भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाने के लिए कम उत्पादकता वाले 100 जिलों की पहचान कर वहां सिंचाई व आधारभूत संरचना में भारी निवेश का प्रविधान किया गया है। एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने की दिशा में भी ठोस पहल की गई है। मैन्यूफैक्चरिंग मिशन क्लीन टेक टॉय लेदर फुटवेयर और पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर जोर से युवाओं में रोजगार समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है।
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट विकसित भारत की दिशा में एक ठोस कदम है, लेकिन 2047 तक इसे हासिल करने के लिए विकास के साथ-साथ सुधारों की गति और तेज करने की जरूरत है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीबी को पूरी तरह से खत्म करने, हर बच्चे को उच्चस्तरीय शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराने, भारत को दुनिया का फूड-बास्केट बनाने, युवाओं को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराकर विकास में भागीदार बनाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और अर्थव्यवस्था में आधी आबादी की भागीदारी सुनिश्चित करने का तो प्रविधान किया है।
श्रम सुधारों पर चुप्पी
लेकिन निवेश और विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा बने श्रम सुधारों पर चुप्पी साध ली है। खुद वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण में विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 10 सालों तक हर साल आठ फीसद की दर से विकास करने की बात कही गई है।
2047 तक हासिल करना होगा लक्ष्य
- जाहिर है 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए विकास दर की गति को और तेज करने की जरूरत होगी और इसके लिए बड़े सुधारों और कड़े फैसलों की जरूरत है, जिसका संकेत बजट में नहीं दिख रहा है।
- वैसे आयकर छूट की सीमा को 12 लाख तक बढ़ाकर मध्यम वर्ग व नौकरी पेशा के हाथ में हर साल एक लाख करोड़ रुपये देने की व्यवस्था की गई है। इससे मध्यम वर्ग में बचत के साथ-साथ उपभोग बढ़ने की उम्मीद है, जो अंतत: विकास दर को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
- लेकिन आठ फीसद सालाना का लक्ष्य हासिल करने में भी यह नाकाफी साबित हो सकता है। वैसे बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा मूल समस्याओं को दूर करने के लिए ठोस कदमों का प्रविधान जरूर किया गया है, जिसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।
फूड बास्केट बनाने पर जोर
भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाने के लिए कम उत्पादकता वाले 100 जिलों की पहचान कर वहां सिंचाई व आधारभूत संरचना में भारी निवेश का प्रविधान किया गया है। साथ ही किसानों को उन्नत बीज, सस्ता कर्ज और खाद्य प्रसंस्करण जैसे कई प्रविधान किये गए हैं।
मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा भारत
लेकिन मेक इन इंडिया से लेकर पीएलआई स्कीम तक की सफलता सिर्फ कुछ सेक्टर तक ही सीमित रही है। साफ है कि भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए छोटे-छोटे सुधारों और छूट से बात नहीं बनेगी, इसके लिए बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे, जिसका बजट में अभाव दिखता है।
बजट में शत प्रतिशत अच्छे स्तर की स्कूली शिक्षा, बेहतरीन, सस्ती और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच. शत-प्रतिशत कुल कामगार के साथ सार्थक रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में 70 फीसद महिलाओं की भागीदारी को विकसित भारत के लिए अहम बताया गया है।
बजट में कई बड़े एलान
इसके लिए सभी जिला अस्पतालों में कैंसर के इलाज की सुविधा, मेडिकल कॉलेजों और आईआईटी में सीटें बढ़ाने, अटल टिंकरिंग लैब, सरकारी माध्यमिक स्कूलों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, वैश्विक स्तर के कौशल विकास के लिए सेंटर आफ एक्सेलेंस खोलने जैसी की घोषणाएं की गई हैं।
लेकिन इनके सफल क्रियान्वयन की जरूरत होगी। शिक्षण संस्थाओं में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षकों की कमी और कौशल विकास योजनाओं का अभी तक प्रदर्शन उत्साहजनक नहीं रहा है।यह भी पढ़ें: बजट के 10 बड़े एलान: युवाओं को सस्ता लोन, एयरपोर्ट से जुड़ेंगे 88 छोटे शहर; किसानों की हुई बल्ले-बल्ले
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