरीज़ में पहला टेस्ट हारने के बाद लगातार दो जीत कमिंस और उनके साथियों में घरेलू ज़मीन पर अपराजेय होने वाली भावना भर सकते थे.
शानदार तेज़ गेंदबाज़ जोश हेज़लवुड के ना होने ने सिर्फ़ इस मैच के नतीजे को नहीं प्रभावित किया बल्कि उनकी ग़ैर-मौजूदगी ऑस्ट्रेलिया को मेलबर्न में भी खटक सकती है.
टीम इंडिया को इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के दबदबे के बावजूद रवींद्र जडेजा के अर्धशतक, नीतीश रेड्डी के ऑलराउंडर खेल और आकाशदीप की लयबद्ध गेंदबाज़ी से भी काफी सकारात्मक भाव मिले. लेकिन ट्रेविस हेड का अब तक तोड़ नहीं निकाल पाना टीम इंडिया के लिए लगातार परेशानी का सबब बना हुआ है.
वहीं, पिछले दो सिरीज़ के हीरो मोहम्मद सिराज का लगातार संघर्ष भी, टीम इंडिया को मेलबर्न में प्रसिद्ध कृष्णा को इस सिरीज़ में पहला मौका देने पर मजबूर कर सकता है.
अश्विन के बाद क्या कोई और भी लेगा संन्यास?
टेस्ट क्रिकेट में, ख़ासकर पांच मैचों की टेस्ट सिरीज़ में अक्सर शुरुआती बढ़त बहुत ज़्यादा मायने नहीं रखती है और ना ही शानदार शुरुआतें.
इस सिरीज़ में यशस्वी जायसवाल और विराट कोहली के नाम एक-एक शतक है लेकिन फिर भी बाकी पारियों में वो रन बनाने में जूझते दिखे.
वहीं हर्षित राणा पहले मैच में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अब सिरीज़ के बाकी मैचों में शायद ही दोबारा दिखें.
लेकिन, अच्छी बात ये है कि आख़िरी दो मैचों में अगर रोहित और विराट ने शतक लगा दिए और टीम इंडिया जीत जाती है तो, शायद रविचंद्रन अश्विन की ही राह पर चलते कोई एक और दिग्गज भी ऑस्ट्रेलियाई ज़मीन से एक यादगार विदाई का सपना सच करने में भी कामयाब हो.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.